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सस्ते में होगी PhD की पढ़ाई, विदेश से मिलेगी डॉक्टरेट की उपाधि, इन देशों में करें अप्लाई

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Affordable Countries For PhD Program: डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी यानी पीएचडी को टर्मिनल डिग्री के तौर पर भी जाना जाता है। ये किसी विषय की पढ़ाई में मिलने वाली सबसे बड़ी डिग्री होती है। भारत में भी हर साल बड़ी संख्या में छात्र पीएचडी करते हैं। कुछ छात्र ऐसे भी होते हैं, जो विदेश में रिसर्च पूरी कर पीएचडी करना चाहते हैं। हालांकि, विदेश में होने वाले खर्चों की वजह से छात्रों को मजबूरन इस सपने को भूल जाना पड़ता है। पीएचडी करने के बाद छात्रों के करियर को काफी ज्यादा बूस्ट भी मिलता है। आमतौर पर पीएचडी को पूरा करने में तीन से पांच साल का वक्त लग जाता है। कुछ लोग पार्ट-टाइम पीएचडी भी करते हैं, जिसमें उन्हें छह से सात साल का वक्त लगता है। इस दौरान कुछ लोगों को थीसिस पूरा करने में एक्सटेंशन भी लेना पड़ता है। ऐसा करने पर छात्रों का खर्चा भी बढ़ता चला जाता है। हालांकि, कुछ देश ऐसे हैं, जहां फ्री में या फिर बहुत ही कम फीस में पीएचडी करवाई जाती है। कहां होती है सबसे सस्ते में पीएचडी? स्वीडन: यूरोपियन देश स्वीडन में पीएचडी की पढ़ाई फ्री में होती है। दुनिया के खूबसूरत देशों में से एक स्वीडन में कुछ ऐसे विषय हैं, जिनमें पीएचडी करने पर एक भी रुपये फीस नहीं देनी पड़ती है। इसमें रिन्यूबल एनर्जी की फील्ड शामिल है। स्वीडन में दुनिया की कुछ सबसे टॉप यूनिवर्सिटीज भी शामिल हैं। क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2025 की टॉप 350 यूनिवर्सिटीज में स्वीडन की सात यूनिवर्सिटीज शामिल रही हैं। केटीएच रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी और लुंड यूनिवर्सिटी देश के टॉप संस्थान हैं। नॉर्वे: यूरोप के ही एक अन्य देश नॉर्वे में सबसे कम पैसा खर्च किए पीएचडी की जा सकती है। भले ही 2023 से यहां पर विदेशी छात्रों को ट्यूशन फीस देनी पड़ रही है, लेकिन फिर भी यहां फीस काफी ज्यादा किफायती है। पीएचडी उम्मीदवारों को नॉर्वे में छात्र का दर्जा नहीं मिलता है। इसके बजाय उन्हें एक कर्मचारी माना जाता है। इसलिए, उन्हें कोई ट्यूशन फीस नहीं देनी पड़ती है। नॉर्वे के टॉप संस्थानों में यूनिवर्सिटी ऑफ ओस्लो और नॉर्विजयन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी शामिल हैं। फिनलैंड: नॉर्डिक देश फिनलैंड पीएचडी करने के लिए सबसे किफायती देशों में से एक है। 2023 के अंत में यहां की सरकार ने घोषणा की कि वे 1,000 पीएचडी उम्मीदवारों को फंड देंगे, जिन्होंने तीन साल में इसे पूरा किया है। सरकार ने इस पर करीब 2600 करोड़ रुपये खर्च भी किए। सरकार अपने यहां ज्यादा से ज्यादा पीएचडी ग्रेजुएट्स चाहती है। क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2025 की टॉप 350 यूनिवर्सिटीज में फिनलैंड की चार यूनिवर्सिटीज शामिल रही हैं। जर्मनी: यूरोप का ये देश भारतीयों के बीच तेजी से पॉपुलर हो रहा है। जर्मनी अपनी वर्ल्ड क्लास एजुकेशन के लिए दुनियाभर में जाना जाता है। यहां यूनिवर्सिटीज पीएचडी छात्रों से ट्यूशन फीस नहीं लेती हैं और इसके बजाय छात्रों को फेलोशिप के जरिए फंडिंग हासिल करना होता है। पीएचडी के लिए छात्र अगर चाहें तो यूनिवर्सिटी की डॉक्टरेट फेलोशिप हासिल कर सकते हैं या फिर वे कई सारे फंडिंग प्रोग्राम के लिए अप्लाई कर सकते हैं। क्यूएस रैंकिंग की टॉप 150 यूनिवर्सिटीज में जर्मनी के 8 संस्थान शामिल रहे। फ्रांस: जर्मनी के पड़ोसी देश फ्रांस में भी पीएचडी काफी किफायती है। फ्रांसीसी कानून के तहत, उम्मीदवार बिना फंडिंग के पीएचडी नहीं कर सकते। उन्हें एक कॉन्ट्राट डॉक्टरेट की जरूरत होती है, जिसके जरिए उन्हें पीएचडी प्रोग्राम में एडमिशन से पहले सैलरी और अन्य लाभ देती है। कुछ यूनिवर्सिटीज में छात्रों को सलाना ट्यूशन फीस देनी पड़ सकती है, जो 40 हजार रुपये तक हो सकता है। क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2025 की टॉप 350 यूनिवर्सिटीज में फ्रांस के 8 संस्थान शामिल रहे।
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