नई दिल्ली: हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी शिकस्त के बाद इसके साइड इफेक्ट भी नजर आने लगे हैं। एक ओर पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरा है, दूसरी ओर सहयोगी पार्टियां भी तेवर दिखाने लगी हैं। अब तक जो पार्टियां कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर बैठकों में जुटी नजर आ रही थीं, अब उन्होंने दूरी बनाने का फैसला कर लिया है। इनमें आम आदमी पार्टी (AAP) का नाम प्रमुखता से सामने आ रहा। आप ने आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन से इनकार कर दिया है। AAP ने हरियाणा चुनाव में सीट बंटवारे के दौरान कांग्रेस की ओर से नजरअंदाज किए जाने के बाद यह फैसला लिया है।AAP की मुख्य प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के लिए पार्टी के 'अति आत्मविश्वास' को जिम्मेदार ठहराया। कक्कड़ ने एक न्यूज चैनल से बात करते हुए कहा कि दिल्ली में AAP का कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन नहीं होगा। लोकसभा चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश और दिल्ली में अधिक सीटें दिए जाने के बावजूद, कांग्रेस ने हरियाणा में समाजवादी पार्टी और AAP को जगह नहीं दी।दिल्ली में अगले साल फरवरी में विधानसभा चुनाव होने है। आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय राजधानी में लगातार तीसरी बार जीत की उम्मीद है। हरियाणा में अधिकांश एक्जिट पोल्स में कांग्रेस की 10 साल बाद सत्ता में वापसी की भविष्यवाणी की गई थी, लेकिन पार्टी केवल 37 सीटें ही जीत सकी। बीजेपी ने 48 सीटें हासिल कीं, जो हरियाणा में उसका अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन है।AAP, जो हरियाणा की 90 में से 88 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, अपना खाता भी नहीं खोल सकी क्योंकि कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे की बातचीत विफल होने के बाद उसने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया था। पार्टी को जम्मू-कश्मीर में ही एक सीट पर जीत मिली, जहां उसने जम्मू की डोडा सीट जीती।अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा चुनाव में हार पर मंगलवार को कांग्रेस पर परोक्ष रूप से तंज कसा। AAP पार्षदों की एक सभा को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने कहा कि एक बात तो साफ है, सबसे बड़ा सबक यह है कि चुनाव में कभी भी अति आत्मविश्वासी नहीं होना चाहिए। AAP और कांग्रेस के बीच संबंध अच्छे नहीं रहे हैं। लोकसभा चुनाव में, दोनों दलों ने दिल्ली और हरियाणा में गठबंधन किया था, लेकिन पड़ोसी राज्य पंजाब में अलग-अलग चुनाव लड़ा था।AAP ने दिल्ली में चार सीटों पर चुनाव लड़ा था, जबकि तीन सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ी थीं। हालांकि, इससे उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ क्योंकि बीजेपी ने सभी सातों सीटें जीत लीं। हरियाणा में कांग्रेस की हार और जम्मू-कश्मीर में खराब प्रदर्शन से पार्टी के हाथ और कमजोर हो गए हैं। अब आगामी दिल्ली और महाराष्ट्र चुनावों में अपने INDIA गठबंधन सहयोगियों के साथ सीट बंटवारे की बातचीत में कांग्रेस के पास मोलभाव करने की गुंजाइश बहुत कम रह गई है।
You may also like
ईएनटी में अत्याधुनिक तकनीक का हुआ आदान-प्रदान, 152 ईएनटी डॉक्टर्स ने की शिरकत
महिला टी20 विश्व कप: स्कॉटलैंड को 80 रन से हराकर दक्षिण अफ्रीका के नेट रन रेट में इजाफा
अफ्रीका में पहले हैजा वैक्सीन उत्पादन संयंत्र के निर्माण में सहयोग करेंगे चीन और जाम्बिया
यूपी में 33 उद्यमी मित्रों को जल्द ही नियुक्त करेगी योगी सरकार