उज्जैन, 7 अक्टूबर . विक्रम विश्वविद्यालय में सोमवार को प्रो. अर्पण भारद्वाज ने ३२वें कुलगुरु के तौर पर पदभार ग्रहण कर लिया. वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजन-अर्चन के बाद कुर्सी संभाली. इसके पहले प्रो. भारद्वाज ने महाकाल मंदिर अन्य देवस्थानों पर पूजन-अर्चन किया.
विक्रम विवि पहुंचने पर कुलगुरु ने विक्रमादित्य शिल्प पर माल्यार्पण किया. विवि परिसर में बड़ी संख्या में शिक्षक और विद्याार्थियों ने ढोल के साथ पुष्पवर्षा कर स्वागत किया. पदभार ग्रहण के दौरान निवृत्तमान कुलगुरु प्रो. अखिलेश कुमार पांडेय, कुलसचिव अनिल कुमार शर्मा व विवि अधिकारी मौजूद थे. विक्रम विश्वविद्यालय में 32 वें कुलगुरु (पूर्व में कुलपति संबोधन) की पदस्थाना के साथ विवि के अब तक के अध्याय में एक नया पन्ना दर्ज होने जा रहा है. कुलगुरु चार वर्ष के लिए नियुक्त हुवे हैं.
विवि में सबसे पहले कुलाधिपति/शासन की ओर से डॉ.बूलचंद को ऑफिसर ऑफ स्पेशल ड्यूटी (ओएसडी) को पदस्थ किया गया था. इनका कार्यकाल 31.8.1956 से 30.04.1957 तक रहा. इसके बाद डॉ.माताप्रसाद कुलपति बने. विक्रम विवि में के कुलपति पद को कई विद्वानों से सुशोभित किया है. शासन एक बार रिटायर्ड आयपीएस कृष्णकुमार दवे को विवि की बागडोर सौंप चुका है. वे 29.01.1981 से 02.091982 तक इस पद पर रहे. कार्यवाहक के तौर पर डॉ.एमपी चौरसिया को कुलपति पद की जिम्मेदारी दी गई. डॉ.चौरसिया एक की दिन 28.01.1981 को इस पद पर रहे. शासन ने रिटायर्ड आयपीएस दवे को यह दायित्व दिया.
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/ ललित ज्वेल