नई दिल्ली : भारत और चीन के बीच भरोसे की कमी अभी भी बनी हुई है। इस वजह से, भारत अपनी सेना को वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर इस बार की सर्दी में भी तैनात रखने की तैयारी कर रहा है। यह लगातार पांचवीं सर्दी होगी जब भारतीय सेना LAC पर तैनात रहेगी। सैनिकों को पूर्वी लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम के दुर्गम इलाकों में तैनात रखा जाएगा। हड्डियां गला देने वाली बर्फीली ठंड में भारतीय जांबाज एलएसी की निगहबानी के लिए तैयार हैं। चीन पर नहीं है भरोसाहालांकि, तनाव कम करने और हालात सामान्य करने के लिए भारत और चीन के बीच कई दौर की राजनीतिक और कूटनीतिक बातचीत हो चुकी है। इसमें कुछ प्रगति हुई है और मतभेद कम हुए हैं। लेकिन, शीर्ष रक्षा सूत्रों ने बताया है कि जमीनी स्तर पर चीन की सेना (PLA) पर भरोसा अभी भी बहुत कम है। चीन 3,488 किलोमीटर लंबी LAC पर अपनी सैन्य चौकियां मजबूत कर रहा है और स्थायी किलेबंदी का निर्माण कर रहा है। यह दिखाता है कि PLA जल्द ही मई 2020 से पहले वाली जगहों पर लौटने की योजना नहीं बना रहा है। सेना प्रमुख और सभी सातों कमांड के प्रमुख अगले महीने करेंगे ऑपरेशनल तैयारी की समीक्षाभारतीय सेना सर्दियों की तैनाती की तैयारी में जुटी है। सर्दियों के लिए बड़े पैमाने पर सामान जुटाया जा रहा है। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी और सेना की सातों कमानों के प्रमुख 9-10 अक्टूबर को सिक्किम के गंगटोक में ऑपरेशनल स्टेटस की समीक्षा करेंगे।हालिया राजनीतिक-कूटनीतिक बातचीत से पूर्वी लद्दाख में पिछले करीब साढ़े 4 साल से सैन्य गतिरोध को तोड़ने की संभावना दिखाई देती है। इन बातचीत में 31 जुलाई और 29 अगस्त को भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (WMCC) की 30वीं और 31वीं बैठकें शामिल थीं।राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने 12 सितंबर को सेंट पीटर्सबर्ग में ब्रिक्स बैठक के मौके पर चीनी विदेश मंत्री वांग यी से भी मुलाकात की। भारत-चीन के बीच फरवरी में हुई थी आखिरी कोर-कमांडर लेवल बातचीतहालांकि, सैन्य कोर कमांडर स्तर की बातचीत आखिरी बार 19 फरवरी को हुई थी। चीन ने डेपसांग मैदान और देमचोक के पास चारडिंग निंगलुंग नाला ट्रैक जंक्शन पर गतिरोध को हल करने के भारत के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।एक वरिष्ठ अधिकारी ने हमारे सहयोगी 'टाइम्स ऑफ इंडिया' से कहा, 'डेपसांग और देमचोक में अगर डिसइंगेजमेंट होता है, तो यह केवल पहला कदम होगा। जब तक बाद में सैनिकों की वापसी और पूर्व की स्थिति बहाल नहीं हो जाती, तब तक खतरा बना रहेगा।' पहले जिन 65 पॉइंट तक पट्रोलिंग करती थी सेना, अब 26 तक नहीं है पहुंचपिछले डिसइंगेजमेंट के बाद स्थापित बफर जोन के कारण, भारतीय सैनिक पूर्वी लद्दाख में अपने 65 में से 26 गश्ती बिंदुओं तक नहीं पहुंच सकते हैं। ये पट्रोलिंग पॉइंट उत्तर में काराकोरम दर्रे से शुरू होते हैं और पूर्वी लद्दाखके दक्षिण में चुमार तक हैं।एक अधिकारी ने कहा, 'यहां तक कि बफर जोन को भी केवल अस्थायी व्यवस्था माना जाता था। चीन अनुचित मांगें करता रहता है और लंबे समय तक इंतजार करने का खेल खेल रहा है। भारत को चीन के जाल में फंसने से सावधान रहना होगा।'उन्होंने कहा, 'अगर दोनों पक्ष एक व्यापक रूपरेखा पर सहमत होते हैं, तो डेपसांग और देमचोक में वास्तविक डिसइंगेजमेंट के तौर-तरीकों पर सैन्य स्तर पर काम किया जा सकता है।'सेना किसी भी स्थिति से निपटने के लिए प्रत्येक LAC सेक्टर में सैनिकों के समायोजन और पर्याप्त आरक्षित बलों के साथ उच्च स्तर की परिचालन तत्परता बनाए हुए है। वर्तमान गतिरोध को तोड़ने के लिए राजनीतिक और कूटनीतिक चर्चा को संभावित रास्ता माना जा रहा है।
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