श्रीनगर, 1 अक्टूबर | भारतीय निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को जम्मू एवं कश्मीर सरकार से यह बताने को कहा है कि जब आदर्श आचार संहिता लागू है, तो आयोग की पूर्व अनुमति के बिना एक सैन्य अधिकारी की सिविल पुलिस में डेप्यूटेशन (प्रतिनियुक्ति) का आदेश क्यों जारी किया गया.
जम्मू-कश्मीर सरकार ने सोमवार को कर्नल विक्रांत पराशर को जम्मू-कश्मीर पुलिस में एसएसपी (प्रशिक्षण) और स्पेशल (ऑपरेशन) के पद पर नियुक्त करने का आदेश जारी किया था.
इस कदम पर आपत्ति जताते हुए चुनाव आयोग ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर सरकार को लिखा, “जम्मू-कश्मीर में आदर्श आचार संहिता लागू है और इस तरह चुनाव से जुड़े अधिकारियों के तबादले पर प्रतिबंध है. आदर्श आचार संहिता के संचालन की अवधि के दौरान सेना के अधिकारी को सिविल साइड में एसएसपी के पद पर नियुक्त करने के औचित्य, प्रक्रिया और तात्कालिकता पर विचार किए बिना आयोग निर्देश देता है कि आदेश को तत्काल प्रभाव से स्थगित रखा जाए. यदि आदेश जारी किया गया है, तो आदेश जारी होने से पहले की स्थिति तत्काल प्रभाव से बहाल की जाएगी.”
चुनाव आयोग ने कहा कि मुख्य सचिव एक अक्टूबर को सुबह 11 बजे तक अनुपालन रिपोर्ट भेजेंगे, जिसमें स्पष्टीकरण होगा कि आयोग की पूर्व अनुमति के बिना ऐसा आदेश क्यों जारी किया गया.
पैराशूट रेजिमेंट के विक्रांत प्रशर को रक्षा मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर सरकार में दो साल की डेप्यूटेशन के लिए पहले ही मंजूरी दे दी है. शौर्य चक्र से सम्मानित प्रशर जम्मू-कश्मीर के उधमपुर जिले से हैं और उन्होंने आतंकवाद विरोधी अभियानों में अपनी अलग पहचान बनाई है. इससे पहले वह घाटी के गुलमर्ग इलाके में हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल में तैनात थे.
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एससीएच/
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