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जम्मू-कश्मीर में 2014 के बाद से कितना घटा या बढ़ा है आतंकवाद? ये आंकड़े पढ़ लीजिए

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नई दिल्ली : जम्मू और कश्मीर में इस साल हुए विधानसभा चुनाव में सुरक्षा व्यवस्था में जबरदस्त सुधार और लोगों की अच्छी भागीदारी देखने को मिली। 2019 में धारा 370 हटाए जाने और जम्मू और कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद यह पहला विधानसभा चुनाव था। 2014 में केंद्र में बीजेपी की सरकार आने के बाद जम्मू-कश्मीर की स्थिति में कितना बदलाव आया है? आतंकवाद बढ़ा है या घटा है? अगर बढ़ा है तो कितना और घटा है तो कितना? आर्टिकल 370 को हटाए जाने के बाद क्या फर्क आए हैं? पेश है हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया की भारती जैन की जम्मू-कश्मीर से ग्राउंड रिपोर्ट।साल 2014 के मुकाबले 2024 में आतंकी घटनाओं में भारी कमी आई है। 2014 में जहां 222 आतंकी घटनाएं हुई थीं, वहीं इस साल अब तक केवल 23 घटनाएं ही हुई हैं। सुरक्षाबलों और आम लोगों की मौत में भी कमी आई है। हालांकि, जम्मू संभाग के एक जिले को छोड़कर बाकी सभी जिलों में 2014 के विधानसभा चुनाव की तुलना में मतदान प्रतिशत में गिरावट आई है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसके पीछे जम्मू क्षेत्र में हाल के दिनों में आतंकी गतिविधियों में आई तेजी एक वजह हो सकती है। इस साल 27 सितंबर तक जम्मू क्षेत्र में 15 आतंकी हमलों और मुठभेड़ों में 11 नागरिकों और 17 सुरक्षाकर्मियों की मौत हुई है। रियासी जिले में जुलाई में हुए एक आतंकी हमले में एक बस पर आतंकवादियों ने गोलियां चलाई थीं, जिसमें आठ यात्रियों और बस चालक की मौत हो गई थी। 18 और 25 सितंबर को पहले दो चरणों में जिन 13 जम्मू-कश्मीर जिलों में मतदान हुआ, उनमें से 8 जिलों में 2014 के विधानसभा चुनाव की तुलना में औसत मतदान कम रहा। इन 13 जिलों में से पांच जम्मू क्षेत्र में हैं, जबकि तीन कश्मीर घाटी में हैं। जम्मू के 6 जिलों में से केवल एक जिले में 2014 के चुनावों की तुलना में मतदान में वृद्धि देखने को मिली है, जबकि कश्मीर के सात में से चार जिलों में मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। 2024 के लोकसभा चुनावों से तुलना करने पर पता चलता है कि जम्मू क्षेत्र के रियासी जिले को छोड़कर बाकी सभी जिलों में मौजूदा चुनावों में कम मतदान हुआ है। कुल मिलाकर जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से संबंधित घटनाएं 2014 में 222 से घटकर इस साल अब तक 23 रह गई हैं, जिनमें से 15 जम्मू क्षेत्र और 8 कश्मीर में दर्ज की गई हैं। सुरक्षा बलों के जवानों की शहादत भी 2014 में 47 से घटकर 25 रह गई है, जिनमें से 17 अकेले जम्मू क्षेत्र में हुए थे। 2014 में 45 आतंकवादियों को मार गिराया गया था, जबकि 2014 में यह संख्या 110 थी। इनमें से 18 विदेशी आतंकवादियों और 17 स्थानीय आतंकवादियों सहित 35 को कश्मीर में मार गिराया गया, जबकि जम्मू में 10 आतंकवादियों का खात्मा हुआ। 2014 में जहां 23 ग्रेनेड हमले, नौ IED विस्फोट और 41 बंद की घटनाएं हुई थीं, वहीं 2024 में ऐसी कोई घटना नहीं हुई है। एक सुरक्षा अधिकारी ने बताया, 'सात में से चार जिले - कुलगाम, शोपियां, पुलवामा और श्रीनगर, जो कभी आतंकवाद के गढ़ हुआ करते थे, ने 2014 के विधानसभा चुनावों की तुलना में मतदान के मामले में बेहतर प्रदर्शन किया है।'एक अन्य अधिकारी ने कहा कि चुनाव प्रचार और अब तक हुए दो मतदान के दिन शांतिपूर्ण और घटना-मुक्त रहे, अलगाववादियों ने चुनाव बहिष्कार का कोई आह्वान नहीं किया, बल्कि वे उम्मीदवार के रूप में लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल हुए। पथराव जैसी कानून-व्यवस्था को चुनौती देने वाली घटनाएं भी नहीं हुईं, जो आमतौर पर कश्मीरी मतदाताओं को घरों में बंद रहने के लिए मजबूर करती थीं। कुल मिलाकर, जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा स्थिति में सुधार और लोगों की बढ़ती जागरूकता के कारण इस बार विधानसभा चुनाव शांतिपूर्ण और उत्साहपूर्ण तरीके से संपन्न हुए हैं।
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