मक्के के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार भी किसानों को प्रोत्साहित कर रही है. मक्के की खेती करके किसान बेहतर मुनाफ़ा कमा सकते हैं. इसलिए मक्के की ऐसी किस्म (Maize Variety) का चुनाव किया जाना चाहिए, जो रोग प्रतिरोधी और अधिक उत्पादकता वाली हो. उन्नत किस्म के मक्के का चयन करें किसानकिसानों को मक्के की खेती के लिए उन्नत किस्मों (Maize Variety) का चुनाव करना चाहिए. ताकि अधिक पैदावार हो सके. किसान मक्के की खेती के लिए आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके साथ ही कृषि विशेषज्ञों के सुझावों का भी पालन कर रहे हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा फसल का उत्पादन किया जा सके.भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान ने मक्के की दो उन्नत किस्मों का विकास किया है. इन किस्मों में IMH 228 और IMH 225 शामिल हैं. इन दोनों किस्मों के मक्के से बसंत, खरीफ और रबी तीनों सीजन में उत्पादन किया जा सकता है. इन्हें तैयार होने में 155-160 दिन का समय लगता है.मक्के की इन किस्मों की ख़ास बात यह है कि इनका ताना गुलाबी छेदक और फॉल आर्मीवर्म के प्रति मध्यम प्रतिरोधी होती है. इसके अलावा चारकोल सड़ांध, मेडिस लीफ ब्लाइट, टर्सिकम लीफ ब्लाइट और फ्यूजेरियम डंठल सड़ांध जैसे रोगों से भी प्रतिरोधी होती है. मक्के की ये किस्म भी है काफी लाभदायकमक्के की IMH 224 किस्म भी किसानों को बेहतर उत्पादन कमा कर देती है. ये एक हाइब्रिड किस्म है. जिसका उत्पादन बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और झारखंड जिससे राज्यों में किया जाता है. इसकी बुवाई खरीफ सीजन में की जा सकती है. प्रति हेक्टेयर में इस किस्म के मक्के की 70 क्विंटल तक फसल प्राप्त की जा सकती है.ये फसल रोग प्रतिरोधी होती है, जिसके कारण इस पर फ्यूजेरियम डंठल सड़ांध, मेडिस लीफ ब्लाइट और चारकोल रोट जैसे रोगों का असर नहीं होता.ऐसे ही मक्के की हाइब्रिड किस्म IMH 228 से भी किसान बेहतर उत्पादन हासिल कर रहे हैं. इस किस्म से किसान औसत उपज 105.7 क्विंटल/हेक्टेयर प्राप्त कर सकते हैं.
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मक्के की इन तीन बेहतरीन किस्मों की खेती करके कमा सकते हैं जबरदस्त मुनाफ़ा
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