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कुत्ते बिट्टो का अंतिम संस्कार व तेरहवीं बनी क्षेत्र में चर्चा का विषय

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झांसी, 07 अक्टूबर . कलयुग के इस दौर में जहां लोग अपने माता-पिता तक को अपने साथ रखने से कतराते हैं. वहीं कुछ ऐसे भी लोग हैं जो बेजुबानों को भी अपने बच्चों से ज्यादा प्यार करते हैं. ऐसा ही मामला झांसी जिले के रक्सा क्षेत्र के सुजवाह गांव का सामने आया है. जहां बेजुबान कुत्ते बिट्टो के मालिक ने उसकी मौत पर अंतिम संस्कार कर उसकी अस्थियां विसर्जित करने प्रयागराज ले गए. उसकी आत्मशांति के लिए हवन और फिर तेरहवीं भोज भी कराया. जिसमें करीब 1000 लोगों को खीर, पूड़ी, सब्जी, गुलाब जामुन आदि पकवान खिलाए गए.

सुजवाह गांव निवासी संजीव सिंह परिहार अपनी पत्नी माला के साथ रहते हैं. उनके कोई संतान नहीं है. संजीव के अनुसार 13 साल पहले वह पोमेरेनियन नस्ल के दो डॉग घर लाये. एक का नाम बिट्टो और दूसरे का नाम पायल रखा. उनके बड़े होने के साथ ही उनसे उनका लगाव भी बढ़ता गया. एक बार तो संजीव को बिट्टो ने सांप से भी बचाया था. और सांप को मार दिया था. और तबसे लगाव बढ़ने के साथ ही संजीव व उसकी पत्नी ने बिट्टो को अपने बच्चों की तरह पाला.

संजीव ने बताया कि 24 अक्टूबर की दोपहर को दोनों डॉग घर से कुछ दूरी पर घूम रहे थे. इसी दौरान कुछ आवारा कुत्तों ने उनको घेर कर अटैक कर दिया. पायल किसी तरह बचकर घर आ गई, मगर बिट्टो बुरी तरह जख्मी हो गया. जब संजीव को पता चला तो वह मौके पर पहुंचे और उसे झांसी पशु चिकित्सालय लाए. यहां काफी प्रयास के बाद उसकी जान नहीं बचाई जा सकी. बिट्टो के शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया. बिट्टो की मौत का संजीव और उनकी पत्नी माला को गहरा सदमा लगा.

बिट्टो की मौत के बाद संजीव और माला का हाल बुरा हो गया. दोनों ने दो दिन तक खाना नहीं खाया. ग्रामीणों के समझाने के बाद पूरी श्रद्धा के साथ रविवार को तेरहवीं भोज कराया गया. यह तेरहवीं पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है. बिट्टो की मौत के बाद उसकी साथी डॉग पायल भी सदमे में है. पांच दिनों तक उसने कुछ नहीं खाया और रोती रही.

/ महेश पटैरिया

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