नई दिल्ली: पिछले कुछ सालों में साइबर क्राइम और स्पैम कॉल का ग्राफ काफी तेजी ऊपर गया है. इससे निपटने के लिए सरकार और टेलिकॉम कंपनियां एक साथ मिलकर काम कर रही हैं. फिशिंग अटैक से निपटने के लिए डिपॉर्टमेंट ऑफ टेलिकॉम, रेगुलेटरी ट्राई और प्राइवेट टेलिकॉम ऑपरेटर लगातर नए उपाय कर रहे हैं. ट्राई और DoT स्पैमर्स को टार्गेट कर रहे हैं और संदिग्ध नंबरों को ब्लॉक कर रहे हैं. 2.27 लाख मोबाइल हैंडसेट किए गए ब्लाक इसी कड़ी में एयरटेल ने स्पैम का पता लगाने और अपने कस्टमर्स को अलर्ट करने के लिए एक AI-संचालित एक टूल लॉन्च किया है. वहीं, वोडाफोन आइडिया SMS स्पैम कंट्रोल सिस्टम को लागू करने के लिए ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी को अपना रहा है. ट्राई और DoT के अनुसार, एक करोड़ से अधिक धोखाधड़ी वाले मोबाइल कनेक्शन काट दिए गए हैं. इसके अलावा, साइबर क्राइम और वित्तीय धोखाधड़ी में शामिल 2.27 लाख मोबाइल हैंडसेट को ब्लाक किया गया है. 1 अक्टूबर से नॉन-व्हाइटलिस्टेड वेब लिंक की होगी जांच इससे पहले, नियामक ट्राई ने मोबाइल ऑपरेटरों से बल्क स्पैम कॉल के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले टेलिकॉम रिशोर्स को डिस्कनेक्ट करने की अपील की थी. इस दौरान नियामक ने कहा था कि ऐसी संस्थाओं को दो साल तक के लिए ब्लैकलिस्ट किया जाना चाहिए. इसके अलावा, मंगलवार 1 अक्टूबर से टेलिकॉम कंपनियों को नॉन-व्हाइटलिस्टेड वेब लिंक वाले एसएमएस ट्रांसमिशन की जांच करने को कहा है. वहीं, 1 नवंबर 2024 से ट्राई ने सभी टेलीकॉम ऑपरेटरों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि SMS भेजने वाले से लेकर रिसीवर तक सभी SMS ट्रैक किए जा सकें.एयरटेल के सीईओ गोपाल विट्टल ने कहा, "स्पैम ग्राहकों के लिए एक खतरा बन गया है. हमने इसे व्यापक रूप से हल करने के लिए पिछले 12 महीने बिताए हैं... (और) अपने ग्राहकों को घुसपैठ और अवांछित संचार के निरंतर हमले से बचाते हैं."
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स्पैम कॉल और साइबर फ्रॉड होगा कम, 1 अक्टूबर से टेलिकॉम कंपनियां नॉन-व्हाइटलिस्टेड वेब लिंक SMS ट्रांसमिशन की करेंगी जांच
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