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मैरिटल रेप को क्रिमिनलाइज किया गया तो समाज का ताना बाना बिखर जाएगा : एडवोकेट नीरज कुमार

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नई दिल्ली, 4 अक्टूबर . देश में मैरिटल रेप (वैवाहिक बलात्कार) का मामला इन दिनों कानूनी और सामाजिक दृष्टिकोण से गरमा गया है. यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है. कई लोगों का मानना है कि इसे क्रिमिनलाइज किया जाना चाहिए, जबकि कुछ इसे एक सामाजिक मुद्दा मानते हैं, जिसका समाधान कोर्ट के बजाय समाज में ही तलाशने की बात करते हैं.

इस विषय पर सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट नीरज कुमार ने समाचार एजेंसी से खास बातचीत की. उन्होंने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि उस फैसले में यह कहा गया था कि मैरिटल रेप को कानूनी रूप से देखा जा सकता है, क्योंकि शादी के बाद पति को कुछ भी करने का अधिकार नहीं है. वहीं, दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस हरी शंकर और जस्टिस राजीव शकधर की बेंच के पास जब यह मामला आया, तो राजीव शकधर ने कहा था कि मैरिटल रेप की लीगल वैलिडिटी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यह एक तरह से सामाजिक मुद्दा है. लेकिन जस्टिस हरी शंकर ने कहा कि मैरिटल रेप को डिफाइन किया जा सकता है. इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. अब सुप्रीम कोर्ट को यह डिसाइड करना है कि मैं मैरिटल रेप को क्रिमिनलाइज किया जाए या नहीं.

नीरज कुमार ने कहा कि मैरिटल रेप पर सेंट्रल गवर्नमेंट का कहना है कि यह कानूनी मुद्दा नहीं, सामाजिक मुद्दा है और अगर इस तरह से इसको क्रिमिनलाइज कर दिया जाएगा तो समाज का ताना बाना बिखर जाएगा.

एडवोकेट नीरज कुमार का कहना है कि मेरे ख्याल से मैरिटल रेप उन महिलाओं के लिए एक हथियार हो जाएगा, जो इसका मिस यूज करती हैं. अगर पति-पत्नी के बीच में कुछ छोटे-मोटे बात पर भी झगड़ा हुआ, तो कोर्ट में मैरिटल रेप के मामले देखने को मिलेंगे, जैसे आज-कल दहेज के मामले देखने को मिलते हैं. तो इस तरह मैरिटल रेप का भी मुद्दा चलेगा. इसलिए मेरा मानना है कि इसको सामाजिक मुद्दा ही रहने दिया जाए. मैरिटल रेप आने के बाद इसके इतने डिसएडवांटेज होंगे कि अभी हम कल्पना नहीं कर पा रहे हैं, इसलिए इस पहलू को सामाजिक ही रहने दिया जाए.

उन्होंने कहा कि अक्सर ऐसी खबरे आती है कि महिलाओं की ओर से दर्ज कराए गए 90 परसेंट केस फर्जी साबित होते हैं. अगर मैरिटल रेप को क्रिमनालाइज कर लिया जाता है, तो अगर क‍िसी पति पत्नी के बीच छोटा सा भी झगड़ा होगा तो पत्नी मैरिटल रेप का केस दर्ज करा देगी. इसलिए मेरा मानना है कि इसे सामाजिक मुद्दा ही रहने दिया जाए, इसे क्रिमनालाइज न किया जाए. नीरज कुमार का कहना है कि हिंदू मैरिज में शादी को एक सैक्रामेंट्स माना जाता है, इसे क्रिमनालाइज करने से शादी से लोगों को विश्वास उठ जाएगा.

नीरज कुमार ने कहा कि अगर मैरिटल रेप पर कानून बन जाता है, तो पति‍-पत्नी के बीच का बेडरूम का मुद्दा, अदालत में पहुंचने लगेगा. इससे पुरुषों के पास बहुत ही लिमिटेड विकल्प बचेगा. क्योंकि बेडरूम में उनके दोनों के अलावा तो कोई और है नहीं, यह तो बहुत ही निजी मामला है, इसको अदालत में ले जाया जा रहा है. ये चीजे अदालत के तय नहीं होनी चाहिए. यह सामाजिक मुद्दा है और इसे समाज में ही तय होना चाहिए. केंद्र सरकार के एफिडेविट से मैं पूरी तरह से सहमत हूं.

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि आज के दौर में एससी, एसटी एक्ट का मामला हो या क्राईम अगेंस्ट वूमेन हो, इस तरह के मामले में बाढ़ आ गई है. इसमें बहुत सारे फर्जी मामले बदला लेने के नियत से भी किया जा रहे हैं. ऐसे में मैरिटल रेप बदला लेने की नियत रखने वाली महिलाओं के लिए एक और हथियार हो जाएगा.

पीएसके/

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