मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू बहुत जल्द भारत का आधिकारिक दौरा कर सकते हैं.
दोनों देशों के अधिकारी मुइज़्ज़ू की संभावित यात्रा की तारीख़ तय करने में लगे हैं.
इस बीच, मुइज़्ज़ू ने ये कहकर चौंकाया है कि उन्होंने कभी भी ‘इंडिया आउट’ का नारा नहीं दिया. उनका देश कभी भी किसी भी वक़्त किसी एक देश के ख़िलाफ़ नहीं रहा है.
अमेरिका में मुइज़्ज़ू ने भारत विरोधी रुख़ से इनकार करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मज़ाक उड़ाए जाने की निंदा की और कहा कि इसके ख़िलाफ़ उनकी सरकार ने कार्रवाई की.
मुइज़्ज़ू ने इस बात से इनकार किया है कि मालदीव भारत विरोधी एजेंडे को आगे बढ़ा रहा है.
BBC बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करेंमुइज़्ज़ू के इस बयान को चौंकाने वाला इसलिए माना जा रहा है क्योंकि पिछले साल मुइज़्ज़ू ने 'इंडिया आउट' के नारे पर भी चुनाव जीता था.
नवंबर 2023 में राष्ट्रपति बनते ही उन्होंने सबसे पहले भारत सरकार से मालदीव में मौजूद अपने सैनिकों को हटाने के लिए कहा था.
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संयुक्त राष्ट्र महासभा की 79वीं बैठक में हिस्सा लेने न्यूयॉर्क पहुंचे मुइज़्ज़ू से प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ पब्लिक एंड इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम में मालदीव की विदेश नीति को लेकर सवाल किए गए.
उनसे पिछले साल के राष्ट्रपति चुनाव में भारत की तुलना में चीन समर्थक नीति अपनाने के बारे में सवाल किया गया. इसी सवाल के जवाब में उन्होंने भारत का ज़िक्र किया.
जलवायु परिवर्तन के सिलसिले में सवाल करते हुए जब मुइज़्ज़ू से मालदीव के चीन की ओर ज़्यादा झुकाव और उससे 20 समझौते करने के बारे मे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मालदीव की विदेशी नीति व्यापक रही है.
उन्होंने कहा, ''जिस दिन से मैंने अपना चुनावी अभियान शुरू किया है उसी दिन से हमने एक व्यापक विदेश नीति अपनाने का फैसला किया. हमने कभी 'इंडिया आउट' नहीं कहा. दरअसल हमारे देश में विदेशी सैनिकों की मौजूदगी एक गंभीर मसला था."
"एक भी विदेशी सैनिक मालदीव के लोगों को मंज़ूर नहीं है. ये सैनिक भारत के हैं इसलिए इसका अर्थ ये निकाला जाना ग़लत है कि हम भारत के ख़िलाफ़ हैं. अगर ये सैनिक दूसरे देश के होते तो भी यही समस्या होती.''
उन्होंने कहा, ''ये मुद्दा हमने (भारत के साथ मिलकर) बड़े ही कूटनीतिक तरीके से सुलझाया. भारत सरकार के पूरे सहयोग और कूटनीतिक रास्तों के ज़रिये इस समस्या का समाधान किया गया. और भारत ने अपने सभी सैनिकों को वापस बुला लिया है. अब वहां सिविलयन तैनात हैं जो हेलीकॉप्टर ऑपरेशन और दूसरे तरह के काम को अंजाम दे रहे हैं. लेकिन ये बहुत पेचीदा मसला था.''
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मुइज़्ज़ू से पूछा गया कि क्या वो विदेशी सैनिकों की वापसी के मसले को इसलिए पेचीदा कह रहे हैं क्योंकि उनकी भारत यात्रा से पहले मालदीव के उन दो मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया है, जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी.
इस पर उन्होंने कहा, ''कूटनीतिक तौर पर इसके इस तरह से मायने निकालना कठिन हैं. लेकिन मेरा मानना है कि किसी को भी ऐसी बात नहीं कहनी चाहिए. मैंने उनके (मंत्रियों) ख़िलाफ़ एक्शन लिया. मैं किसी के भी ख़िलाफ़ ऐसी बातें कहने के ख़िलाफ़ हूं चाहे वो कोई नेता हो या आम शख़्स. हर व्यक्ति की गरिमा होती है. इसलिए किसी को भी किसी के ख़िलाफ़ ऐसी बातें कहने की इजाज़त नहीं होनी चाहिए.''
दरअसल मुइज़्ज़ू के इस बयान को उनके कथित भारत विरोधी रवैये के उलट देखा जा रहा है. शुरुआत में उन्होंने भारत विरोधी रवैया अपनाया था. उन्होंने भारत की ओर इशारा कर कहा था कि भले ही कोई छोटा देश हो लेकिन उसकी अपनी संप्रभुता होती है. छोटा देश होने की वजह से किसी बड़े देश को उस पर धौंस जमाने का हक नहीं मिल जाता.
लेकिन पिछले एक साल में भारत और मालदीव दोनों ने आपसी संबंधों को सुधारने की कोशिश की है. इस दिशा में किए गए कूटनीतिक कोशिशों का ही नतीजा है कि मुइज़्ज़ू के भारत आने की तैयारी हो रही है.
भारत के अंग्रेजी अख़बार ‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि मुइज़्ज़ू पहले सितंबर में भारत आने वाले थे लेकिन अब वो अगले महीने के दूसरे हफ्ते में यहां आ सकते हैं. हालांकि अभी इसकी तारीखें तय नहीं हुई हैं.
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मुइज़्ज़ू ने पिछले साल राष्ट्रपति पद के अपने चुनाव अभियान में ‘इंडिया आउट’ यानी भारत को देश से बाहर करने का नारा दिया था. मुइज़्ज़ू चीन के साथ बेहतर रिश्तों के पक्षधर हैं.
मुइज़्ज़ू ने अपने चुनावी अभियान में उस समय की मालदीव सरकार पर आरोप लगाया था कि देश के नीतिगत फ़ैसलों में भारत के दख़ल से 'मालदीव की संप्रभुता और आज़ादी' कमज़ोर पड़ी है.
मुइज़्ज़ू के सत्ता संभालते ही भारत के साथ मालदीव के राजनयिक संबंधों में तनाव की स्थिति बन गई थी.
उनके राष्ट्रपति बनते ही मालदीव ने भारत के ख़िलाफ़ काफी आक्रामक रवैया अपनाया था.
मोहम्मद मुइज़्ज़ू राष्ट्रपति बनने के बाद सबसे पहले 27 नवंबर को तुर्की के दौरे पर गए थे. फिर वो अपनी पत्नी के साथ चीन के दौरे पर भी गए थे.
उन्होंने यहां तक कहा था कि मालदीव की अपनी संप्रभुता है. भारत की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा था कि छोटा देश होने का मतलब ये नहीं है कि किसी बड़े देश को उस पर धौंस जमाने का हक मिल जाता है.
लेकिन ये विवाद तब और बड़ा हुआ जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी साल लक्षद्वीप का दौरा किया था. उन्होंने इसकी कुछ तस्वीरें पोस्ट कीं और भारतीयों से लक्षद्वीप घूमकर आने की बात भी कही.
इस पर सोशल मीडिया पर मालदीव की बजाय लक्षद्वीप जाने की चर्चा ने ज़ोर पकड़ा.
लेकिन पीएम मोदी की तस्वीरों पर मुइज़्ज़ू सरकार में मंत्री मरियम शिउना ने आपत्तिजनक ट्वीट किए थे. उन्होंने पीएम मोदी को इसराइल से जोड़ते हुए निशाने पर लिया था. उस समय दोनों मंत्रियों को निलंबित कर दिया गया था.
लेकिन मालदीव को इस विवाद की कीमत अपनी अर्थव्यवस्था का सबसे बड़े आधार यानी टूरिज़म सेक्टर में आई सुस्ती से चुकानी पड़ी थी.
मालदीव जाने वाले भारतीयों की संख्या घटी. मालदीव पर्यटन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक़ जनवरी 2024 में करीब 13 हज़ार भारतीय मालदीव घूमने गए लेकिन ये आंकड़ा 2023 के जनवरी महीने में 17 हज़ार से अधिक था.
इसके बाद मोहम्मद मुइज़्ज़ू ने मालदीव में मौजूद भारतीय सैनिकों को भी चरणबद्ध तरीके से वापस भारत भेजने का फैसला किया.
हालांकि बाद में दोनों देशों ने इस मसले को कूटनीतिक तौर पर सुलझाया और भारतीय सैनिकों की वापसी हो गई है. इसके बाद दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारने की पहल शुरू हुई.
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भारत और मालदीव के बीच रिश्तों में सुधार के बड़े संकेत तब मिले जब इस साल मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में मुइज्ज़ू को खासतौर पर भारत बुलाया गया.
इसके बाद भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अगस्त 2024 में मालदीव की यात्रा की.
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू की चीन से नज़दीकी ज़ाहिर होने के बाद यह भारत के किसी बड़े मंत्री की पहली मालदीव यात्रा थी.
एस जयशंकर ने अपनी इस यात्रा में मालदीव में यूपीआई से पेमेंट की सुविधा शुरू करने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किया.
इसके अलावा दोनों देशों के बीच आपसी संबंध को मज़बूत करने के लिए कई मुद्दों पर बातचीत हुई.
विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाक़ात के बाद मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू ने एक्स पर पोस्ट किया.
मोहम्मद मुइज़्ज़ू ने भारत को अपने सबसे क़रीबी सहयोगियों में से एक बताया.
वहीं भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी मालदीव के साथ संबंधों को ख़ास बताया.
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भारत और मालदीव के मौजूदा संबंधों पर जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय मामलों के प्रोफेसर हैपीमॉन जैकब ने हाल ही में बीबीसी हिंदी से कहा था, "नेपाल और भूटान की तरह ही बीते दशक में भारत के साथ मालदीव के संबंध ज़्यादा पेचीदा हो गए हैं. क्योंकि, चीन ने दक्षिण एशिया में अपना प्रभाव बढ़ा लिया है. हाल ही के घटनाक्रम में बांग्लादेश भी अब भारत के लिए उतना अनुकूल नहीं दिख रहा है."
भारत और मालदीव के संबंधों के मामले में जिंदल स्कूल ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स में स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल इनिशिएटिव विभाग के डीन प्रोफेसर (डॉ.) मोहन कुमार इसका दूसरा पहलू बताते हैं.
वह कहते हैं, "एक साल पहले मालदीव के साथ संबंधों को लेकर भारत ने जिस तरह की परिस्थितियों का सामना किया था, उनमें अब एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. एक बार फिर भारत और मालदीव के संबंध रास्ते पर लौटते दिख रहे हैं. यह दोनों देशों के लिए एक अच्छा संकेत है."
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्जू के बदले रवैये को लेकर प्रोफेसर मोहन कुमार कहते हैं, "मालदीव को यह बात समझ आ चुकी है कि यदि भारत के साथ उसके संबंध बिगड़ते हैं, तो इसका मालदीव पर बुरा असर पड़ेगा."
"यही वजह है कि मालदीव ने अब अपनी रणनीति में बदलाव किया है. अब उसकी कोशिश भारत और चीन के अलावा बाकी देशों के साथ भी संतुलन स्थापित करते हुए आगे बढ़ने की है, ताकि उसके हितों का नुक़सान न हो. क्योंकि, समय के साथ-साथ मालदीव को यह अहसास हो चुका है कि भारत से संबंध पूरी तरह ख़त्म करके उसको किसी भी तरह से फायदा नहीं होने वाला है."
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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