रांची, 30 सितंबर . झारखंड हाई कोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि सिर्फ लिंग के आधार पर महिला उम्मीदवार को रोजगार से वंचित करना भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 के प्रावधानों के खिलाफ है.
वर्ष 2005 में याचिकाकर्ता शिप्रा तिवारी के पिता ने हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दाखिल की थी, जिसपर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड को याचिकाकर्ता के पिता के आश्रित को मुआवजे के साथ-साथ रोजगार मुहैया करने का निर्देश दिया. हाई कोर्ट के इस आदेश को ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड ने एलपीए दायर कर चुनौती दी थी, जिसे हाई कोर्ट ने वर्ष 2013 में खारिज कर दिया लेकिन हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी याचिकाकर्ता को रोजगार नहीं दिया गया, जिसके बाद उसने हाई कोर्ट का रुख किया.
हाई कोर्ट के जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान शिप्रा तिवारी की ओर से बहस कर रहे अधिवक्ता ने कोर्ट को यह बताया कि महिला को रोजगार से वंचित करने का आधार यह था कि केवल पुरुष उम्मीदवारों को ही रोजगार प्रदान किया जा सकता है, जिसके बाद अदालत ने यह स्पष्ट किया कि सिर्फ लिंग के आधार पर किसी महिला को रोजगार से वंचित नहीं किया जा सकता.
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/ शारदा वन्दना
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