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भारत को जानना है तो हिन्दी जरूरी : न्यायमूर्ति गौतम चौधरी

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-हिन्दी में काम करने में कोई बाधा नहीं, सिर्फ इच्छा शक्ति का अभाव

-हम गुलामी की मानसिकता से बाहर नहीं आ पा रहे

-’न्याय के क्षेत्र में राजभाषा हिन्दी सम्भावनाएं एवं चुनौतियां’ विषय पर व्याख्यान

प्रयागराज, 23 सितम्बर . हिन्दी अपनाने के लिए हमने मन से प्रयास नहीं किया है. जरूरी नहीं है कि हम कठिन हिन्दी का प्रयोग करें. लोगों को समझ में आने वाली आसान भाषा का प्रयोग करने की आवश्यकता है. मुझे लोग यह कहें कि मुझे अंग्रेजी नहीं आती यह मेरे लिए मायने नहीं रखता, परन्तु कोई यह कहे कि न्यायमूर्ति गौतम चौधरी को हिन्दी नहीं आती यह मेरे लिए बहुत शर्म का विषय होगा. भारत को जानना है तो हिन्दी जरूरी है.

उक्त विचार मुख्य अतिथि उच्च न्यायालय प्रयागराज के न्यायमूर्ति डॉ. गौतम चौधरी ने सोमवार को महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय केन्द्र प्रयागराज में ’न्याय के क्षेत्र में राजभाषा हिन्दी सम्भावनाएं एवं चुनौतियां’ विषय पर विशेष व्याख्यान में व्यक्त किया. इस अवसर पर न्यायमूर्ति डॉ गौतम चौधरी को सम्मान पत्र दे कर सम्मानित भी किया गया.

उन्होंने आगे कहा कि अंग्रेजी जानना मतलब विश्व को जानना और हिन्दी जानना मतलब अपने भारत को जानना. हिन्दी को आगे बढ़ाने के लिए हमें रूढ़ियों को तोड़ना होगा. हिन्दी में काम करने में कोई बाधा नहीं है, सिर्फ इच्छा शक्ति का अभाव है. हम गुलामी की मानसिकता से बाहर नहीं आ पा रहे हैं. आज भी हमारे समाज में अंग्रेजी पढ़ने, बोलने वालों को ज्यादा शिक्षित समझा जाता है. जबकि चीन, जापान जैसे दुनिया के तमाम दूसरे देशों में अपनी भाषा में पढ़ने बोलने को प्राथमिकता दी जाती है. हमें हिन्दी को रोजी-रोटी की भाषा बनाने की आवश्यकता है.

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. कृष्ण कुमार सिंह ने कहा कि संवाद से सम्भावनाओं के द्वार खुलते हैं. न्यायमूर्ति गौतम चौधरी ने जो प्रयास हिन्दी भाषा के लिए किए हैं उससे अनेक सम्भावनाओं के मार्ग न्याय के क्षेत्र में खुलेंगे. न्यायमूर्ति गौतम चौधरी की तरह के लोगों को न्याय के क्षेत्र में अत्यधिक आवश्यकता है. हमें प्रयास करना होगा कि हमारी मातृभाषा के रूप में अंग्रेजी की जगह हिन्दी भाषा को स्थान मिलना चाहिए. शेक्सपियर से बड़े कवि कालिदास रहे हैं, हिन्दी भाषा में सूरदास, कबीर दास, रामचंद्र शुक्ल जैसे महान साहित्यकार प्रदान किया जिनके साहित्य का लोहा दुनिया मानता है.

क्षेत्रीय केंद्र प्रयागराज के अकादमिक निदेशक प्रोफेसर दिगंबर तंगलवाड़ ने किया. केंद्र के अकादमिक निदेशक ने अतिथियों को विश्वविद्यालय का स्मृति चिन्ह, अंगवस्त्र और सूत की माला देकर स्वागत किया. कार्यक्रम का विषय प्रवर्तन साहित्य विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. अखिलेश कुमार दुबे एवं संचालन डॉ. अनूप कुमार ने तथा धन्यवाद ज्ञापन महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. आनंद पाटील ने ऑनलाइन माध्यम से किया.

इस अवसर पर जनसंचार के विद्यार्थियों द्वारा प्रायोगिक समाचार पत्र मीडिया समय का लोकार्पण भी किया गया. कार्यक्रम में क्षेत्रीय केंद्र प्रयागराज के सभी शिक्षक कर्मचारी एवं शोधार्थी विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित हुए. डॉ अवंतिका शुक्ला डॉ. सुप्रिया पाठक, डॉ. आशा मिश्रा डॉ अख्तर आलम, डॉ. मिथिलेश तिवारी, डॉ. सत्यवीर, डॉ. श्याम सिंह, जयेंद्र जायसवाल, सुभाष श्रीवास्तव, राहुल त्रिपाठी, रश्मि, प्रत्यूष शुक्ल, गीता देवी, देवमूर्ति द्विवेदी, बिरजू प्रसाद, जगजीवन राम प्रजापति, रोहित कुमार, पीतांबर गौतम, उमेश शर्मा, आदित्य, प्रभात, अनुज, प्रशान्त सहित विद्यार्थी एवं शोधार्थी उपस्थित थे.

/ विद्याकांत मिश्र

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