Top News
Next Story
NewsPoint

करेंसी नोटों के लिए महात्मा गांधी नहीं थे पहली पसंद, ये नाम भी थे चर्चा में शामिल, जानें कब हुआ फैसला

Send Push
नई दिल्ली: महात्मा गांधी जिन्हें 'राष्ट्रपिता' के रूप में जाना जाता है, उनका चित्र भारतीय करेंसी नोटों पर होना स्वाभाविक प्रतीत होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि स्वतंत्र भारत के शुरुआती दिनों में उनका चयन पहले नहीं किया गया था? आइए जानते हैं कि कैसे गांधी जी का चित्र अंततः भारतीय करेंसी पर आया और किन-किन नामों पर विचार किया गया. आजादी के समय करेंसी मे नही थी गांधी जी की फोटो भारत की स्वतंत्रता के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने नए करेंसी नोटों के डिज़ाइन के लिए चर्चा की. RBI की वेबसाइट पर दिए गए विवरण के अनुसार, स्वतंत्रता के तुरंत बाद सबसे पहले महाराज के चित्र को हटाकर गांधी जी का चित्र लगाने का विचार किया गया. लेकिन अंततः यह निर्णय लिया गया कि गांधी जी की जगह सारनाथ के शेर के अभिलेख का चित्र लगाया जाए. इस प्रकार स्वतंत्रता के बाद के करेंसी नोटों पर गांधी जी का चित्र नहीं था. प्रारंभिक करेंसी नोटों का डिज़ाइनस्वतंत्रता के बाद 1950 के दशक और 60 के दशक में भारतीय करेंसी नोटों पर भारत की समृद्ध विरासत और विकास को दर्शाया गया. इनमें बाघ, हिरण, हिराकुद डैम, आर्यभट्ट उपग्रह और बृहदीश्वर मंदिर जैसी छवियां शामिल थीं. यह सब स्वतंत्र भारत के विकास और आधुनिकीकरण के प्रतीक थे. गांधी जी का चित्र पहली बार1969 में गांधी जी के जन्म शताब्दी समारोह के दौरान उनका चित्र पहली बार एक करेंसी नोट पर आया. इस डिज़ाइन में गांधी जी को बैठा हुआ दिखाया गया, जबकि उनके सेवाग्राम आश्रम का दृश्य पीछे था.1987 में राजीव गांधी सरकार के तहत 500 रुपये के नोट का पुनः परिचय हुआ, जिसमें पहली बार गांधी जी का चित्र शामिल किया गया. 1996 में महात्मा गांधी श्रृंखला के तहत RBI ने सभी डिनॉमिनेशन के नोटों पर गांधी जी की छवि को स्थायी रूप से लागू किया.हाल के वर्षों में गांधी जी की छवि को बदलने के लिए कुछ समूहों द्वारा आवाज उठाई गई है. अन्य व्यक्तियों जैसे जवाहरलाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस, और सरदार पटेल के नाम प्रस्तावित किए गए. 2016 में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने स्पष्ट किया कि महात्मा गांधी की छवि में कोई बदलाव करने की आवश्यकता नहीं है.2022 में आम आदमी पार्टी ने सुझाव दिया कि भारतीय नोटों पर देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की छवियां लगाई जाएं जिससे देश में समृद्धि आए. इस सुझाव ने राजनीतिक गलियारों में नई बहस को जन्म दिया. गांधी जी की अपरिहार्यताअमेरिकी नागरिक अधिकार नेता मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने कहा था, "गांधी अपरिहार्य हैं. यदि मानवता को प्रगति करनी है, तो गांधी को नजरअंदाज करना हमारे लिए खतरनाक होगा." गांधी जी का प्रभाव भारतीय करेंसी पर उनकी उपस्थिति से लेकर शांति, अहिंसा और सामाजिक न्याय के आदर्शों तक फैला हुआ है, जो आज भी भारत को मार्गदर्शन प्रदान कर रहे हैं.आइंस्टीन ने गांधीजी के बारे में कहा था "आने वाली पीढ़ियां शायद ही इस बात पर विश्वास कर सकेंगी कि इस धरती पर कभी हाड़-मांस से बना ऐसा कोई व्यक्ति चला था."
Explore more on Newspoint
Loving Newspoint? Download the app now