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अच्छा! तो इसलिए बिगड़े अशोक चौधरी के बोल, माथा चकराने वाला है नीतीश का श्याम वाला दांव

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पटना: राजनीति में किसी भी नेता के बिगड़े बोल यूं ही नहीं होते। कभी कभी तो सब्र टूट जाता है या कभी उम्मीदें। अशोक चौधरी गर पिछले कुछ समय से उखड़े उखड़े चल रहे हैं तो उसकी वजह भी कुछ इतर नहीं। ऐसे कई खटकने वाले कारण हैं जो मानस पिता नीतीश कुमार और अशोक चौधरी के बीच दूरियां लाते दिखी। आइए जानते हैं क्यों अशोक चौधरी का मन वियोगी हो गया। ऐसा इसलिए कि कहा जाता है वियोगी होगा पहला कवि। दलित राजनीति की बादशाहत पर प्रश्नचिन्हकांग्रेस की सधी राजनीति छोड़ कर जनता दल यू (JDU) में आए अशोक चौधरी नंबर गेम के दायरे में सबसे करीब नेता बनने आए थे। नीतीश कुमार ने भी पार्टी के भीतर दलित राजनीति का एक बड़ा चेहरा के रूप में अशोक चौधरी को प्रोजेक्ट किया था। इतना भर ही नहीं कई बार अपने कार्यक्रमों में विशेष प्यार दिखाया और इजहार कर ऐसा दिखाया भी। अशोक चौधरी ने भी मानस पिता का दर्जा देकर उस प्यार की गारंटी भी दी। लेकिन राजनीतिक जगत में यह चर्चा है कि राजद से नाता तोड़कर जेडीयू की सदस्यता लेकर आए श्याम रजक ने जेडीयू नेता अशोक चौधरी की परेशानी बढ़ा दी। यह परेशानी और तब चरम पर पहुंच गई जब नीतीश कुमार ने अपने पुराने साथी श्याम रजक को राष्ट्रीय महासचिव बनाकर स्वागत किया। इसके पहले नीतीश कुमार को झटका तब लगा जब 100 से भी ज्यादा कार्यकारिणी के सदस्यों में अशोक चौधरी को शामिल नहीं किया गया। हालांकि राजनीतिक जगत में तो इस बात की चर्चा है कि अशोक चौधरी को निराशा तब भी लगी जब राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को हटाकर नए अध्यक्ष बनाने की चर्चा थी। तब चर्चा में यह कहा जा रहा था कि नीतीश कुमार अशोक चौधरी को संगठन की बड़ी जिम्मेवारी देकर दलित कार्ड खेल सकते हैं, पर यहां भी निराशा हुई। तो क्या खुद अशोक चौधरी अविश्वसनीय नहीं बन रहे थेयह सच है कि राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कांग्रेस से नाता तोड़कर आए अशोक चौधरी पर भरोसा करते थे। यही वजह भी है कि अशोक चौधरी बेझिझक जेडीयू के संस्थापक नेता और तत्कालीन जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह से पंगा ले लेते थे। पर कहा जाता है कि अशोक चौधरी इधर कुछ बातों को ले कर नीतीश कुमार को खटकने लगे थे। अशोक चौधरी की बेटी सांभवी चौधरी का उनके धुर विरोधी चिराग पासवान की पार्टी से लोकसभा चुनाव का लड़ना। फिर पूरे परिवार के साथ पीएम नरेंद्र मोदी से मिलना। और हाल के दिनों में विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के अध्यक्ष मुकेश सहनी से मिलना और माछ बात की पार्टी में शामिल होना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास इनके बदलते तेवर की सूचना भाया मीडिया से मिलते रही थी। जब मंत्री परिषद विस्तार की खबरें आ रही थी तो ड्रॉप होने वाले मंत्री में अशोक चौधरी का भी नाम था। पावर संतुलन का गेम खेल रहे हैं नीतीश?दो धारी राजनीत राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का शगल भी रहा है। राजनीति में पावर संतुलन के माहिर खिलाड़ी भी नीतीश कुमार रहे हैं। चर्चा यह है कि अशोक चौधरी को संतुलन में लाने के लिए बड़ी लकीर श्याम रजक के नाम पर खींच दी है। जेडीयू की राजनीति में देखें तो नीतीश कुमार के पावर गेम के शिकार आरसीपी सिंह, राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा सरीखे नेता रहे हैं। और ये तीनों नेता एक समय नीतीश कुमार के खासमखास रहे हैं। पर आज जेडीयू के भीतर किसी और का सितारा बुलंद है। श्याम रजक का जेडीयू में प्रवेश आगामी विधानसभा विधान सभा चुनाव में अंतुलित दलित राजनीति के मजबूतीकरण का संकेत तो है ही साथ ही साथ अशोक चौधरी की राजनीति का संतुलन भी।
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