नई दिल्ली: सरकार ने 1 अक्टूबर से निर्माण, खनन और कृषि जैसे अनौपचारिक क्षेत्रों में काम करने वाले श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी में बढ़ोतरी का फैसला किया है। सरकार का कहना है कि यह बढ़ोतरी महंगाई से निपटने में श्रमिकों की मदद करेगी। औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) में 2.40 अंकों की बढ़ोतरी हुई है। संशोधन के बाद निर्माण क्षेत्र में काम करने वाले अकुशल श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी 783 रुपये प्रतिदिन (20,358 रुपये प्रति माह) होगी। अर्ध-कुशल श्रमिकों के लिए यह 868 रुपये प्रतिदिन (22,568 रुपये प्रति माह) की गई है। कुशल, लिपिक और बिना हथियार वाले चौकीदारों के लिए यह 954 रुपये प्रतिदिन (24,804 रुपये प्रति माह) होगी। श्रमिकों ने किया था विरोध प्रदर्शन उच्च कुशल और हथियारों से लैस चौकीदारों के लिए यह 1,035 रुपये प्रतिदिन (26,910 रुपये प्रति माह) होगी। मजदूरी में यह संशोधन साल में दो बार किया जाता है। यह संशोधन औद्योगिक श्रमिकों के लिए CPI में छह महीने की औसत बढ़ोतरी पर आधारित होता है। इस हफ्ते की शुरुआत में हजारों श्रमिकों ने देशभर में विरोध प्रदर्शन किया था। उन्होंने मजदूरी में वृद्धि और चार श्रम कानूनों को रद्द करने की मांग की थी। उनका कहना है कि ये कानून बहुराष्ट्रीय कंपनियों के पक्ष में हैं। साल में दो बार होता है मजदूरी में संशोधन केंद्र सरकार VDA को साल में दो बार संशोधित करती है। यह 1 अप्रैल और 1 अक्टूबर से प्रभावी होता है। यह संशोधन औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में छह महीने की औसत वृद्धि पर आधारित होता है।क्षेत्र, श्रेणियों और क्षेत्र के अनुसार न्यूनतम मजदूरी दरों के बारे में विस्तृत जानकारी मुख्य श्रम आयुक्त (केंद्रीय), भारत सरकार की वेबसाइट (clc.gov.in) पर उपलब्ध है। सरकार का कहना है कि यह समायोजन श्रमिकों को जीवन यापन की बढ़ती लागत से निपटने में मदद करने के उद्देश्य से है।
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सरकार ने बढ़ाई न्यूनतम मजदूरी, 1 अक्टूबर से फैसला लागू, किसे होगा फायदा?
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