Top News
Next Story
NewsPoint

Jaisalmer पोकरण फायरिंग रेंज में जोरदार धमाका, अप्रयुक्त विस्फोटकों को नष्ट किया

Send Push

जैसलमेर न्यूज़ डेस्क, जैसलमेर स्थित पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में भारतीय सेना ने अनुपयोगी गोला-बारूद को नष्ट करने की कार्रवाई की। इस दौरान फायरिंग रेंज में बहुत बड़ा गड्ढा बनाकर गोला बारूद को उसमें रखकर वायर के माध्यम से नष्ट करने की प्रक्रिया को अपनाया गया। इस दौरान फायरिंग रेंज में तेज धमाके हुए जो कई किलोमीटर दूर तक सुनाई दिए।भारतीय सेना की कोणार्क कोर डिवीजन के अधिकारियों और जवानों ने इस कार्य को अंजाम दिया। सेना ने इसकी जानकारी देते हुए बताया- 'कोणार्क कोर के टस्कर्स ने पोकरण में खतरनाक अनुपयोगी गोला-बारूद को नष्ट किया। सुरक्षित निपटाने से अनजाने में विस्फोट, आग या पर्यावरण प्रदूषण का जोखिम कम हो जाता है, जिससे भारतीय सेना के सुरक्षा प्रोटोकॉल सुनिश्चित होते हैं।'

सुरक्षित तरीके से किया गया निपटारा

गौरतलब है कि सेना कि सबसे बड़ी फील्ड फायरिंग रेंज में सालभर कई युद्धाभ्यास होते रहते हैं। ऐसे में कई गोला बारूद युद्धाभ्यास के दौरान रेंज में बिना फटे ही रह जाते हैं। ऐसे में कोई हादसा ना हो जिसको लेकर सेना ने फायरिंग रेंज में ऐसे अनुपयोगी गोला बारूद को इकट्ठा किया और उनको नष्ट करने की कार्रवाई की। इसको सुरक्षित तरीके से फायरिंग रेंज में निपटाया गया।

सेना की सबसे बड़ी फील्ड फायरिंग रेंज

जैसलमेर जिला रेगिस्तानी क्षेत्र होने के कारण यहां सालभर मौसम में उष्णता व आंधियों का दौर चलता रहता है। सीमावर्ती जैसलमेर में मई-जून में तन झुलसाने वाली 50 डिग्री रहती है तो आम दिनों में भी अधिकतम तापमापी पारा 30 डिग्री या आसपास ही रहता है, लेकिन सर्दियों में पोकरण क्षेत्र से सटे चांधन में पारा शून्य डिग्री से भी नीचे गिर जाता है। मौसम की यह विविधता पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज परीक्षणों की हर परीक्षा के लिए दक्षता साबित करने में सहायक साबित करती है। इसलिए यहां सालभर सेना द्वारा परीक्षण और प्रशिक्षण दोनों ही किए जाते हैं।

परमाणु परीक्षण के बाद आई सुर्खियों में

साल 1998 में सिलसिलेवार परमाणु परीक्षण के बाद सुर्खियों में आई पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज भारत के बड़े रेंज क्षेत्रों में से एक है। इस रेंज को चार भागों ए, बी, सी व डी में बांटा गया है। खेतोलाई, धोलिया व लाठी के पास स्थित रेंज क्षेत्र में थल सेना और चांधन क्षेत्र के पास स्थित रेंज क्षेत्र में वायुसेना के युद्धाभ्यास होते है। यहां सालभर युद्धाभ्यास चलता रहता है। विशेष रूप से सर्दियों के मौसम में देश के कई हिस्सों से बटालियनें यहां आती है और युद्धाभ्यास किया जाता है। इस दौरान नई तोप, बंदूक, गोलों के साथ आधुनिक हथियारों का परीक्षण भी यहीं पर होता है।

अब तक के प्रमुख परीक्षण

रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (DRDO) की ओर से देश में विकसित तीसरी पीढ़ी की एंटी टेंक गाइडेड मिसाइल नाग के मॉडर्न वर्जन का परीक्षण।
ब्रह्मोस मिसाइल- 2 का परीक्षण पोकरण क्षेत्र के 58 किलोमीटर दूर अजासर क्षेत्र में लक्ष्य।
एम 777 अल्ट्रा लाइट हॉविट्जर्स तोपों का मुख्य परीक्षण। दूसरे चरण के तहत इन डायरेक्ट फायर का परीक्षण।
भारतीय सेना द्वारा टी- 90 भीष्म टैंक का परीक्षण।
वायुसेना की ओर से वायु शक्ति युद्धाभ्यास के तहत फ्रंट लाइन एयरक्राफ्ट की ताकत का परीक्षण।
रेगिस्तान में दुश्मन को घेरकर मारने की नीति को लेकर युद्धाभ्यास।
पिनाक, स्मर्च व होवित्जर, धनुष, आकाश जैसे युद्धक हथियारों का परीक्षण
पोकरण फायरिंग रेंज में अर्जुन टैंक के अपग्रेड वर्जन का परीक्षण।

 

Explore more on Newspoint
Loving Newspoint? Download the app now