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गलत संदेश

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पश्चिम बंगाल सरकार ने अचानक जिस तरह से झारखंड के साथ लगती अंतरराज्यीय सीमा को बंद कर दिया और जवाब में झारखंड की सत्तारूढ़ पार्टी JMM वहां से जरूरी सामानों की सप्लाई रोकने की धमकी दे रही है, वह दो राज्यों के आपसी रिश्तों के लिहाज से बहुत ही खराब प्रसंग माना जाएगा। इस टकराव से दोनों राज्यों के सामान्य लोगों की परेशानियों में इजाफा भले हो जाए, विवाद निपटाने में कोई मदद नहीं मिलने वाली। बाढ़ में डूबे 11 जिले : दरअसल, दामोदर वैली कॉरपोरेशन (DVC) की ओर से पानी छोड़ा गया। वहीं, पश्चिम बंगाल के 11 जिले बाढ़ में डूब गए थे। मुख्यमंत्री और TMC चीफ ममता बनर्जी इसे 'मानव निर्मित बाढ़' कह रही हैं। उनका आरोप है कि झारखंड स्थित DVC से पानी छोड़े जाने के कारण यह बाढ़ आई। लेकिन तथ्य यह भी है कि पिछले दो-तीन दिनों से उन इलाकों में तेज बारिश हुई है। बताया जा रहा है कि बारिश के कारण झारखंड के जलाशय खतरे के निशान के आसपास पहुंच गए थे। कमिटी की देखरेख में फैसला : सबसे बड़ी बात यह है कि पानी छोड़ने का फैसला राज्य सरकार का नहीं होता, न ही इसके पीछे तात्कालिक राजनीतिक समीकरणों की कोई भूमिका होती है। इसका पूरा सिस्टम काफी पहले से बना हुआ है। कब कितना पानी छोड़ा जाना है, यह निर्णय एक रेग्युलेशन कमिटी करती है जिसमें दोनों राज्य सरकारों के प्रतिनिधि भी शामिल होते हैं। सभी संबंधित पक्षों को सही समय पर फैसले की सूचना देने की भी प्रक्रिया पूरी तरह परिभाषित है। परस्पर विरोधी दावे : ममता बनर्जी का कहना है कि इस बार उनकी सरकार को समय पर सूचित नहीं किया गया जबकि दामोदर वैली कॉरपोरेशन और केंद्र सरकार का कहना है कि इस बार भी पूरी प्रक्रिया का पालन किया गया है। अगर अमल में किसी तरह की गड़बड़ी हुई है तो इस बात की जांच की जा सकती है कि सूचना देने या संबंधित व्यक्ति तक पहुंचने में किस स्तर पर और किस वजह से चूक हुई। आरोप-प्रत्यारोप को इस स्तर पर ले जाने से हालात को बेहतर बनाने में कोई मदद नहीं मिलने वाली। विपक्षी समन्वय पर सवाल : वैसे, ममता बनर्जी ने तकनीकी तौर पर बॉर्डर सील करने की वजह यह बताई है कि झारखंड से आने वाली गाड़ियां बाढ़ के पानी में बह न जाएं। लेकिन अगर बात यही होती तो झारखंड की तरफ से जरूरी सामानों की सप्लाई रोकने की धमकी नहीं आती। ध्यान रहे, झारखंड में विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. की सरकार है और तृणमूल कांग्रेस भी विपक्षी खेमे का ही हिस्सा मानी जाती है। ऐसे में इन दोनों सरकारों के बीच इस तरह का विवाद विपक्ष की राजनीति को लेकर भी कोई अच्छा संदेश नहीं दे रहा।
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