लाइव हिंदी खबर :-हिन्दू धर्म में मूर्ति पूजा का विशेष महत्व है। किस देवता की कैसे मूर्ति की पूजा करने से क्या लाभ मिलता है, ऐसी कई सारी विशेष बातें शास्त्रों में दर्ज हैं। जैसे कि माखन खाते हुए भगवान कृष्ण के बाल रूप की पूजा करने से संतान सुख मिलता है, हनुमान जी के संजीवनी बूटी पर्वत वाले रूप की पूजा करने से बल मिलता है। इसी तरह से मूर्ति किस धातु की हो, यह भी महत्वपूर्ण माना जाता है।
अमूमन हर हिन्दू घर में आपको मंदिर और मंदिर में रखी अलग-अलग तरह की मूर्तियां दिख जाएंगी। लोग अपनी पसंद या फिर धार्मिक कारणों से इन मूर्तियों को स्थापित करते हैं लेकिन कई बार मूर्ति का चयन करते समय गलती भी कर देते हैं जो आने वाले भविष्य पर भारी पड़ सकती है। वास्तु शास्त्र हमें घर के पूजा घर से संबंधित कई नियम बताता है। जैसे कि पूजा घर में साफ-सफाई हो, गंदगी बिलकुल ना हो, अंधेरा ना हो, खण्डित मूर्ति ना हो। लेकिन इसके अलावा वास्तु विज्ञान घर के पूजा स्थल पर कुछ मूर्तियों को रखना वर्जित मानता है, आइए जानते हैं घर के पूजा स्थल में किस देवता की मूर्ति नहीं होनी चाहिए:
1. नटराजनटराज को भगवान शिव का ही रूप माना जाता है। भगवान शिव की पूजा करना और उन्हें घर के मंदिर में स्थापित करना शुभ माना जाता है लेकिन नटराज शिवजी की रौद्र रूप है। वे इस रूप को तब धारण करते थे जब वे बेहद क्रोधित अवस्था में होते थे। शास्त्रों के अनुसार इअसी मूर्ति को घर में लाना अशांति का कारण बनता है।
2. भैरव देवयह भी भगवान शिव का ही रूप है लेकिन भैरव देव तंत्र विद्या के देवता हैं। इनकी उपासना घर के भीतर नहीं, बल्कि बाहर करनी चाहिए। इसलिए भूल से भी इन्हें घर के मंदिर में स्थापित ना करें।
3. शनि देवसूर्य पुत्र शनि का पूजा स्थल या मंदिर अन्य पूजा स्थलों से अलग होता है। इनकी पूजा के भी कठिन नियम होते हैं। सूर्य अस्त होने के बाद ही इनकी पूजा की जाती है। इनकी पूजा घर के भीतर नहीं, बाहर की जाती है इसलिए इनकी मूर्ति को घर में स्थापित नहीं करना चाहिए।
4. राहु-केतुज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि, राहु, केतु, तीनों ही पापी ग्रह माने जाते हैं। अगर जन्म कुंडली में इनकी अशुभ बैठकी हो तो इनकी पूजा करने से कष्टों में कमी आती है, परंतु इन्हें घर ले आना अशुभ माना जाता है। केवल ज्योतिष उपायों के लिए ही इनकी घर के बाहर पूजा की जानी चाहिए।