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न शरीर में जहर, न शेर वाली बात... पर किसी ने नहीं डरता ये जानवर, कछुए के खोल को भी चीर सकते है इसके जबड़े

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नई दिल्ली: जंगल की रहस्यभरी दुनिया में हर जानवर अपने इलाके का 'दबंग' है। अपने से बड़े और खूंखार जानवरों के सामने जाने से भले ही कोई जीव बचता हो, लेकिन उसकी अपनी दुनिया का वो शहंशाह होता है। लेकिन, कुछ जीव ऐसे भी होते हैं, जो अपने से बड़े या खतरनाक जानवरों को ही चुनौती दे डालते हैं। ये किसी भी जानवर से भिड़ने का दमखम रखते हैं और मौका पड़ने पर उनके ऊपर भारी भी पड़ जाते हैं। जंगल की दुनिया का एक ऐसा ही जीव है हनी बेजर, जो लकड़बग्घे और शेर तक से टक्कर ले लेता है।आम तौर पर बिज्जू की तरह दिखने वाला हनी बेजर स्तनधारियों के परिवार से ही आता है। ये कुछ-कुछ नेवले और पोलकैट से भी मेल खाते हैं। अफ्रीका, दक्षिण पश्चिम एशिया और भारत में पाए जाने वाले इस जीव की गिनती जंगल के सबसे बहादुर जानवरों में होती है। और इसकी वजह है, हनी बेजर का लड़ाकू रवैया। ये एक ऐसा जीव है, जो हर साइज के जानवर से भिड़ने को तैयार रहता है। शेर, तेंदुआ, लकडबग्घा... सबसे भिड़ने को तैयारहनी बेजर बिच्छू, अजगर और जहरीले से जहरीले सांप पर देखते ही सीधा हमला करता है और अक्सर जीत भी जाता है। बीबीसी साइंस फोकस की रिपोर्ट के मुताबिक, खतरा होने ये छोटा सा जीव तेंदुए, शेर और लकड़बग्घे जैसे बड़े जानवरों से भी लोहा लेता है। कई बार जंगल में घोड़े, मवेशी और केप भैंस इनके बिलों के साथ छेड़छाड़ करते हैं, ऐसे में इन जीवों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ जाती है।महज एक टोस्टर के आकार वाला हनी बेजर तीन फीट तक लंबा होता है। व्यस्क हनी बेजर आमतौर पर इतने ही लंबे मिलते हैं। इनके शरीर पर सिर से पूंछ तक एक चौड़ी सफेद पट्टी पाई जाती है और इसी से ये पहचाने जाते हैं। जब बात हनी बेजर की ताकत की होती है, तो इसके दांतों का जिक्र करना जरूरी है। गठीले और मजबूत शरीर के साथ इनके दांत हनी बेजर की असली ताकत हैं। कछुए के खोल तक को चीरने वाले जबड़ेहनी बेजर के दांत मजबूत से मजबूत हड्डियों को कुचल सकते हैं। इनके दांतों की ताकत का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि हनी बेजर के जबड़े कछुए के खोल को भी चीर सकते हैं। वहीं, अपने लंबे और शक्तिशाली पंजों के साथ भी ये जानवर अपने दुश्मन को चुनौती देता है। कुल मिलाकर देखा जाए, तो ऐसा लगता है कि प्रकृति ने इस जानवर को लड़ने और आत्मरक्षा के लिए पूरी तरह से ढाल दिया है।जंगली जानवरों की दुनिया में हनी बेजर की खाल भी काफी मोटी होती है। इसकी गर्दन पर ढीली त्वचा 6 मिमी (लगभग 1/4 इंच) मोटी होती है, जो शिकारी के जबड़े में फंसने पर खुद को छुड़ाने में मदद करती है। यही त्वचा इस जानवर को मधुमक्खी के डंक और साही के कांटों से भी बचाती है। जब कभी इनका सामना जहरीले सांप से होता है, तो इसी त्वचा के जरिए ये उसके जहर से बच जाते हैं। सांप के जहर का भी नहीं होता असरइसके अलावा हनी बेजर के एक प्रमुख जीन में लगातार बदलाव भी होता है, जो इसे जहरीले सांपों के काटने से इम्युनिटी प्रदान करता है। और इन सबसे अलग, इनमें एक उल्टा गुदा पाउच होता है, जिसका इस्तेमाल ये एक दुर्गंध युक्त और घुटन पैदा करने वाले तरल पदार्थ को छोड़ने के लिए करते हैं, जिसे 40 मीटर की दूरी से भी पहचाना जा सकता है। इस गंध के जरिए ये अपने दुश्मनों, शिकारियों और मधुमक्खियों को दूर भगा देते हैं। हनी बेजर की पहचान मधुमक्खी का छत्ता तोड़कर उसका शहद चुराने वाले जीव के तौर पर भी है। बताया जाता है कि हनी बेजर को हनीगाइड नामक पक्षी मधुमक्खी के छत्तों तक ले जाते हैं। वहां पहुंचकर हनी बेजर छत्ते को तोड़ देता है। इसके बाद ये लार्वा खाता है और हनीगाइड पक्षी खुले हुए मोम को खाते हैं। हालांकि, यह भी कहा जाता है कि ऐसा असंभव है, क्योंकि हनी बेजर मुख्य तौर पर रात में सक्रिय होते हैं, जबकि हनीगाइड दिन में उड़ते हैं।
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