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राजस्थान में ACB की बड़ी कार्रवाई, IAS के घर की छापेमारी, मिले कई बैंक खाते और अवैध प्रॉपर्टी

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जयपुर न्यूज़ डेस्क, आय से अधिक संपत्ति के मामले में एसीबी ने बुधवार (2 अक्तूबर) को आईएएस राजेंद्र विजय के घर पर छापा मारा. जयपुर, कोटा और दौसा में सर्च किया. एसीबी को 13 प्लॉट के कागजात मिले थे. इनमें टॉक रोड पॉश कॉलोनी में बना बंगला, सी-स्कीम आशोक मार्ग पर बना कॉमर्शियल लग्जरी कॉम्प्लेक्स और जगतपुरा सहित अन्य पॉश एरिया के कॉमर्शियल प्लॉट शमिल थे. 

जयपुर में जूडियो के शोरूम से जुड़े दस्तावेज भी बरामद 

अधिकारियों ने लग्जरी कॉम्प्लेक्स के कागजात देखा तो उनके होश उड़ गए, क्योंकि बिल्डिंग बनने के दौरान बहुत चर्चा थी. राजेंद्र विजय के पास 16 अलग-अलग बैंकों के खाते मिले. 2 लाख 22 हजार नकदी, 335 ग्राम सोने के ज्वेलरी, 11 किलो 800 ग्राम चांदी और 3 चार पहिया वाहन मिले. जयपुर में जूडियो के शोरूम से जुड़े सहित अन्य दस्तावेज भी बरामद हुए. कई बीमा पॉलिसी में राजेंद्र ने निवेश किया है. बैंक लॉकर की तलाश होना बाकी है. 

एसीबी को चार महीने पहले ही मिले थे इनपुट 

एसीबी को डीजी डॉ. रवि प्रकाश मेहरड़ा ने मीडिया को बताया कि एसीबी की इंटेलीजेंस शाखा को 4 महीने पहले इनपुट मिला था. आईएएस राजेंद्र विजय ने सरकारी सेवा के दौरान भ्रष्टाचार करके करोड़ों रुपए कमाए हैं. शहर के पॉश एिरया में निवेश कर रहे हैं. डीआईजी कालूराम रावत ने वेरिफाई कराने के बाद केस दर्ज कर लिया. इसके जांच अधिकारी एडिशनल एसपी पुष्पेंद्र सिंह राठौड़ ने कोर्ट वारंट लेकर टीम गठित की.  बाद बुधवार (2 अक्तूबर) को जयपुर, कोटा और दौसा के चार ठिकानों पर छापा मारा. 

2020 में प्रमोट होकर बने थे आईएएस 

राजेंद्र विजय 1991 के आरएएस अधिकारी हैं. 2020 में प्रमोट होकर आईएएस बने. 2010 का बैच मिला था. 22 सितंबर को कोटा का संभागीय आयुक्त बनाया गया था. 25 सितंबर को जॉइन किया था. एसीबी ने राजेंद्र विजय को APO  कर दिया था. कोटा संभागीय आयुक्त के पद पर मात्र 7 दिन रहे, इससे पहले 5 सितंबर को उन्हें रूडसिको ने एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर लगाया था, 17 दिन रहे. 

बारां और बालोतरा के कलेक्टर भी रह चुके 

बारां और बालोतरा के कलेक्टर भी रह चुके हैं. राजेंद्र विजय मूल रूप से दौसा के दुब्बी गांव के रहने वाले हैं. एसीबी की टीम उनके पैतृक आवास पर भी पहुंची. जब वहां पर परिवार को कोई सदस्य नहीं मिला तो मकान को सील कर दिया. परिवार की मौजूदगी में सर्च अभियान चलेगा. अब प्रॉपर्टी के मिले कागजात के आधार पर उनकी वैल्यू का मूल्यांकन होगा. इसके बाद पूछताछ करेगी. 

पत्नी के नाम बड़ा निवेश 

राजेंद्र विजय कोटा के सर्किट हाउस में ही रुके थे. सरकारी आवास में शिफ्ट नहीं हुए थे.  9 घंटे कार्रवाई चली. जांच में मिला कि राजेंद्र पत्नी के नाम बड़ा निवेश है. पत्नी के नाम रजिस्टर्ड फर्म से ट्रेडिंग और कपड़ा कारोबार है. बेटा संकल्प एक एनजीओ चलाता है. 

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