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फरीदाबाद की जनता की खास अपील, जो भी सरकार आए, जनता के लिए करे काम

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चंडीगढ़, 5 अक्टूबर . हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों पर मतदान समाप्त हो गया है. सुबह से ही मतदान केंद्रों पर बड़ी संख्या में मतदाता पहुंच रहे थे. मतदान केंद्रों में मतदाताओं की लंबी कतारें यह बयां करने के लिए पर्याप्त थी कि लोग लोकतंत्र के इस महापर्व में हिस्सा लेने के लिए आतुर हैं. अस चुनाव में सभी के अपने-अपने मुद्दे थे, जिस ध्यान में रखकर वह वोट डालने मतदान केंद्र पर पहुंचे थे. कोई रोजगार तो कोई शिक्षा तो कोई स्वास्थ्य जैसे मुद्दे को लेकर मतदान करने पहुंचा.

सियासी हलकों से भी लगातार दावे किए जा रहे हैं. बीजेपी का दावा है कि इस बार वो जीत की हैट्रिक लगाने जा रही है. इसके पीछे का तर्क देते हुए बीजेपी कह रही है कि केंद्र में जिसकी भी सरकार रहती है, प्रदेश में भी उसी की सरकार बनती है, लेकिन कांग्रेस इस तर्क को सिरे से खारिज कर जीत का परचम लहराने के प्रति पूरी तरह से आश्वस्त दिख रही है.

प्रदेश की सभी सीटों पर मतदाताओं का अलग-अलग मिजाज देखने को मिला, लेकिन अगर बात फरीदाबाद की करें, तो यहां के वोटरों का उत्साह अपने चरम पर रहा. फरीदाबाद में कुल छह विधानसभा सीटें हैं. फरीदाबाद की 1,650 मतदान केंद्रों में सुबह से ही मतदाताओं की लंबी कतारें देखने को मिली, जो कि इस बात को बयां करती थी कि लोग लोकतंत्र के महापर्व में हिस्सा लेने के लिए खासा आतुर थे.

इस दौरान मतदान केंद्र पर वोट डालने पहुंचे मतदाता राजेश शुक्ला ने बताया, “हम पानी के मुद्दे को लेकर मतदान करने आए हैं. पिछले पांच सालों में पानी और बिजली की समस्या बरकरार है. ऐसे में हमने इन मुद्दों को केंद्र में रखा है. अब हमें पूरी उम्मीद है कि चुनाव संपन्न होने के बाद प्रदेश में जो भी सरकार बनेगी, वो लोगों की समस्याओं को सुलझाने की दिशा में विशेष कदम उठाएगी.”

सिद्धार्थ शुक्ला ने बताया, “हमारे पास बहुत सारे मुद्दे हैं, जिन्हें लेकर हमने वोट किया है. सड़कें खराब हैं. पानी की समस्या है. मीठा पानी नहीं आता है. बिजली की समस्या भी है. इसके अलावा भी कई अन्य समस्याएं हैं, जिससे लोग परेशान है. नौकरी की भी समस्या है. सड़कों पर कई घंटे लंबा जाम बना रहता है. अगर पिछले दस साल के शासनकाल की बात करें, तो मुझे लगता है कि जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं हुआ है. मुझे लगता है कि तालमेल की वजह से जमीनी स्तर पर उचित विकास नहीं हो पाया है. मुझे उम्मीद है कि आगामी पांच साल के लिए जो भी सरकार आए, वो हमारे मुद्दे को प्राथमिकता दे.”

एसएचके/जीकेटी

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