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RBI ने रेपो रेट पर लिया ये बड़ा एक्शन, जाने आपकी EMI और इंटरेस्ट पर पड़ेगा कितना असर

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जयपुर न्यूज़ डेस्क,  रिजर्व बैंक ने एक बार फिर अपने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया है. यह लगातार दसवीं बार है जब भारत के केंद्रीय बैंक ने अपनी मौद्रिक नीति की बैठक में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. रिजर्व बैंक ने पिछले साल फरवरी में रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत रखा था. इसके बाद से बैंक की मौद्रिक नीति कमिटी की नौ बैठक हो चुकी है. मगर इसमें रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया. रेपो रेट वह दर होता है जिस पर सभी व्यावसायिक बैंक देश के केंद्रीय बैंक से उधार लेते हैं. यह एक बहुत महत्वपूर्ण साधन होता है जिसके जरिए केंद्रीय बैंक देश की अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करती है और इससे देश में वित्तीय स्थिरता रहती है. 

रेपो रेट का आम लोगों के लिए महत्व

रेपो रेट के बढ़ने से व्यावसायिक बैंक भी बैंक दर बढ़ा देते हैं और इसका आम ग्राहकों पर असर पड़ता है. रेपो रेट के बढ़ने से ग्राहकों के लिए कर्ज लेना महंगा हो जाता है और उनकी ईएमआई या कर्ज अदायगी की किश्त बढ़ जाती है. इसी तरह से रेपो रेट के कम होने से ईएमआई कम हो सकती है और ग्राहकों को राहत मिलती है.अर्थव्यवस्था के लिहाज से इसका महत्व यह है कि यदि ग्राहकों की किश्त कम होती है तो उनके पास खर्च करने के लिए ज्यादा पैसे रहेंगे. इससे अर्थव्यवस्था में तेजी आ सकती है. मगर ग्राहकों के हाथ में बहुत ज्यादा पैसे रहने से महंगाई भी बढ़ती है. इसलिए महंगाई को नियंत्रित करने के लिए केंद्रीय बैंक समय-समय पर रेपो रेट को बढ़ाने का फैसला करते हैं.

गवर्नर शक्तिकांत दास ने दी जानकारी

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखने के बारे में रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति कमिटी की बैठक में फैसला हुआ. यह बैठक 7-9 अक्तूबर तक हुई और इसमें लिए गए फैसले की जानकारी रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने दी. शक्तिकांत दास ने कहा,"मौद्रिक नीति कमिटी ने तीन नए बाहरी सदस्यों के साथ बैठक की, और मैक्रोइकोनॉमिक और फाइनेंशियल परिस्थितियों और भविष्य को देखते हुए, एमपीसी के छह में से पांच सदस्यों ने पॉलिसी रेपो रेट को 6.5% रखने का फैसला किया."रिजर्व बैंक ने इससे पहले अगस्त में अपनी छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति की बैठक की थी और लगातार नवीं बार रेपो रेट को अपरिवर्तित रखने का फैसला किया था.

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