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राजस्थान: तेंदुए के हमलों से ख़ौफ़ में उदयपुर का ये इलाक़ा, सेना-पुलिस के शार्पशूटर तैनात - ग्राउंड रिपोर्ट

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BBC गांव के लोग विरोध प्रदर्शन करते हुए

राजस्थान के उदयपुर ज़िला मुख्यालय से क़रीब 40 किलोमीटर दूर गोगुंदा थाना क्षेत्र के लोग इन दिनों तेंदुए के हमलों से बेहद दहशत में हैं.

18 सितंबर से एक अक्टूबर के बीच इस क्षेत्र के विभिन्न गांवों में तेंदुए के हमलों में सात लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग शामिल हैं.

तेंदुए को पकड़ने के लिए वन विभाग और प्रशासन ने बड़े पैमाने पर अभियान शुरू किया है, जबकि सेना और पुलिस की टीमें शार्प शूटरों के साथ इलाके में तैनात हैं.

बढ़ते हमलों को देखते हुए, एक अक्टूबर को राज्य के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ़) पवन कुमार उपाध्याय ने तेंदुए को गोली मारने के आदेश जारी कर दिए हैं.

बीबीसी की टीम ने इस क्षेत्र का दौरा कर यह जानने का प्रयास किया कि इस इलाके के लोग किस हद तक दहशत में हैं और प्रशासन कौन-कौन से कदम उठा रहा है.

image BBC बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए घरों में 'क़ैद' हैं लोग, छावनी में तब्दील हुए गांव image BBC तेंदुए के हमले के बाद तैनात शूटर

गोगुंदा थाना क्षेत्र के 'केलवों का खेड़ा' और 'राठौड़ों का गुड़ा' गांव में दो दिनों के भीतर तेंदुए के हमले में दो लोगों की मौत हो चुकी है, जिसके बाद से वन विभाग, सेना, और राजस्थान पुलिस की कई टीमें शूटरों के साथ यहां तैनात हैं.

वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इंसानों पर हमला करने वाला तेंदुआ इसी इलाके में सक्रिय है. उसे पकड़ने के लिए जंगलों और पहाड़ियों में बड़े स्तर पर सर्च ऑपरेशन जारी है. हालांकि, चार दिनों के बाद भी कोई सफलता हासिल नहीं हो सकी.

'केलवों का खेड़ा' और 'राठौड़ों का गुड़ा' के ज्यादातर ग्रामीण अपने घरों में कैद हो चुके हैं. गांव की सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है, जबकि सरकारी गाड़ियों का आना-जाना कुछ दिनों से लगातार जारी है.

गांव के बाहर हथियारबंद पुलिसकर्मी तैनात हैं, जबकि ऊंची छतों और पहाड़ियों पर सेना और पुलिस के शार्प शूटर तैनात किए गए हैं. दूरबीन और ड्रोन से आसमान से भी नजर रखी जा रही है.

गांव के आसपास के जंगल और ऊंची पहाड़ियों में सेना, पुलिस और वन विभाग की टीमें हथियार और लाठियों के साथ दिन-रात सर्च ऑपरेशन चला रही हैं. राठौड़ों के गुड़ा गांव के सरकारी स्कूल में पुलिस, प्रशासन और वन विभाग के अधिकारियों ने बेस कैंप बनाया है.

कैसे चलाया जा रहा है सर्च ऑपरेशन? image BBC वन विभाग और पुलिस अधिकारी तेंदुए को पकड़ने के लिए रणनीति बनाते हुए

सुबह से ही सर्च ऑपरेशन शुरू होता है और दोपहर में थोड़ा आराम के बाद नई रणनीति तैयार की जाती है. फिर रातभर तेंदुए की तलाश जारी रहती है.

एसडीएम नरेश सोनी बताते हैं, "हम एक योजनाबद्ध तरीके से काम कर रहे हैं. तेंदुए की मूवमेंट इसी इलाके में है. इसलिए हम उसे पहाड़ियों के तीन ओर से घेर रहे हैं और दूसरी ओर शूटर तैनात किए गए हैं."

तेंदुए को जंगल से बाहर निकालने के लिए ढोल और पटाखों का इस्तेमाल किया जा रहा है, ताकि वह बाहर आए और उसे ट्रेंकुलाइज या शूट किया जा सके.

गिर्वा सर्किल के डिप्टी एसपी गजेंद्र सिंह राव ने कहा, "तीन दिन से राठौड़ों के गुड़ा में हमारा ऑपरेशन जारी है. वन विभाग की टीमें, प्रशासनिक अधिकारी, राजस्थान पुलिस, आर्मी के जवान और शूटर तैनात हैं. आठ शूटर पुलिस के हैं, आर्मी के 12 जवान हैं और वन विभाग के शूटर भी शामिल हैं."

डिस्ट्रिक्ट फॉरेस्ट ऑफिसर अजय चित्तौड़ा ने कहा, "एक तारीख की घटना के बाद हमने पहाड़ी को तीन तरफ से घेरा है. जहां भी गैप था, वहां पुलिस और वनकर्मी तैनात कर दिए, ताकि कोई भी मूवमेंट दिखे तो वह कैप्चर हो जाए."

एसडीएम गोगुंदा नरेश सोनी ने बताया, "हमारे पास एक पूरा प्लान है. आखिरी मौत जहां हुई थी, हमने शव को पांच घंटे तक नहीं उठाया और तीन जगह से घेर कर इंतजार किया, क्योंकि यह माना जाता है कि तेंदुआ शव के पास लौटकर आता है, लेकिन वह नहीं आया."

image BBC तेंदुए के फुटप्रिंट

वन विभाग ने तेंदुए को पकड़ने के लिए कई जगह पिंजरे लगाए हैं. फॉरेस्ट ऑफिसर अजय चित्तौड़ा ने हमें पैंथर के फुटप्रिंट दिखाते हुए बताया, "हमें कुछ पगमार्क मिले हैं, जो बताते हैं कि कल रात तक उसका मूवमेंट यहां था. हमने इसी इलाके में 9 पिंजरे लगाए हैं."

एक घर की छत पर खड़े शूटर अमन पुरी गोस्वामी ने कहा, "रात को तेंदुए का मूवमेंट हुआ था, सुबह जब जंगल के अंदर देखा तो वह निकल चुका था.

''सातों मौतों के पीछे एक ही तेंदुआ'' image BBC उंडीथल गांव से चार तेंदुओं को पकड़ा गया

तेंदुए के शुरुआती हमलों में इस इलाके में तीन लोगों की मौत के बाद पुलिस, प्रशासन और वन विभाग सक्रिय हो गए. उंडीथल गांव से चार तेंदुओं को पकड़ा गया, और यह माना गया कि अब हमले रुक जाएंगे. लेकिन हाल के दिनों में हमले फिर से शुरू हो गए.

डिस्ट्रिक्ट फॉरेस्ट ऑफिसर अजय चित्तौड़ा ने बीबीसी को बताया, "हमने तीन तेंदुए पकड़े थे. एक बच्चे की मौत के बाद, वहां से एक मादा तेंदुए को भी पकड़ा गया था. लेकिन इसके बाद भी एक बच्ची समेत तीन और लोगों की मौत हुई, और सभी को मारने का तरीका एक जैसा था."

डीएसपी गजेंद्र सिंह राव ने बताया, "विशेषज्ञों के मुताबिक सात मौतों के पीछे एक ही तेंदुआ हो सकता है."

image BBC वाइल्डलाइफ डॉक्टर हिमांशु ने कहा कि पकड़े गए चार तेंदुओं में से दो उम्रदराज हैं

वन विभाग की टीम के साथ मौजूद वाइल्डलाइफ डॉक्टर हिमांशु ने कहा, "जिन चार तेंदुओं को पकड़ा गया है, उनमें से दो तेंदुए काफी उम्रदराज हैं और उनके कैनाइन घिस चुके हैं."

उन्होंने आगे बताया, "यह तेंदुए ह्यूमन किलर हैं या नहीं, इसकी जांच के लिए उनके स्टूल, ब्लड और बाल के नमूने लेकर देहरादून के वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को भेजे गए हैं. जांच के बाद ही इस बारे में पता चल पाएगा."

इस बीच, एक अक्टूबर को राज्य के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) पवन कुमार उपाध्याय ने इंसानों पर हमला करने वाले तेंदुए को कुछ शर्तों के साथ गोली मारने के आदेश जारी किए हैं.

आदेश में बताया गया है, "सभी पहलुओं पर विचार-विमर्श कर सहमति बनी है कि यह तेंदुआ (बघेरा) मानव शिकार के लिए अभ्यस्त हो चुका है, जिसे पकड़ना, ट्रैंकुलाइज यानी बेहोश करना या कहीं और छोड़ना संभव नहीं है."

"लोगों की जान की सुरक्षा के मद्देनज़र, तेंदुए को मारना उचित होगा. हालांकि, गोली मारने से पहले उसे ट्रैंकुलाइज और ट्रैप करने की कोशिश की जाएगी. यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि जिस तेंदुए को मारा जा रहा है, वह वही तेंदुआ हो जो इंसानों पर हमला कर रहा है."

image BBC गोली मारने का आदेश जारी कहां-कहां हुईं ये सात मौतें? image BBC तेंदुए के पकड़ने के लिए लगाए गए पिंजरे

वन विभाग के अधिकारी अजय चित्तौड़ा ने बीबीसी से कहा, "19 सितंबर की सुबह गोगुंदा के उंडीथल गांव में एक महिला का शव मिला था. हमारा मानना है कि पहला हमला 18 सितंबर की रात को हुआ था. इसके बाद भेवड़िया और कुंडाऊ गांव में एक पांच साल की बच्ची को तेंदुए ने मार दिया."

19 सितंबर को इसी इलाक़े के भेवड़िया गांव में 65 साल के खुमाराम को तेंदुए ने शिकार बनाया.

20 सितंबर को उमरिया गांव में 45 साल की हमेरीबाई की भी ऐसे ही मौत हुई.

28 सितंबर को गुर्जर का खेड़ा गांव में एक महिला गटू बाई अपने खेतों में काम कर रही थीं, जब तेंदुआ उन्हें उठा ले गया और देर रात उनका शव मिला.

30 सितंबर को राठौड़ों का गुड़ा गांव में एक मंदिर के बाहर सो रहे पुजारी को तेंदुआ उठा ले गया और नज़दीक ही उनका शव मिला.

एक अक्टूबर की सुबह करीब साढ़े सात बजे केलवों का खेड़ा गांव में तेंदुए ने एक महिला पर हमला किया, जो घर के बाड़े में पशुओं को बांध रही थीं. तेंदुए ने उन्हें मार दिया.

अजय चित्तौड़ा आगे कहते हैं, "एक अक्टूबर के बाद से कोई मौत तो नहीं हुई, लेकिन इस बीच इलाके में कई बार तेंदुए ने ग्रामीणों पर हमले किए."

जिन्होंने अपनों को खोया वो क्या कह रहे हैं? image BBC राठौड़ों के गुड़ा गांव में मोहन ने कहा कि भूखे मरने की नौबत आ गई है

गोगुंदा इलाके के लगभग सभी गांवों में तेंदुए का ख़ौफ फैला हुआ है, खासकर उन गांवों में जहां तेंदुए के हमले से मौतें हुई हैं. आसपास के गांवों तक भी लोग दहशत में हैं और बाहर निकलने से कतरा रहे हैं.

बच्चों को स्कूल भेजना बंद कर दिया गया है. केलवों का खेड़ा गांव की भंवर कंवर, जो अपनी बकरियों के पास बैठी हैं और जिनके घर की छत पर शूटर तैनात हैं, बताती हैं, "मेरी जेठानी कमला को तेंदुए ने मार डाला. गांव में बहुत डर है, बाहर जाएंगे तो तेंदुआ खा जाएगा. कोई बाहर नहीं निकल रहा है."

भंवर कंवर आगे कहती हैं, "हम बहुत परेशान हैं. अगर बकरियों को बाहर बांध दें तो तेंदुआ उन्हें ले जाएगा. जंगल में अकेले नहीं जा सकते हैं." हाथ से इशारा करते हुए कहती हैं, "इतना बड़ा तो उसका मुंह होता है, डर तो लगेगा ही."

राठौड़ों के गुड़ा गांव में मोहन, जो मजदूरी कर अपने चार बच्चों के परिवार का खर्च चलाते हैं, कहते हैं, "बीते कई दिनों से बाहर नहीं निकले हैं. मवेशी घर में बंधे हैं और भूखे मरने की नौबत आ गई है. मजदूरी पर नहीं जा रहे हैं क्योंकि डर लग रहा है."

गुर्जरों का खेड़ा गांव में 28 सितंबर को गटू बाई की तेंदुए के हमले में मौत हो गई थी. यहां लोग अभी भी दहशत में हैं.

उनके पति मोती लाल, जो लगभग 75 साल के हैं, बताते हैं कि एक हाथ से ठीक से काम नहीं कर सकते थे, इसलिए उनकी पत्नी खेती का काम करती थीं. वो बताते हैं, "चेहरा, हाथ सब खा गया था."

उनके बेटे देवीलाल कहते हैं, "रात को पिता ने बताया कि मां घर नहीं आईं. गांव वालों ने ढूंढा और घास काटने का औजार मिला, खून बिखरा हुआ था. रात 9 बजे शव मिला, जिसमें कुछ नहीं बचा था. दोनों हाथ और मुंह खा गया था, गला कटा हुआ था."

अर्जुन सिंह, जो इसी गांव के निवासी हैं, कहते हैं, "कई दिनों से घरों से बाहर नहीं निकले हैं. बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं. हम चाहते हैं कि जल्द से जल्द तेंदुए को पकड़ा जाए, वरना ये घटनाएं यूं ही जारी रहेंगी. हम तो पचास लाख रुपए और नौकरी की मांग करते हैं."

कुंडाऊ गांव, जो गुर्जरों का खेड़ा से करीब सात किलोमीटर दूर है, में 25 सितंबर को सुंदरी गमेती अपनी पांच साल की बेटी सूरज के साथ नहाने और कपड़े धोने आई थीं. उसी समय तेंदुआ उनकी बेटी को उठा ले गया. सुंदरी बताती हैं, "मैंने पलट कर देखा तो वह दिखाई नहीं दी. बहुत तलाश किया लेकिन कहीं नहीं मिली."

सूरज के पिता गमेरा गमेती, जो मजदूरी करते हैं, बताते हैं, "अभी तो उसके दूध के दांत भी नहीं टूटे थे."

प्रशासन की अपील और आर्थिक मदद image BBC स्थानीय ग्रामीण प्रशासन से बात करते हुए

इस बीच प्रशासन ने ग्रामीणों से अपील की है कि वे समूह में चलें और सुरक्षा के लिए हाथों में लाठी-डंडा लेकर चलें. साथ ही चलते समय आवाज करने की भी सलाह दी गई है ताकि तेंदुआ उनसे दूर रहे.

एसडीएम नरेश सोनी बताते हैं, "लोगों को मैसेज दिए गए हैं कि अकेले नहीं चलना है, स्कूलों में बच्चों को अकेले नहीं भेजना है."

एसडीएम सोनी आगे बताते हैं, "पांच से दस किलोमीटर के इलाके की सभी ग्राम पंचायतों में बैठक कर लोगों को जानकारी दी गई है कि अकेले न घूमें और समूह में रहें. लाठी साथ में होनी चाहिए और लाउडस्पीकर से भी घोषणाएं की गई हैं."

इसके साथ ही, एसडीएम नरेश सोनी ने मृतकों के परिजनों को दिए जाने वाले आर्थिक मुआवजे की जानकारी दी.

उन्होंने कहा, "नियम के अनुसार, जंगली जानवर से किसी की मौत होने पर वन विभाग की ओर से पांच लाख रुपए का मुआवजा दिया जाता है. पहली तीन मौतों का मुआवजा दे दिया गया है और बाकी भी जल्द दिया जाएगा."

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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