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बिहार में JDU और BJP में PM पद के मुद्दे पर तकरार! नीतीश के करीबी मंत्री का चौंकाने वाला बयान, सियासी शीत युद्ध जारी

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पटना: लीजिए बिहार में एक बार फिर शुरू हो गया राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री बनाने का खेल। यह खेल शुरू किया है राज्य के जिम्मेदार मंत्री जमा खान ने। ये राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी मंत्री हैं और निर्णायक भूमिका में भी रहते हैं। वक्फ संशोधन बिल पर जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और वर्तमान केन्द्रीय मंत्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह को बैकफुट पर लाने वाले मंत्री जमा खान ही हैं। तब जेडीयू के शीर्ष पदाधिकारियों के साथ एक बैठक हुई और वक्फ संशोधन बिल पर अपनी अलग राय बनाई गई। मंत्री जमा खान का बयानअल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खान ने एक बार फिर कह डाला कि राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री बनना चाहिए। यह केवल मेरी इच्छा नहीं बल्कि मेरे जैसे करोड़ों नौजवान चाहते हैं कि नीतीश कुमार प्रधानमंत्री बनें। दरअसल, नीतीश कुमार में कोई स्वार्थ नहीं, कोई लालच नहीं, परिवारवाद भी नहीं। इन्होंने कभी जाति की राजनीति नहीं की। उनके राजनीतिक कैरियर में एक दाग भी नहीं। इनके पीएम बनने से देश का तेजी से विकास होगा। जमा खान आगे भी बोले जमा खान ने आगे कहा कि नीतीश कुमार ने विकास की एक लकीर खींचकर दिखा दी है। सबसे बड़ी बात यह है कि सीएम नीतीश कुमार सबको साथ लेकर चलते हैं। मेरी यह दुआ जल्द कबूल होगी। देश की जनता जानती है कि सत्ता की चाभी हमारे पास है और मुझे लगता है विपक्ष भी पीएम बनाने में समर्थन करेंगा। कांग्रेस भी समर्थन करेगी। अगर नीतीश कुमार का नाम पीएम के लिए प्रस्तावित किया गया तो उन्हें सभी दलों का समर्थन मिलेगा। क्या नया सियासी संकेत?बिहार की राजनीति में मंत्री जमा खान के बयान के बाद भूचाल आ गया है। उनके तीन वक्तव्य के बाद यह चर्चा चल पड़ी कि क्या एनडीए की केंद्र की राजनीति में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है? खास कर इन तीन बयानों पर गौर करें। केंद्र की सत्ता की चाबी हमारे हाथ है। पीएम के नाम पर कांग्रेस भी समर्थन करेगी। असमय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जाति विहीन, परिवार विहीन और विकास की राजनीति का नायक बताना। जेडीयू-बीजेपी में शीत युद्ध!मंत्री जमा खान के बयान के बाद यह तो दिखने लगा है कि जेडीयू और बीजेपी के बीच खेल जारी है। इस संदर्भ में कुछ पहलू को सामने रखेंगे तो खेला समझ में आएगा। जैसे- बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल का कहना कि बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीए में सीटों का बंटवारा जेडीयू, बीजेपी और सहयोगी दलों को ध्यान में रखकर होगा। जेडीयू की प्लानिंग कम से कम 120 सीट पर लड़ने की है, ताकि 2010 विधानसभा का रिकॉर्ड पार कर सके। और बातों पर ध्यान देंजेडीयू बिहार विधानसभा समय से पहले कराना चाहती है। भीतर खाने में चुनाव की तिथि फरवरी माना जा रहा है। बीजेपी के कार्यकर्ताओं में संदेश पहुंच गया है कि चुनाव समय पर होगा, जमकर तैयारी करें। जेडीयू ने की नीतीश को पीएम बनाने की मांग बीजेपी ने कहा- नो वैकेंसी। हाल के दिनों में जो बयान सामने आए हैं, उसको लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि जेडीयू एक बार फिर से राज्य में बड़े भाई की भूमिका में आना चाहती है। लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद जेडीयू ने विधानसभा चुनाव में भी एक बड़ी हिस्सेदारी चाह रही है ताकि बड़े भाई की भूमिका में फिर से आ सके। जेडीयू की प्लानिंग जेडीयू की ओर से इसके लिए कम से कम 120 सीटों पर चुनाव लड़ना होगा। साथ ही झारखंड विधानसभा में उचित हिस्सेदारी मिल सके। जेडीयू झारखंड और बिहार विधानसभा में ज्यादा से ज्यादा हिस्सेदारी के लिए राज्यसभा की सीट बीजेपी के लिए छोड़ दी थी। इस लिहाजन जेडीयू अभी से ही बीजेपी पर दवाब बनाना शुरू कर दी है। ऐसा इसलिए भी कि सीटों की हिस्सेदारी में बीजेपी खुल कर सामने नहीं आती है, तो दूसरे विकल्प हेतु उसके पास ज्यादा समय हाथ में रहे।
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