हरियाणा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार के पीछे सबसे बड़ी भूमिका निर्दलीय और छोटे दलों ने निभाई है. इनकी वजह से राज्य की क़रीब 14 सीटों पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है.
चुनाव आयोग के आंकड़े बताते हैं कि इसी साल हुए लोकसभा चुनावों में 'अन्य' के खाते में 2 फ़ीसदी से भी कम वोट आए थे. जबकि इस बार के विधानसभा चुनावों में यह आंकड़ा क़रीब 12 फ़ीसदी तक पहुंच गया.
‘अन्य’ की श्रेणी में आने वाले उम्मीदवारों में मूल रूप से निर्दलीय और कुछ अन्य छोटे दल शामिल हैं.
इस बार के विधानसभा चुनावों में दोनों दलों के बीच वोटों का अंतर एक फ़ीसदी से भी कम है, फिर भी बीजेपी 48 सीटें जीतने में क़ामयाब रही है, जबकि कांग्रेस को 37 सीटें ही मिली हैं.
BBC बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए करेंदोनों प्रमुख दलों के बीच वोटों में इतना कम अंतर होने के बाद भी बीजेपी के बड़े फ़ायदे के पीछे छोटे दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों की बड़ी भूमिका है.
साल 2019 में हुए राज्य के पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को 28 फ़ीसदी वोट मिले थे और उसे 31 सीटों पर जीत मिली थी. जबकि उन चुनावों में क़रीब 37 फ़ीसदी वोट के सहारे बीजेपी 40 सीटें जीतने में कामयाब हुई थी.
उचाना कलां
इस सीट पर कांग्रेस के बृजेंद्र सिंह को महज़ 32 वोटों से बीजेपी से हार का सामना करना पड़ा है. यहाँ निर्दलीय उम्मीदवारों, आम आदमी पार्टी और नोटा समेत कुल 19 उम्मीदवारों को इससे ज़्यादा वोट मिले हैं.
असंध
असंध सीट पर कांग्रेस को 'इंडिया' गठबंधन के ही सहयोगी आम आदमी पार्टी और शरद पवार गुट के एनसीपी ने भी झटका दे दिया है. यहाँ दोनों में से किसी एक दल को मिले वोट अगर कांग्रेस को मिल जाते तो कांग्रेस क़रीब 2 हज़ार वोट से चुनाव जीत जाती.
इस सीट पर बीजेपी के योगेंद्र सिंह राणा ने 2306 वोट से जीत हासिल की है. यहां कांग्रेस के शमशेर सिंह गोगी दूसरे नंबर पर रहे हैं.
इस सीट पर 'आप' को 4290 वोट मिले हैं, जबकि एनसीपी को 4218 वोट मिले हैं.
इसी साल हुए लोकसभा चुनावों में बीजेपी को राज्य में 46 फ़ीसदी से ज़्यादा वोट मिले थे जो विधानसभा चुनावों में घटकर 40 फ़ीसदी हो गए.
वहीं कांग्रेस को इस साल हुए लोकसभा चुनावों में 43 फ़ीसदी से ज़्यादा वोट मिले थे, जबकि विधानसभा चुनाव में उसका वोट घटकर क़रीब 39 फ़ीसदी रह गया.
इसी साल हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस और बीजेपी दोनों को राज्य की बराबर 5-5 लोकसभा सीटों पर जीत मिली थी.
लोकसभा चुनावों के मुक़ाबले विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस दोनों को वोटों का नुक़सान हुआ है. हालाँकि इस मामले में ज़्यादा नुक़सान के बाद भी सीटों के लिहाज से बीजेपी बड़े फ़ायदे में रही है.
महेंद्रगढ़
महेंद्रगढ़ सीट पर कांग्रेस को बीजेपी के मुक़ाबले क़रीब 2648 वोट कम मिले हैं और उसे हार का सामना करना पड़ा है.
जबकि इस सीट पर निर्दलीय संदीप सिंह को 20 हज़ार से ज़्यादा वोट मिले हैं. महेंद्रगढ़ सीट पर आईएनएलडी के उम्मीदवार को भी क़रीब 4 हज़ार वोट ज़्यादा मिले हैं और इसने कांग्रेस की हार तय कर दी.
सफीदों
मेवात क्षेत्र की सफीदों सीट पर कांग्रेस को महज़ क़रीब 4 हज़ार वोट से हार का सामना करना पड़ा है. इस सीट पर बीजेपी के राम कुमार गौतम ने जीत हासिल की है.
यहां निर्दलीय उम्मीदवार जसबीर देसवाल को बीस हज़ार से ज़्यादा, जबकि एक अन्य निर्दलीय बचन सिंह आर्या को क़रीब 9 हज़ार वोट मिले हैं. यानी यहाँ निर्दलीय उम्मीदवार ने कांग्रेस का खेल बिगाड़ दिया.
राई
राई सीट पर बीजेपी को कांग्रेस के मुक़ाबले क़रीब 4673 वोट ज़्यादा मिले हैं और यहाँ से बीजेपी की कृष्णा गहलावत को जीत मिली है.
इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार प्रतीक राजकुमार शर्मा को 12 हज़ार से ज़्यादा वोट मिले हैं. इन मतों ने कांग्रेस की हार में बड़ी भूमिका निभाई है.
दादरी
मध्य हरियाणा की दादरी सीट पर कांग्रेस को 1957 वोटों से हार का सामना करना पड़ा है और यहाँ बीजेपी की जीत हुई है.
इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार संजय छापरिया को क़रीब 4 हज़ार वोट मिले हैं, जबकि एक अन्य निर्दलीय उम्मीदवार अजीत सिंह को भी तीन हज़ार से ज़्यादा वोट मिले हैं.
सेंटर फ़ॉर द स्टडी ऑफ़ डेवलपिंग स्टडीज़ (सीएसडीएस)-लोकनीति के सह निदेशक प्रोफ़ेसर संजय कुमार इस तरह के दावों से इनकार करते हैं कि निर्दलीय उम्मीदवारों की वजह से कांग्रेस को बड़ा नुक़सान हुआ है.
संजय कुमार कहते हैं, "इसकी कोई गारंटी नहीं है कि निर्दलीय उम्मीदवार खड़े नहीं होते तो उनका वोट कांग्रेस को ही मिलता. इसके अलावा कांग्रेस को अगर कुछ सीटों पर निर्दलीय या छोटे दलों के उम्मीदवारों की वजह से नुक़सान हुआ है तो कुछ सीटों पर उसे इसका फ़ायदा भी हुआ है."
वहीं, वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई मानते हैं कि राजनीति में 'अगर और मगर' की बात अपने विपक्षी को कमज़ोर बताने के लिए किया जाता है, जबकि इतिहास और राजनीति में इसके लिए जगह नहीं होती है.
उनका मानना है कि चुनावों में हर पार्टी अपनी पूरी ताक़त और रणनीति के साथ लड़ती है इसलिए अगर और मगर के लिए जगह नहीं रह जाती है.
BBC रशीद किदवई के मुताबिक़ अगर वोटों का बंटवारा नहीं हो और यह कुछ सीटों को प्रभावित करता हो तभी चुनावी लिहाज से यह अहम है 'राजनीति में दो और दो चार नहीं होता'रशीद किदवई कहते हैं, "राजनीति में दो और दो चार नहीं होता है. फिर भी अगर छोटे दलों या निर्दलीयों ने 1 लाख़ वोट काटे हैं और यह पूरे हरियाणा को मिलाकर हुआ है तो इसका कोई मतलब नहीं है. लेकिन अगर ऐसा 5 सीटों को मिलाकर हुआ है तो इसका असर नतीजों पर पड़ सकता है."
आंकड़ों पर गौर करें तो इस लिहाज से हरियाणा की कई सीटें इन विधानसभा चुनावों में काफ़ी अहम रही हैं जहां वोटों के बंटवारे ने कांग्रेस को नुक़सान पहुँचाया है.
बाढड़ा
बाढड़ा सीट पर कांग्रेस को 7585 वोटों से हार का सामना करना पड़ा है. यहाँ भी बीजेपी की जीत हुई है.
इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार सोमवीर घसोला को 26 हज़ार से ज़्यादा वोट मिले हैं और उन्होंने कांग्रेस को हराने में बड़ी भूमिका निभाई है.
गोहाना
गोहाना सीट पर भी कांग्रेस का खेल बिगाड़ने में निर्दलीय उम्मीदवार की भूमिका अहम रही है. इस सीट को बीजेपी ने क़रीब 10429 वोटों से जीता है और कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही है. जबकि निर्दलीय हरीश चिकारा को 14 हज़ार से ज़्यादा वोट मिले हैं.
तोशाम
तोशाम सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार अनिरुद्ध चौधरी क़रीब 14 हज़ार वोटों से हार का सामना करना पड़ा है. इस सीट पर भी बीजेपी की जीत हुई है.
यहां निर्दलीय उम्मीदवार शशि रंजन परमार को क़रीब 16 हज़ार वोट मिले हैं और इस वोट ने कांग्रेस की हार पक्की कर दी.
सोहना
सोहना सीट पर बीजेपी को कांग्रेस से 11877 ज़्यादा वोट मिले हैं और यहां कांग्रेस की हार हो गई है. कांग्रेस की इस हार में निर्दलीय जावेद अहमद को मिले क़रीब 50 हज़ार वोट की बड़ी भूमिका है.
एक अन्य निर्दलीय कल्याण सिंह को भी इस सीट पर 20 हज़ार से ज़्यादा वोट मिले हैं. जबकि बीएसपी के सुरेंद्र भड़ाना को भी 15 हज़ार से ज़्यादा वोट मिले हैं जो हार और जीत के अंतर से ज़्यादा है.
नरवाना
नरवाना सीट पर बीजेपी को कांग्रेस के मुक़ाबले क़रीब 11499 ज़्यादा वोट मिले और उसकी जीत हो गई.
इस सीट पर आईएनएलडी की विद्या रानी को 46 हज़ार से ज़्यादा वोट मिले हैं और यह कांग्रेस के लिए हार की बड़ी वजह बनी है.
Getty Images बीजेपी ने हरियाणा विधानसभा चुनावों में जीत पक्की होने के बाद जश्न मनाया हैसमलखा
समलखा विधानसभा सीट पर बीजेपी को क़रीब 20 हज़ार वोट से जीत मिली है. यहां कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही है.
इस सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार रविन्दर मछरौली को 21 हज़ार से ज़्यादा वोट मिले हैं.
यमुनानगर
यमुनानगर सीट पर कांग्रेस का खेल बिगाड़ने में बड़ी भूमिका इंडियन नेशनल लोक दल के दिलबाग़ सिंह की रही है. उन्हें 36 हज़ार से ज़्यादा वोट मिले हैं और वो तीसरे नंबर पर रहे.
इस सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार रमण त्यागी को बीजेपी के घनश्याम दास से क़रीब 22 हज़ार कम वोट मिले और उनकी हार हो गई.
रानिया
हरियाणा की रानिया विधानसभा सीट ऐसी सीट रही है जहाँ आम आम आदमी पार्टी के वोट मिल जाने पर ही कांग्रेस की जीत हो जाती, हालांकि यह सीट बीजेपी नहीं बल्कि आईएनएलडी के खाते में गई है.
इस सीट पर आईएनएलडी के अर्जुन चौटाला ने कांग्रेस के सर्वमित्र को क़रीब 4 हज़ार वोटों से हरा दिया है. यहां निर्दलीय रणजीत सिंह को 36 हज़ार से ज़्यादा वोट मिले हैं. जबकि आम आदमी पार्टी के हरपिंदर सिंह को भी चाढ़े चार हज़ार से ज़्यादा वोट मिले हैं.
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