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ताइवानी कंपनियों के पास भारत में हाई-टेक मैन्युफैक्चरिंग में 15 बिलियन डॉलर के अवसर

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नई दिल्ली, 9 अक्टूबर . भारत द्वारा एंड-टू-एंड इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों के स्थानीय विनिर्माण पर जोर दिया जा रहा है. इस बीच, एक नई रिपोर्ट के अनुसार, ताइवानी कंपनियों के लिए प्रिंटेड सर्किट बोर्ड (पीसीबी), इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों में 15 अरब डॉलर के बड़े अवसर मौजूद हैं.

फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) की रिपोर्ट के अनुसार, इलेक्ट्रिक मोटर, सीसीटीवी और स्मार्ट हेल्थकेयर (फिटनेस ट्रैकर, स्मार्टवॉच, हृदय गति मॉनिटर ) जैसे अन्य क्षेत्र भी ताइवान के लिए आशाजनक हैं.

भारत में ताइवान के लिए इन क्षेत्रों में 60 बिलियन डॉलर का लक्षित बाजार है. ताइवान इंडस्ट्री इन क्षेत्रों में घरेलू बाजार के साथ निर्यात के लिए भी निवेश कर सकती है.

रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2030 तक पांच प्रमुख क्षेत्रों में बाजार की मांग 170 बिलियन डॉलर होगी .

ताइवान और भारत के बीच मजबूत साझेदारी के पारस्परिक लाभ हैं. निष्कर्ष बताते हैं कि कैसे ताइवानी कंपनियां भारत के तेजी से होते विकास का लाभ उठा सकती हैं और अपनी उच्च तकनीकी विशेषज्ञता का योगदान दे सकती हैं.

इसमें कहा गया है, “ताइवान की तकनीकी प्रगति और भारत के बढ़ते बाजार के संयोजन से दोनों देशों के लिए एक साथ समृद्ध होने का रणनीतिक मार्ग तैयार होगा.”

भारत सेमीकंडक्टर मिशन (आईएस एम) और पीएलआई योजना सहित निवेश-समर्थक पहल बुनियादी ढांचे और लॉजिस्टिक्स पर जोर के साथ ताइवानी कंपनियों के लिए भारत को एक आदर्श साझेदार बनाती है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि इन रणनीतिक साझेदारी की जरूरतों को पूरा करने में भारत कई दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों की तुलना में बेहतर स्थिति में है.

अपने लार्ज स्किल्ड वर्कफोर्स, अनुकूल कारोबारी माहौल और मजबूत सरकारी नीतियों के साथ, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण, हरित ऊर्जा, ईवी, स्मार्ट शहरों और सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) जैसे क्षेत्रों में निवेश के लिए एक शीर्ष गंतव्य के रूप में उभर रहा है.

एसकेटी/एएस

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