Top News
Next Story
NewsPoint

नवरात्रि में फलाहार का अनूठा विकल्प- गुलाब जामुन और समोसा, नहीं टूटेगा व्रत

Send Push

जयपुर न्यूज़ डेस्क, शारदीय नवरात्रि में कई भक्त पूरे नौ दिन उपवास रखते हैं। इस दौरान आलू की चाट, साबुदाने की खिचड़ी, सिंघाड़े के आटे की बनी पूरी जैसे फलाहार खाए जाते हैं। लेकिन अगर समोसा और गुलाब जामुन खाने का मन ललचाए तो क्या करें?घबराइए नहीं, उपवास में भी आप अपने फेवरेट जायकों के फलाहारी वर्जन का आनंद ले सकते हैं। नवरात्रि स्पेशल जायका सीरीज की पहली कड़ी में आज आपको रूबरू करवाते हैं चार तरह के आटे से तैयार होने वाले गुलाब जामुन और समोसा से। इन्हें व्रत में भी खाया जा सकता है।

भक्त करते हैं समोसे का नाश्ता, मीठे में गुलाब जामुन

जयपुर के टोंक रोड स्थित कोटा कचौरी पर यूं तो यहां फलाहार की 20 से अधिक वैरायटी मौजूद हैं, लेकिन उपवास करने वाले कई भक्त यहां के समोसे से नाश्ता करते हैं।कोटा कचौरी के ओनर रॉबिन जैन ने बताया- 1984 में मेरे पिता राजेंद्र कुमार जैन ने कोटा में जय जिनेंद्र नाम से फलाहार बेचने की शुरुआत की थी। इसके बाद 2008 में जयपुर में हमने 'फलाहार' नाम से पहला आउटलेट खोला। फिर 2012 में टोंक रोड पर कोटा कचौरी नाम से आउटलेट स्टार्ट किया। यहां फलाहारी व्यंजनों की रेंज बढ़ाने के लिए उन्होंने कई तरह के एक्सपेरिमेंट किए।

कस्टमर के डिमांड पर तैयार किया फलाहारी समोसा

जैन ने बताया- सबसे पहले साबूदाना की खिचड़ी, 10 तरीके की नमकीन, श्रीखंड, फ्रूट क्रीम, कलाकंद और लस्सी सर्व करते थे। धीरे-धीरे व्रत के दौरान आने वाले कस्टमर कुछ चटपटा खाने और फ्राइड आइटम की डिमांड करने लगे। कस्टमर की डिमांड पूरी करने के लिए हमने एक्सपेरिमेंट शुरू किए।सबसे पहले फलाहारी कचौरी बनाई, लेकिन उसका स्वाद सही नहीं बैठा। तब हमने सोचा क्यों न फलाहारी समोसा तैयार किया जाए। सबसे मुश्किल काम था फलाहारी आइटम से समोसे का बेस बनाना। अलग-अलग तरह के फलाहार को पीसकर बनाए आटे से बेस बनाने की कोशिश की। कई बार समोसा काला पड़ रहा था तो कई बार मटेरियल सेट नहीं हो पा रहा था।

आखिर में चार तरह के फलाहारी आटे का एक मिश्रण तैयार किया। उस मिश्रण में स्वाद के अनुसार सभी की मात्रा तय की। तब जाकर समोसे का बेस बना। स्टफिंग मटेरियल में आलू की जगह केले का इस्तेमाल किया।रॉबिन बताते हैं हमारे ज्यादातर कस्टमर जैन हैं। जैन समाज के लोग आलू नहीं खाते। ऐसे में केले का मसाला तैयार किया। फिर जो समोसा तैयार हुआ, उसका स्वाद लोगों को काफी पसंद आने लगा। यह समोसा अब न केवल व्रत के दिनों में बल्कि आम दिनों में भी लोगों की पसंदीदा डिश बन चुका है।इसके साथ दो तरीके की चटनी भी सर्व की जाती है। इसे भी खास इस समोसे के हिसाब से तैयार किया गया है।

फलाहारी समोसा तैयार करने के स्टेप

समोसे का बेस : समोसे चार तरीके के फलाहारी आटे का इस्तेमाल होता है। साबूदाना, राजगीर, सिंघाड़ा और मोरधन। सभी आटे में सेंधा नमक मिलाते हैं। मोयन के लिए मूंगफली का तेल डाल बेस का आटा तैयार करते हैं। अब इसे 15 से 20 मिनट तक ढक कर रख दिया जाता है जिसे आटा सेट हो सके।केले की स्टफिंग : समोसे में भरने के लिए केले को उबालते हैं। अब मूंगफली तेल में तड़का लगाते है, जिसमें जीरा, हरी मिर्च, हरा धनिया, सौंफ का इस्तेमाल होता हैं। मसालों में सफेद व काली मिर्च, सेंधा नमक, जीरा पाउडर डालते हैं। अब काजू और किशमिश मिलाकर समोसे में स्टफ किया जाता है।डीप फ्राई करना : स्टफिंग के बाद फ्राई करने से पहले समोसे को कुछ देर के लिए विशेष तापमान में रखा जाता है। अब समोसे को देसी घी या मूंगफली के तेल में फ्राई करते हैं।दो तरह की चटनी : समोसे के साथ सर्व करने के लिए अमचूर की मीठी चटनी और हरे धनिए की चटनी तैयार करते हैं। हरे धनिए की चटनी में नारियल और दही को मिक्स कर बनाया जाता है, जिससे इसका स्वाद और भी लजीज आता है।

फलाहारी गुलाब जामुन है खास

ईरान में 13वीं सदी के आसपास मैदे से बनी गोलियों को घी में फ्राई कर शहद की चाशनी में डुबोकर खाया जाता था। यह डिश जब भारत में आई तो इसे गुलाब जामुन कहा जाने लगा। भारत की सबसे लोकप्रिय डिश में से एक गुलाब जामुन का रॉबिन जैन ने फलाहारी वर्जन भी तैयार किया है।वे बताते हैं कि गुलाब जामुन आमतौर पर मावा और मैदा में बनता है। लेकिन उनके यहां फलाहारी गुलाब जामुन बनाने में मावे के साथ साबूदाना, राजगीर, सिंघाड़ा और मोरधन का आटा मिक्स करते हैं। फलाहारी गुलाब जामुन बनाने में किसी तरह के केमिकल का इस्तेमाल नहीं होता। न ही बेकिंग पाउडर डाला जाता है। इसकी सिकाई देसी घी में होती है।

गुलाब जामुन बनाने के स्टेप

एक प्लेट में ताजा खोवा (मावा) लेते हैं। गुलाब जामुन सॉफ्ट बने इसके लिए खोवा को हल्का सा सेक लेते हैं। अब इसमें साबूदाना, राजगीर, सिंघाड़ा और मोरधन का आटा छानकर मिक्स करते हैं। इसे अच्छे से मसलकर चिकना कर लेते हैं।
एक बर्तन में चीनी और पानी डालकर एक तार की चासनी तैयार करते हैं। सबसे आखिरी में इलायची पाउडर और केसर डालते हैं।
गुलाब जामुन के मिश्रण से छोटे-छोटे बॉल बनाते हैं। उसके अंदर काजू, पिस्ता, चिरौंजी दाना भरेंगे और उनको गोल गोल चिकना करके सुनहरा होने तक फ्राई करेंगे।
सुनहरी होने पर कड़ाही से निकालकर चाशनी में डाल देंगे। हमारे गुलाब जामुन बनकर तैयार हैं। ये फलाहारी गुलाब जामुन व्रत में खाए जा सकते हैं।

20 तरह के फलाहारी आइटम और नमकीन

रॉबिन जैन ने बताया कि उनके यहां व्रत में खाने के लिए 20 तरह की वैरायटी है। साबूदाने की खिचड़ी, साबूदाना दही बड़ा, साबूदाना बड़ा, फलाहारी समोसा, बादाम मिल्क, फ्रूट क्रीम, श्री खंड, कलाकंद, फलाहारी गुलाब जामुन, माखनिया लस्सी मिलती है।इसके अलावा कई तरह की फलाहारी नमकीन भी है। जैसे- आलू चिवड़ा, साबूदाना फलाहारी, राजगीर साबूदाना, ड्राई खिचड़ी, चरका फलाहारी, बादाम लच्छा, आलू स्टिक रेड, आलू वेफर्स, चटोरा वेफर्स, फलाहारी दाना, फलाहारी मठरी।

व्रत के लिए स्पेशल टिप्स

शरीर को प्रोटीन की कमी होने पर जब भूख का अहसास होने लगता है। ऐसे में राजगिरा व सिंघाड़े के आटे की रोटी और पालक, पुदीना और धनिया पत्ते की सब्जी बनाकर खा सकते हैं। राजगिरा के आटे से बनी रोटी में कैल्शियम 40 मिली ग्राम तक पाया जाता है। इससे फाइबर, एंटी ऑक्सीडेंट्स, विटामिन्स और मिनरल्स जैसे पोषक तत्व उपलब्ध हो सकेंगे।इससे भूखे पेट गैस की शिकायत नहीं होगी और शुगर और ब्लड प्रेशर के मरीजों को पर्याप्त पोषण मिलता रहेगा। भोजन को चबा-चबाकर खाएं। इससे पाचन आसान होगा और एसिडिटी नहीं होगी।

Explore more on Newspoint
Loving Newspoint? Download the app now