पटना: बिहार के चुनावी रण में एक बार फिर बीजेपी के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह हिंदुत्व का मुद्दा सेट करने को सियासी मैदान में उतर गए हैं। हालांकि चुनाव में समय है पर सियासी दस्तक अभी से धमक के साथ हर दल की चुनावी तैयारी में दिखने लगा है। उत्तर प्रदेश में सीएम योगी आदित्यनाथ 'बंटोगे तो कटोगे' के तर्ज पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह काटने का सामान रखने की इजाजत भर नहीं बल्कि एक तरह से चुनावी मूड में हिंदुत्व को लाने में जुट गए हैं। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने क्या कहा हैहम सनातन धर्म के लोग दुर्गा पूजा में मां की पूजा अस्त्र-शस्त्र के साथ करते हैं, तो इसमें कुछ गलत नहीं है। आरजेडी के तमाम नेता जब माथे पर टोकरी लेकर फुलवारी शरीफ मजार पर जा सकते हैं तो हिंदू अस्त्र शस्त्र की पूजा कर घर में क्यों नहीं रख सकते हैं? अगर इस्लाम में यह सही हैं, तो हमारे देवी-देवताओं के हाथों में अस्त्र-शस्त्र होते हैं, उनको बांटने में क्या गलत है। दुर्गा माता के साथ यदि कोई अस्त्र लेकर जा रहा है, तो यह सौभाग्य की बात है। मैं तो कहूंगा कि हर हिंदू के घर में देवी-देवताओं के शस्त्रों की पूजा होनी चाहिए और उन्हें घर में रखना चाहिए, ताकि उनकी पूजा से हमारी रक्षा हो सके। हिंदुत्व परोसना गिरिराज सिंह का शगल!बीजेपी की राजनीति में सॉफ्ट और हार्ड कोर नेताओं की अपनी-अपनी भूमिका है और अपना-अपना एक्सेप्टेंस भी। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह भाजपा के हार्ड कोर नेता हैं जिनके फायर हिंदुत्व एकता को लेकर आते रहे हैं। जब केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ऐसा कर रहे होते हैं तो उनके शब्द बदलते रहते हैं। इतिहास उठा कर देख लीजिए इनके हिंदुत्व एकता को लेकर दिए गए बयान...
- टोपी पहनकर लालू यादव जब फुलवारी शरीफ दरगाह पर जाते हैं तो लगता है तेहरान के इमाम आ गए हैं
- मुस्लिमों को बंटवारा के वक्त पाकिस्तान भेज दिया जाता तो आज गो मूत्र छिड़कना नहीं पड़ता। गंगा जल से ही काम चल जाता।
- देश के अंदर तुष्टिकरण के कारण जहां-तहां मजार बना। ये मजार लैंड जिहाद का नया तरीका है। भारत के अंदर पाकिस्तान और बंग्लादेश बनाया जा रहा है। कोई मजार बना रहा है, कोई फिलिस्तीन कह रहा है।
- भारत में रामनवमी जुलूस नहीं निकालेंगे तो क्या पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बंगलादेश में निकालेंगे?
- 3 करोड़ से 30 करोड़ मुस्लिम आबादी हो गई। तीन हजार से 3 लाख मस्जिद हो गए।
- भारत में ताजिया पर एक पत्थर नहीं फेंका जाता। पर रामनवमी जुलूस, दुर्गा, सरस्वती और लक्ष्मी मां के विसर्जन के समय पत्थरबाजी क्यों होती है?
- हनुमान जयंती, रामनवमी, दुर्गा पूजा, काली पूजा, सरस्वती पूजा जैसे त्योहारों पर रोड बदल दिए जाते हैं, रूट डायवर्ट कर दिए जाते हैं, डीजे नहीं बजने दिया जाता है, क्यों ?
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