Top News
Next Story
NewsPoint

स्वास्थ्य को खतरे में डाल सकते हैं गुमराह करने वाले विज्ञापन. दवाई कंपनियों को आयुष मंत्रालय की चेतावनी…

Send Push

सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के मद्देनजर आयुर्वेद, सिद्दा और यूनानी दवा के भ्रामक विज्ञापनों पर आयुष मंत्रालय ने चेतावनी जारी की है. मंत्रालय ने कंपनियों को दवा के फायदों पर झूठे दावों से दूरी बनाने की सलाह दी है.

साथ ही दवा के लेबल डॉक्टर की देखरेख में ही लेने की एडवाइजरी भी जारी करने के लिए कहा है. भ्रामक विज्ञापनों पर शिकंजा कसते हुए अप्रत्याशित दावों पर भी कंपनियों को वॉर्निंग दी है.

आयुष मंत्रालय ने बताया कि अगर कंपनियां दवाओं को लेकर गुमराह करने वाले विज्ञापन देंगी तो सरकार एक्ट के तहत उनपर पेनाल्टी लगाई जा सकती है. इसके साथ ही राज्यों के लाइसेंस अथॉरिटी और मंत्रालय को रिपोर्ट करने की सलाह भी दी है. मंगलवार को मंत्रालय ने कहा कि मरीजों के उपचार के लिए ‘चमत्कार’ का दावा करने वाली दवाओं का विज्ञापन अवैध है. ऐसे विज्ञापन सार्वजनिक स्वास्थ्य को ‘खतरे में डाल सकते हैं.’

मंत्रालय ने जारी किया नोटिस

एक सार्वजनिक नोटिस में मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि वह किसी भी आयुर्वेदिक, सिद्धा, यूनानी और होम्योपैथिक (एएसयू एंड एच) कंपनी या उसकी दवा को न प्रमाणित करता है और न ही किसी कंपनी को बिक्री के लिए इसे बनाने का लाइसेंस देता है. इसके अलावा मंत्रालय ने कहा कि औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 और उसके अंतर्गत नियमों के मौजूदा प्रावधानों के अनुसार, किसी भी दवा बेचने वाली कंपनी को लाइसेंस संबंधित राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के लाइसेंसिंग प्राधिकरण से दिया जाता है.

एलोपैथी के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन से जुड़ा मामला

पिछले काफी महीनों में एलोपैथी के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन से जुड़े कई मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की है. मई में एक केस के दौरान केंद्र सरकार के आयुष मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया. मंत्रालय ने इस मामले में बताया था कि 2018 से लेकर अबतक 36,040 शिकायतें दर्ज हुई हैं.

राजस्थान में सबसे ज्यादा कार्रवाई

इसके साथ ही कोर्ट ने बताया कि अब तक 354 भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ करवाई की जा चुकी है. देशभर में सबसे ज्यादा शिकायतें राजस्थान से मिली है. यहां अबतक सबसे ज्यादा 206 भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ लाइसेंसिंग अथॉरिटी ने कार्रवाई की गई है, वहीं केस दर्ज होने के मामले में तमिलनाडु में सबसे ज्यादा 4,230 मामले दर्ज किए हैं.

Explore more on Newspoint
Loving Newspoint? Download the app now