उदयपुर न्यूज़ डेस्क, उदयपुर केंद्र सरकार की ओर से देश के आदिवासी बहुल गांवों के समग्र विकास के लिए उन्हें उन्नत ग्राम अभियान से जोड़ा जाएगा। हालांकि, इसके लिए जिलों और उनके गांवों के नामों की अंतिम सूची अभी आना बाकी है, लेकिन यह तय है कि प्रदेश में इसका सबसे ज्यादा फायदा आदिवासी बहुल उदयपुर सहित दक्षिणी राजस्थान के अन्य जिलों को मिलने वाला है।उदयपुर सहित सलूंबर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, डूंगरपुर आदि जिलों में अधिसूचित जनजाति की आबादी 50 से 76 फीसदी तक है। केंद्र ने इस योजना में 30 राज्यों के 549 जिलों के 63 हजार जनजाति गांवों को जोड़ने का लक्ष्य रखा है। उदयपुर और बांसवाड़ा संभाग को प्रमुखता देते हुए प्रदेश के 208 ब्लॉक (पंचायत समिति क्षेत्र) के 6019 गांवों को इसमें जोड़ा जाएगा।केंद्र ने इस योजना की घोषणा 19 सितंबर को की थी। इसे लागू करने का जिम्मा राज्यों को दिया है। इसके पीछे देशभर के करीब 5 करोड़ आदिवासियों को साधना भी मकसद भी माना जा रहा है। योजना के तहत 79156 करोड़ खर्च किए जाएंगे।
योजना के तहत आवास, रोजगार और बुनियादी सुविधाएं देना मकसद
आवास और बुनियादी सुविधाओं का विकास : योजना के तहत 20 लाख से अधिक पक्के मकानों का निर्माण किया जाएगा। इनमें हर घर को स्वच्छ जल (जल जीवन मिशन) और बिजली (सौभाग्य योजना) की सुविधाएं दी जाएंगी। इन आवासों को स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालयों और अन्य बुनियादी सुविधाओं से लैस किया जाएगा। इससे आदिवासी क्षेत्र के लोगों को सुरक्षित और स्वच्छ आवास की सुविधा मिलेगी।कौशल विकास और रोजगार के अवसर : आदिवासी युवाओं को विभिन्न तकनीकी और व्यावसायिक कौशलों में प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके तहत फूड प्रोसेसिंग, कृषि, मत्स्य पालन और पशुपालन से संबंधित प्रशिक्षण देंगे। ट्राइबल होम स्टे और पर्यटन के विकास के जरिये रोजगार के अवसर पैदा किए जाएंगे। इसके पीछे स्वरोजगार, स्थानीय उद्यमिता को बढ़ावा देना और स्थायी आजीविका उपलब्ध करना उद्देश्य रहेगा।
स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार : आदिवासी क्षेत्रों में एक हजार से अधिक मोबाइल स्वास्थ्य इकाइयों की स्थापना की जाएगी। इनके जरिये दूरदराज के क्षेत्रों में उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाएंगी। आयुष्मान भारत योजना के तहत इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को 5 लाख रुपए तक की मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
शिक्षा और बुनियादी ढांचा : आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा के प्रसार के लिए कई नई योजनाओं की शुरुआत की जाएगी। इसके तहत एक हजार नए छात्रावासों का निर्माण और आदिवासी छात्रों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्रदान करने के लिए जिला और ब्लॉक स्तर पर नए स्कूलों की स्थापना होगी। आदिवासी इलाकों में डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए इंटरनेट और मोबाइल नेटवर्क की पहुंच को सुनिश्चित किया जाएगा।
पर्यटन और ग्रामीण विकास : सरकार द्वारा आदिवासी क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक हजार गांवों को पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित किया जाएगा। स्थानीय परिवारों को होम स्टे के माध्यम से रोजगार के अवसर प्रदान किए जाएंगे। सरकार द्वारा इन होम स्टे के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी। इससे पर्यटन और आर्थिक विकास दोनों को गति मिलेगी।
एफआरए पट्टाधारकों के लिए विशेष योजनाएं : वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) के तहत मान्यता प्राप्त पट्टाधारकों को विभिन्न सरकारी योजनाओं से जोड़ा जाएगा। जिसमें कृषि, पशुपालन और अन्य संसाधनों से जुड़ी योजनाएं शामिल होंगी। इससे वन क्षेत्र में निवास करने वाले आदिवासी समुदायों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जाएगा और उनके भूमि अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।
संरक्षित वन क्षेत्र और पर्यावरण संरक्षण : वन क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों की आजीविका के लिए पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखते हुए विकास योजनाओं को लागू किया जाएगा। इसके तहत वन उत्पादों के संरक्षण और सतत उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा, ताकि वन संसाधनों की रक्षा की जा सके और आदिवासियों की आय में वृद्धि हो।
2011 की जनगणना के अनुसार उदयपुर में करीब 15.21 लाख से अधिक लोग आदिवासी समाज के थे। अब इनकी संख्या बढ़कर 20 से 25 लाख तक होने का अनुमान है।
उदयपुर की कुल आबादी में से 49.7% (2011 की जनगणना के मुताबिक) आदिवासी समाज की है।
बांसवाड़ा में कुल आबादी के 76.4%, डूंगरपुर में 70.8%, प्रतापगढ़ में 63.4%, सिरोही में 28.2%, नागौर में 0.3% आदिवासी हैं। इन जिलों की 45 तहसीलों के 5,696 गांव शामिल।
2011 की जनगणना के मुताबिक इन जिलों में आदिवासी समाज की आबादी 45.52 लाख थी। बांसवाड़ा के गोविंद गुरु जनजाति विवि के प्रोफेसर राकेश डामोर का कहना है कि यह एक तरह से आदिवासी समाज के विकास की अवधारणा है। योजना का उद्देश्य आदिवासी समुदायों का सशक्तिकरण और दीर्घकालिक समृद्धि सुनिश्चित करना है।
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