हरियाणा विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद कांग्रेस के कुछ सहयोगियों के सुर भी बदलने लगे हैं.
चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में हरियाणा में सरकार विरोधी लहर की बात की जा रही थी और कांग्रेस की सत्ता में वापसी की उम्मीद जताई जा रही थी, लेकिन जब नतीजे आए तो कांग्रेस को भारी निराशा हाथ लगी.
बीजेपी ने तमाम अनुमानों को झुठलाते हुए लगातार तीसरी बार हरियाणा में सत्ता पर कब्जा किया.
इस चुनावी नतीजे के बाद कांग्रेस के कई सहयोगी दल उसे आँखें दिखाने लगे हैं और आत्ममंथन से लेकर रणनीति में बदलाव की सलाह दे रहे हैं.
BBC बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए करेंकांग्रेस को अगले कुछ महीनों में महाराष्ट्र में सहयोगियों के साथ मिलकर चुनाव लड़ना है. वहाँ उसके मुख्य सहयोगी शिव सेना (उद्धव ठाकरे गुट) ने नतीजों के लिए कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति और सहयोगियों को तरजीह न देने की बात कही है.
पार्टी के मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा गया है कि ‘कांग्रेस हरियाणा में आम आदमी पार्टी जैसी सहयोगी को साथ नहीं ले सकी और साथ स्थानीय स्तर पर नेताओं की अनुशासनहीनता भी पार्टी की हार का कारण बनी.’
संपादकीय में लिखा गया है कि 'जीत को हार में बदलना कोई कांग्रेस से सीखे. इसने हरियाणा में इस हार के लिए भूपेंद्र सिंह हुड्डा की कार्यप्रणाली को भी जिम्मेदार बताया.
संपादकीय में आगे गया गया है, “हरियाणा के किसानों ने दिल्ली बॉर्डर पर जबरदस्त आंदोलन किया. हरियाणा की महिला पहलवानों से छेड़छाड़ पर बीजेपी ने और उसके प्रधानमंत्री ने कोई कार्रवाई नहीं की.”
“ओलंपियन विनेश फोगाट और उनके साथी पहलवानों को दिल्ली के जंतर-मंतर रोड पर घसीटते हुए पुलिस वैन में ठूंसा गया. इन सबका गुस्सा हरियाणा के लोगों में साफ दिख रहा था. ये सही है कि विनेश फोगाट खुद जीत गईं, लेकिन उनके साथ हुए अन्याय के कारण पूरे हरियाणा में पैदा हुए गुस्से और नाराजगी से कांग्रेस को कोई फ़ायदा नहीं हुआ.”
महाराष्ट्र में कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने संपादकीय पर आपत्ति जताते हुए कहा, "हरियाणा और महाराष्ट्र की राजनीतिक पृष्ठभूमि अलग-अलग है. महाराष्ट्र ज्योतिरावफुले और डॉक्टर बाबा साहेब आंबेडकर की विचारधारा पर चलता है. हम चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करेंगे."
पटोले ने शिव सेना (उद्धव गुट) के प्रवक्ता संजय राउत के बयान पर भी ऐतराज़ जताया. उन्होंने कहा, " मुझे नहीं पता उन्होंने (संजय राउत) ने किस आधार पर ऐसा कहा है. आप सार्वजनिक तौर पर अपने सहयोगियों पर ऐसी टिप्पणी नहीं कर सकते."
मंगलवार को जब हरियाणा के नतीजे आए, उसके तुरंत बाद एक कार्यक्रम में उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस से महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की मांग की.
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र को बचाने के लिए वो मुख्यमंत्री के किसी भी चेहरे का समर्थन करने के लिए तैयार हैं.
मंगलवार को मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा, “मैंने पहले भी कहा है और फिर से कह रहा हूं कि कांग्रेस और एनसीपी (शरद पवार) को मुख्यमंत्री पद के लिए उम्मीदवार घोषित करना चाहिए. उनकी ओर से घोषित किसी भी चेहरे का मैं समर्थन करूंगा क्येंकि महाराष्ट्र मुझे प्यारा है और यह महाराष्ट्र को बचाने के हित में है. महाराष्ट्र को बचाने के लिए कुछ भी कर गुजरने का मेरा संकल्प है.”
यह पहली बार नहीं है कि ठाकरे सीएम पद के चेहरे को घोषित करने की अपील करते हैं लेकिन दोनों सहयोगी पार्टियां उदासीन हैं.
इसी साल अगस्त में महाविकास अघाड़ी की बैठक में भी ठाकरे ने सीएम पद के चेहरे को तय करने पर ज़ोर दिया था और कहा था कि अधिक सीटों के आधार पर सीएम चुनने के बजाय नाम पहले घोषित किए जाने चाहिए.
तृणमूल कांग्रेस के सांसद साकेत गोखले ने कहा कि सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस का रुख़ 'आक्रामक' रहा है.
गोखले ने एक्स पर लिखा, "बस यही व्यवहार (कांग्रेस की) चुनावी हार का कारण बनता है- ये मान लेते हैं कि जहां हम जीत रहे हैं और किसी दूसरी क्षेत्रीय पार्टी के साथ सीटें साझा नहीं करेंगे. लेकिन जिस राज्य में मजबूत नहीं हैं, वहाँ क्षेत्रीय पार्टियां हमें सीट दें."
पार्टी की राज्यसभा सांसाद सागरिका घोष ने कहा, “आप लोकसभा परिणामों को देखें. इंडिया गठबंधन ने उन राज्यों में अच्छा किया जहां कांग्रेस का क्षेत्रीय पार्टियों से गठबंधन था. क्षेत्रीय पार्टियां ही बीजेपी को चुनौती दे रही हैं. कांग्रेस को ये समझना होगा और आने वाले चुनावों में उनसे बेहतर तालमेल करना होगा.”
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने भी कांग्रेस को निशाना बनाया और एक्स पर लिखा, "आज वो भी पछता रहा होगा मेरा साथ छोड़कर, अगर साथ-साथ चलते तो कुछ और बात होती."
पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा, “आम आदमी पार्टी क्या कह रही थी? हमारे साथ समझौता करिए और हम दोनों मिलकर बीजेपी को हरा सकते हैं. समाजवादी पार्टी ने भी कोशिश की. उन्होंने न तो आप को साथ लिया न सपा को. कांग्रेस को आत्ममंथन करना चाहिए.”
उत्तर प्रदेश का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश में जब कांग्रेस के दो विधायक थे, समाजवादी पार्टी ने उसे 17 सीटें दीं. हमने उत्तर प्रदेश में गठबंधन को बिना शर्त समर्थन दिया था. हम किसी भी सीट पर चुनाव नहीं लड़े फिर भी अरविंद केजरीवाल ने चुनाव प्रचार किया था.”
उन्होंने कहा, “अगर अखिलेश यादव और अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा में चुनाव प्रचार किया होता तो कांग्रेस को फायदा ही होता.”
इंडियन एक्सप्रेस से समाजवादी पार्टी प्रवक्ता राजीव राय ने कांग्रेस को आत्मघाती सोच वाले सलाहकारों से बचने की सलाह देते हुए बड़बोले कांग्रेस नेताओं पर तंज किया.
एक्स पर उन्होंने , “कांग्रेस को, 'जो मेरा है वो मेरा है, जो आपका है वो हमारा है' की सोच से बाहर निकलना पड़ेगा. आत्मघाती सोच वाले सलाहकारों से भी बचना होगा. मध्य प्रदेश में कमलनाथ और हरियाणा मे दीपेन्द्र हुड्डा की अहंकार वाली भाषा ने भी नुक़सान किया.”
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) ने हरियाणा के चुनावी नतीजों में कांग्रेस की हार पर चिंता जताई और कहा कि कांग्रेस का राज्य में सहयोगियों के साथ सीट साझा न करना उनके ख़िलाफ़ गया.
पार्टी के महासचिव डी राजा ने कहा, "कांग्रेस को गंभीरतापूर्वक आत्मचिंतन करने की ज़रूरत है. अपनी रणनीति को लेकर कांग्रेस को गंभीर होकर आंकलन करना चाहिए."
उन्होंने कहा, "इंडिया गठबंधन के दलों को सीट शेयरिंग के वक्त एक-दूसरे पर आपसी विश्वास करना चाहिए. हरियाणा में ऐसा नहीं हुआ."
भाकपा के एक और सांसद संदोष कुमार ने कांग्रेस से आग्रह किया कि उन्हें चुनावी नतीजों से सीख लेनी चाहिए.
संदोष कुमार ने कहा, "कांग्रेस को स्थिति की नाजुकता को समझना चाहिए और इसके कुछ नेताओं को ज़मीनी सच्चाई स्वीकार करनी चाहिए. वे राजा या बड़े नेताओं जैसे व्यवहार नहीं कर सकते. उन्हें असलियत समझनी चाहिए. यही वजह रही कि उन्हें हरियाणा में हार नसीब हुई."
हालांकि बिहार में महागठबंधन की प्रमुख पार्टी राष्ट्रीय जनता दल ने निर्दलीय उम्मीदवारों को कांग्रेस की हार का कारण माना है, लेकिन आत्मचिंतन की भी बात कही.
आरजेडी के प्रवक्ता सुबोध कुमार मेहता ने कहा, “जिस तरह से राहुल गांधी ने प्रचार किया और मुद्दों को जनता तक ले गए, उसमें निश्चित तौर पर अच्छे परिणाम की उम्मीद थी. लेकिन हमें मतदाताओं की भावनाओं को स्वीकार करना होगा. आत्ममंथन की ज़रूरत होगी और निश्चित रूप से ये होगा भी. लेकिन ऐसा लगता है कि निर्दलीय उम्मीदवारों ने काफी नुकसान पहुंचाया.”
डीएमके प्रवक्ता सर्वनन अन्नादुरै ने कहा, “यह हार महाराष्ट्र चुनावों में क्या करना चाहिए, उसे समझने में मदद करेगी. कांग्रेस और सहयोगियों को महाराष्ट्र में बीजेपी को हराने के लिए एकजुट रहना चाहिए.”
हालांकि कांग्रेस के अंदर से भी हरियाणा हार को लेकर आवाज़ें उठ रही हैं.
चुनाव के ठीक पहले केंद्रीय नेतृत्व की ओर से सुलह समझौता करने के बाद एक मंच पर आईं हरियाणा से कांग्रेस सांसद कुमरा सैलजा ने भी भूपेंद्र हुड्डा के नेतृत्व पर परोक्ष रूप से सवाल उठाए.
बीबीसी को दिए एक में उन्होंने कहा था, "प्रदेश में चुनाव प्रचार की रणनीति और बेहतर बनाई जा सकती थी."
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