जयपुर, 4 अक्टूबर (हि.स.)। पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत क्रम-1 महानगर प्रथम ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने वाले अभियुक्त युवक को बीस साल की सजा सुनाई है। इसके साथ ही अदालत ने इसके साथ ही अदालत ने अभियुक्त पर चालीस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। पीठासीन अधिकारी मीना अवस्थी ने अपने आदेश में कहा कि अभियुक्त ने पीडिता के साथ जबरन दुष्कर्म किया है। यदि इसमें पीडिता की सहमति भी होती तो भी यह अपराध ही श्रेणी में माना जाता, क्योंकि नाबालिग की सहमति कानून में कोई महत्व नहीं रखती है।
अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक राजेश श्योराण ने अदालत को बताया कि मामले में पीडिता की मां ने 25 जुलाई, 2021 को प्रताप नगर थाने में रिपोर्ट दी थी। रिपोर्ट में कहा गया कि वह अपनी 16 साल की बेटी और बेटे के साथ किराए के मकान में रहती है। तीन साल पहले अभियुक्त उसके बेटी और बेटे का धर्म का भाई बनकर उनके साथ ही रहने लगा। इस दौरान अभियुक्त बेटे की कभी-कभार आर्थिक मदद भी कर देता था। इस दौरान अभियुक्त उसकी बेटी से फोन पर अश्लील बातें करता था, जिसकी जानकारी उसे नहीं हुई। वहीं 27 जून को उसके बेटे को मारपीट के मामले में जेल हो गई थी। इस पर अभियुक्त मदद के नाम पर 7 जून को पीडिता को अपने साथ ले गया।
अभियुक्त ने एक फ्लैट में ले जाकर पीडिता को नशीला पानी पिलाया और बेहोशी की हालत में उससे दुष्कर्म किया। इसके बाद भी अभियुक्त ने कई बार उससे गलत काम करने का प्रयास किया। ऐसे में अभियुक्त के खिलाफ कार्रवाई की जाए। रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने अभियुक्त को गिरफ्तार कर अदालत में आरोप पत्र पेश किया। सुनवाई के दौरान अभियुक्त की ओर से कहा गया कि मामले में रिपोर्ट कई दिनों बाद दर्ज कराई गई है। इसके अलावा उसने पीडिता के जीजा को रुपए उधार दिए थे। जब उसने उधार लौटाने को कहा तो दोनों पक्षों के बीच झगडा हो गया और उसे मामले में फंसाने के लिए रिपोर्ट दर्ज कराई गई। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने अभियुक्त को सजा सुनाई है।
You may also like
शापिंग कंपनी के डिलीवरी ब्वॉय से तमंचा के बल पर नकदी लूट कर बदमाश फरार
अरविंद केजरीवाल के पास दिल्ली में रहने के लिए घर नहीं, इसलिए हमने अपना आवास दे दिया : अशोक मित्तल
विराट कोहली नहीं, ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों ने बताया कौन भारतीय खिलाड़ी करता है सबसे ज्यादा स्लेजिंग (वीडियो)
सरकार की आलोचना वाले लेख के कारण पत्रकारों पर मुकदमा दर्ज नहीं किया जाना चाहिए- सुप्रीम कोर्ट