भारत सरकार ने 8 सितंबर 2020 को पढ़ना-लिखना अभियान की शुरुआत की, जिसका मकसद 2030 तक सभी वयस्कों को पढ़ने-लिखने में सक्षम बनाना है। इस योजना के लिए कुल ₹224.95 करोड़ का बजट रखा गया है, जिसमें से ₹148.74 करोड़ केंद्र सरकार देगी और ₹76.21 करोड़ राज्य सरकारें मिलकर देंगी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य COVID-19 महामारी के दौरान बढ़ी हुई साक्षरता की चुनौतियों का सामना करना है।
इस योजना का लक्ष्य 15 साल और उससे ज्यादा उम्र के सभी लोगों को बुनियादी पढ़ने-लिखने और गणना करने की योग्यता देना है, चाहे वो ग्रामीण इलाकों में हों या शहरी क्षेत्रों में। खासतौर पर इस योजना में महिलाओं, अनुसूचित जातियों (SC), अनुसूचित जनजातियों (ST), अल्पसंख्यकों और अन्य कमजोर समूहों को प्राथमिकता दी जाएगी। जिन जिलों में महिलाओं की साक्षरता दर 60% से कम है, उन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा ताकि सभी को शिक्षा का बराबर मौका मिल सके।
योजना का सबसे बड़ा मकसद 2030 तक 100% वयस्क साक्षरता प्राप्त करना है। इसके जरिए लोगों को ऐसे कौशल दिए जाएंगे, जिससे वे सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों में पूरी तरह से हिस्सा ले सकें और समाज में उनकी भागीदारी बढ़ सके। इसके अलावा, योजना का उद्देश्य उन क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर बढ़ाना है, जहां इसकी ज्यादा जरूरत है। इसके लिए नई तकनीकों और तरीकों का इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे डिजिटल दुनिया में सबको जोड़ने की कोशिश की जाएगी।
इस योजना को सफल बनाने के लिए स्वयं सहायता समूहों, सामुदायिक संगठनों और स्वैच्छिक समूहों की मदद ली जाएगी। इनकी भागीदारी से योजना का असर और भी गहरा होगा और इसे लंबे समय तक चलाया जा सकेगा। इसमें रिटायर सरकारी कर्मचारी, गृहिणियां और अन्य लोगों को भी शामिल किया जाएगा, ताकि वे अपने अनुभव और समय से इस अभियान में योगदान दे सकें।
वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए, सरकार ने 57 लाख लोगों को साक्षर बनाने का लक्ष्य रखा है, खासतौर पर उन जिलों पर ध्यान दिया जाएगा जिन्हें आकांक्षी जिलों के रूप में चिन्हित किया गया है। इस योजना के बेहतर क्रियान्वयन के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश भी तैयार किए गए हैं ताकि इसके मकसद को सही ढंग से हासिल किया जा सके।
कुल मिलाकर, पढ़ना-लिखना अभियान भारत में वयस्क साक्षरता बढ़ाने की दिशा में एक अहम कदम है। इस योजना के तहत सीमांत समुदायों की शैक्षिक जरूरतों को पूरा करने और डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही है, ताकि एक समावेशी और जागरूक समाज बनाया जा सके।
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