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अर्जुन मुंडा पोटका से लड़ेंगे चुनाव? JMM के संजीव बचा पाएंगे गढ़, जानें BJP में पूर्व CM के साथ कौन है प्रबल दावेदार

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जमशेदपुर: झारखंड में पूर्वी सिंहभूम जिले के पोटका विधानसभा सीट से बार बीजेपी के वरिष्ठ नेता अर्जुन मुंडा के चुनाव मैदान में उतरने की चर्चा से सियासी हलचल तेज हो गई। लोकसभा चुनाव 2024 में खूंटी संसदीय सीट से चुनाव हारने के बाद अर्जुन मुंडा विधानसभा चुनाव के लिए एक सुरक्षित सीट की तलाश कर रहे हैं। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा चार बार खरसावां विधानसभा सीट से भी चुनाव जीत चुके हैं। चर्चा है पिछले विधानसभा चुनाव में खरसावां से अर्जुन मुंडा को सफलता नहीं मिली, इस कारण वो अब अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित नए सीट की तलाश है। पोटका में बीजेपी टिकट के कई दावेदारपोटका विधानसभा सीट के लिए इस बार बीजेपी की ओर से जहां अर्जुन मुंडा के नाम की चर्चा है। इसके अलावा पूर्व विधायक मेनका सरदार, उपेंद्र सरकार उर्फ राजू, मनोज सरदार, गणेश सरदार और बारी मुर्मू के नाम की भी चर्चा है। वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में झामुमो के संजीव सरदार ने भाजपा की मेनका सरदार को हरा सफलता हासिल की। ऐसे में भाजपा केंद्रीय नेतृत्व के लिए पोटका विधानसभा क्षेत्र से अधिकृत प्रत्याशी का चयन करना आसान नहीं है। पार्टी इस मामले में फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। संजीव सरकार फिर से लड़ेंगे चुनाव!वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा के संजीव सरदार ने पूर्व बीजेपी विधायक मेनका सरदार को एक बड़े अंतर से चुनाव में पराजित कर सभी को चौंका दिया था। इसके बावजूद पिछले पांच सालों में संजीव सरदार के प्रदर्शन से से असंतुष्ट पार्टी के कई नेताओं की ओर दावेदारी की जा रही है। इस बार की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है, जेएमएम की ओर से पोटका में संजीव सरदार की जगह किसी अन्य उम्मीदवार को यहां से पार्टी का अधिकृत घोषित किया जा सकता है। चंपाई सोरेन के पुत्र बाबूलाल सोरेन भी रेस में!पोटका विधानसभा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के पुत्र बाबूलाल सोरेन भी कई महीनों से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। लेकिन हाल के डेढ़-दो महीने के दौरान बदली राजनीतिक परिस्थितियों और उनके जेएमएम छोड़ने के कारण बाबूलाल सोरेन अब पोटका की जगह घाटशिला क्षेत्र से चुनाव लड़ने की तैयारी में जुट गए हैं। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि बीजेपी बाबूलाल सोरेन को इस बार घाटशिला से उम्मीदवार बना सकती है। पोटका क्षेत्र में आदिवासी समाज के भूमिज समुदाय का दबदबापूर्वी सिंहभूम जिले की पोटका विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। इस सीट पर आदिवासी समुदाय के भूमिज यानी सरदार समुदाय से आने वाले उम्मीदवार ही अधिकतर बार जीते हैं। इनमें सनातन सरदार, मेनका सरदार, हाड़ीराम सरदार, अमूल्यो सरदार का नाम शामिल हैं। यही कारण है कि पोटका विधानसभा क्षेत्र में सभी पार्टियों को भूमिज प्रत्याशी की तलाश रहती है। लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को मिली बढ़तलोकसभा चुनाव 2024 में जमशेदपुर संसदीय क्षेत्र के पोटका विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी विद्युत वरण महतो को करीब 12 हजार के मतों के अंतर से बढ़त मिली। बीजेपी प्रत्याशी को पोटका क्षेत्र में 1.11 लाख वोट मिले, वहीं जेएमएम प्रत्याशी समीर मोहंती को 99 हजार वोटों से संतोष करना पड़ा। 50 प्रतिशत आदिवासी और मुस्लिम मतदाता निर्णायकपोटका विधानसभा क्षेत्र में 50 प्रतिशत आदिवासी और मुस्लिम मतदाताओं की भूमिका निर्णायक मानी जाती है। इनमें सरदार मतदाताओं की संख्या करीब 10 प्रतिशत, मुस्लिम आबादी 6, सिंह 5.5, मुर्मू 5.1, सोरेन 3, टुडू 3, भगत 3, मंडल , हेम्ब्रम, महतो और मार्डी जाति की आबादी 3-3 प्रतिशत शामिल है। वर्ष 2019 में पोटका विधानसभा चुनाव का परिणाम वर्ष 2014 में पोटका विधानसभा चुनाव का परिणाम वर्ष 2009 में पोटका विधानसभा चुनाव का परिणाम भौगोलिक परिस्थितिः पटमदा-पोटका को मिलाकर विधानसभा का गठनपूर्वी सिंहभूम जिला के अंतर्गत पोटका विधानसभा आता हैं। पोटका विधानसभा जमशेदपुर लोकसभा सीट के अंतर्गत आता है। यह पूरी तरह ग्रामीण क्षेत्र के साथ साथ दो हिस्सों में बांटा है। जमशेदपुर के पटमदा और पोटका को मिलाकर इस विधानसभा क्षेत्र का गठन किया गया है। वैसे तो पोटका विधानसभा क्षेत्र में कई बदलाव आए है। 1952 में जुगसलाई सह पोटका के नाम से दो विधानसभा क्षेत्र1952 में जुगसलाई सह पोटका के नाम से दो विधानसभा हुआ करता था। लेकिन 1957 में इसका पोटका विधानसभा हो गया है। यह विधानसभा अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित था। उस वक्त झारखंड पार्टी के सुपई सोरेन विधायक चुने गए। उसके बाद 1962 में कांग्रेस माझी रसराज टुडू से विधायक बने। 1967 में पोटका बना पटमदा वही 1967 में पोटका विधानसभा का नाम बदल कर पटमदा विधानसभा हो गया। पटमदा विधानसभा के पहले विधायक कांग्रेस के घनश्याम महतो बने। 1969 में घनश्याम महतो को यहां से फिर जीत दर्ज की। यही नही 1972 में भी घनश्याम महतो जीत दर्ज की। कहा जाए कि लगातार तीन साल घनश्याम महतो ने यहा से प्रतिनिधित्व किया। पोटका फिर बना एसटी सुरक्षित सीट वही एक बार 1977 में पटमदा से पोटका (एसटी सुरक्षित) बना। और एसटी होने पर सनातन सरदार यहां से विधायक चुने गए। सनातन सरदार लगातार तीन बार विधायक चुने गए। लेकिन तीनों बार अलग-अलग दल से उन्होने पोटका विधानसभा का नेतृत्व किया। 1977 से सनातन सरदार ने जनता पार्टी से, 1980 में भाजपा से और 1985 में क़ाग्रेस से विधायक बने। वैसे इस सीट से झारखंड मुक्ति मोर्चा भी इस सीट पर चार बार जीत दर्ज कर चुकी है। 1952 से 2019 तक पोटका से निर्वाचित विधायक
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