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Pali कपड़े का हब जिला, जहां नहीं होती है टेस्टिंग

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पाली न्यूज़ डेस्क, पाली  कपड़ा निर्माण का हब पाली, जो देश के साथ विदेशों तक अपनी अलग पहचान रखता है। यहां का कपड़ा देश के साथ विदेशों में कई देशों तक जाता है।पाली में रोजाना 1 करोड़ मीटर से अधिक कपड़ा तैयार किया जाता है। कई इकाइयां महिलाओं के सूट (गारमेंट) का कार्य भी कर रही है। जो ब्रांड के नाम से बिकता है। इसके बावजूद पाली में कपड़े की टेस्टिंग करने की सुविधा नहीं है। जिससे कई समस्याएं भी उत्पन होती है।

पाली में 800 से अधिक छोटी-बड़ी कपड़े की इकाइयां हैं। उनमें कई इकाइयों में सलवार सूट आदि भी तैयार किए जाते है। इनमें कपड़ा कौन सा इस्तेमाल हुआ है। वह सूती है या पॉलिस्टर व सिंथेटिक, रंग की गुणवत्ता कैसी है, धागे की मोटाई कितनी है। इनकी जांच टेस्टिंग लैब में अलग-अलग मशीनों से होनी चाहिए।जिससे निर्माता को कपड़े की पूरी जानकारी हो। वह जब बाजार में कपड़ा उतारे तो उसके बारे में पूरे विश्वास के साथ खरीदार को संतुष्ट कर सके, लेकिन लैब के बिना यह संभव नहीं हो रहा है। इससे व्यापार भी एक स्तर तक प्रभावित होता है।

कई बार मापदण्ड नहीं होते सही

कपड़ा कई बार मापदण्ड पर खरा नहीं उतरता है। कपड़ा यदि टेस्टिंग कराना होता है तो दिल्ली, जयपुर आदि शहरों में भेजना पड़ता है। एक्सपोर्ट करने के लिए कपड़े की टेस्टिंग जरूरी है।

यार्न मिक्स आ जाता है

पाली में सूती का कार्य है। उसमे कई बार सिंथेटिक यान मिक्स आ जाता है। इससे कपड़े में पट्टे आ जाते है। वह कपड़ा फिर फैंट में ही जाता है। इसकी जवाबदारी विवर्स नहीं लेते है। सप्लायर्स को नुकसान होता है।

नए इनोवेशन में परेशानी होती है

कपड़े की टेस्टिंग पाली में नहीं होने से नए इनोवेशन में परेशानी होती है। निर्यात भी परेशानी होती है। पाली से मुबई में टेस्टिंग के लिए कपड़े ज्यादा भेजते है। उसमे समय अधिक लगता है।

बेहतर मिल सकते हैं परिणाम

कपड़ों की टेस्टिंग की सुविधा पाली में उपलब्ध होती है तो इससे निर्यात को प्रोत्साहन मिल सकता है। अभी जो वस्त्र निर्माता अपने उत्पादों को देश के बाहर बेचना चाहते हैं तो उन्हें टेस्टिंग के बिना परेशानी होती है। इसके साथ ही पाली से कपड़ा खरीदने वाले बेहतर गुणवत्ता का प्रमाण पत्र देखकर अधिक संतुष्ट होंगे।

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