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संस्कृति और परंपरा का अनूठा उदाहरण: आजोलिया के खेड़ा की 55 वर्षीय रामलीला

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मुकेश मूंदड़ा, चित्तौड़गढ़
चित्तौड़गढ़ जिले के निकटवर्ती गांव आजोलिया का खेड़ा में पिछले 55 वर्षों से चली आ रही रामलीला एक अनूठी परंपरा का प्रतीक है. इस गांव में हर साल शारदीय नवरात्रि के दौरान रामलीला का मंचन किया जाता है, जिसमें भूमिका निभाने वाले कोई पेशेवर कलाकार नहीं, बल्कि गांव के ही उच्च शिक्षित और नौकरीपेशा लोग होते हैं. यह परंपरा आधुनिकता के इस युग में भी जीवंत है, जहां सोशल मीडिया की दुनिया से दूर रहकर यह लोग अपनी संस्कृति और परंपराओं को सजीव रखते हुए आने वाली पीढ़ी के लिए मिसाल कायम कर रहे हैं.

50 साल पहले बांस और तिरपाल से बनती थी स्टेज, अब एलईडी का होता है इस्तेमाल

आजोलिया का खेड़ा में 50 साल पहले जब रामलीला शुरू हुई थी, तो बांस और तिरपाल की मदद से मंच बनाया जाता था. लेकिन आज उसी जगह पर आरसीसी की छत और बड़ी एलईडी स्क्रीन का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे दृश्य और भी प्रभावी हो जाते हैं. आयोजन से लेकर अभिनय तक का सारा काम रामलीला मंडल आजोलिया का खेड़ा के बैनर तले गांववासी खुद करते हैं. रामलीला का खर्च भी गांव के लोग मिलकर वहन करते हैं, और यह आयोजन गांव के आपसी सहयोग और सामूहिक योगदान का एक उदाहरण है.

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पेशेवर कलाकार नहीं, बल्कि गांव के उच्च शिक्षित लोग निभाते हैं भूमिका

आजोलिया के खेड़ा की रामलीला में अभिनय करने वाले कलाकार कोई पेशेवर नहीं, बल्कि नौकरीपेशा और उच्च शिक्षित लोग हैं. इनमें से कई ने स्नातकोत्तर, पीएचडी, और अन्य उच्च शिक्षा हासिल की है. राम का किरदार पन्नालाल जाट (एमए) निभाते हैं, हनुमान का किरदार किशन जाट (एमए), लक्ष्मण की भूमिका डॉ. सुभाष शर्मा (एमबीए, पीएचडी) निभाते हैं. रावण का किरदार कमलेश तेली (आईटीआई) और दशरथ का किरदार हरीश शर्मा (एमकॉम) निभाते हैं.

रामलीला के निदेशक बालू जाट हैं, और देवकिशन जाट (वरिष्ठ लिपिक, डिस्कॉम) इसके निर्देशन में सहयोग करते हैं.

रामायण की धरोहर को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का माध्यम

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शारदीय नवरात्रि में यह रामलीला हनुमानजी मंदिर प्रांगण में रात 9 बजे से 12 बजे तक सात दिनों तक आयोजित की जाती है. इसके माध्यम से गांव के बच्चे रामायण जैसी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर से रूबरू होते हैं. बच्चों के लिए विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जाता है, जिससे उनका जुड़ाव और भी मजबूत होता है.

सौहार्द और जातीय सद्भाव का अद्भुत उदाहरण

इस रामलीला की एक खास बात यह भी है कि रोजाना अलग-अलग कलाकार के घर से भोजन बनकर आता है और सभी जातीय सद्भाव के साथ मिलकर भोजन करते हैं. पूर्व कलेक्टर रवि जैन, पूर्व पुलिस अधीक्षक राघवेंद्र सुहास, और पूर्व पुलिस अधीक्षक प्रसन्न कुमार खमेसरा भी यहां की रामलीला का आनंद ले चुके हैं.

रामलीला मंडल द्वारा आयोजित होता है दशहरा मेला

यहां की रामलीला मंडल द्वारा ही इंदिरा गांधी स्टेडियम में दशहरा मेला का आयोजन किया जाता है, जिसमें रावण दहन किया जाता है. यह आयोजन पूरे क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक पर्व बन गया है.

आजोलिया के खेड़ा की रामलीला न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह एक ऐसा आयोजन है, जो नई पीढ़ी को संस्कृति, परंपरा और सामाजिक सौहार्द का सजीव उदाहरण प्रस्तुत करता है.

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