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Nitya Pandya: विराट जैसी बैटिंग, एटिट्यूड और स्लेजिंग भी वैसी ही... कौन हैं टीम इंडिया का अगला स्टार नित्या पंड्या

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चेन्नई: एमए चिदम्बरम स्टेडियम में सोमवार को ऑस्ट्रेलिया अंडर-19 के खिलाफ दूसरे और आखिरी यूथ टेस्ट के पहले दिन 18 वर्षीय नित्या पंड्या ने 135 गेंदों पर शानदार 94 रन बनाकर भारतीय अंडर-19 टीम को जिताने में अहम भूमिका निभाई। राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में पैदा हुए नित्या अपने क्रिकेट के सपनों को पूरा करने के लिए अपनी मां और बहन के साथ बड़ौदा आ गए। हालांकि, यह कदम आसान नहीं था। नित्या पंड्या की कहानी, हार्दिक पंड्या और क्रुणाल पंड्या से कम नहीं है। हार्दिक-क्रुणाल जैसी कहानीराजस्थान वापस आकर नित्या पंड्या ने अपनी स्कूलिंग पूरी की। कोचिंग के लिए अपने गांव, अंजना से बांसवाड़ा तक बस से 50 किलोमीटर की यात्रा करते थे। वह दोपहर 2 बजे की बस पकड़ कर रात 10 बजे तक ही लौट पाते थे। यह वही वक्त था, जब जब पंड्या ब्रदर्स, हार्दिक और क्रुणाल आईपीएल में अपनी छाप छोड़ रहे थे, जिससे उनके पिता को सोचने पर मजबूर होना पड़ा कि अपने बेटे को बड़ौदा क्यों नहीं भेजा जाए। विराट के जबरा फैननित्या पंड्या विराट कोहली के बहुत बड़े फैन हैं। वह न सिर्फ कोहली की तरह विरोधियों खिलाड़ियों पर स्लेज करते हैं बल्कि उनकी बल्लेबाजी भी प्रभावशाली है। इन सभी चीजों की प्रेरणा उन्होंने अपने आदर्श कोहली से ही ली है। कोहली की करते हैं नकलद इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में नित्या के कोच दिग्विजय राठवा ने कहा, 'ऐसी बातें करना और स्लेजिंग करना, उसने कोहली को देखकर सीखा है। जब वह मैदान पर उतरते हैं तो वह कोहली की तरह बनना चाहते हैं। सनग्लासेस, कॉलर ऊपर, फील्डिंग स्टाइल और यहां तक कि विकेट का जश्न मनाना। जब भी संभव होगा आप उसे कोहली की नकल करते हुए देखेंगे। अगर कोहली कुछ करते हैं, तो पंड्या अगले दिन मैदान पर उसे दोहराएंगे। अगर वह कुछ नहीं कर रहा है तो इसका मतलब है कि उनका दिमाग कहीं और है या वह थोड़ा दबाव महसूस कर रहा है।' माना जा रहा लंबी रेस का घोड़ानित्या की यात्रा धैर्य और उत्साह से भरी एक लंबी प्रतीक्षा वाली यात्रा रही है। बड़ौदा शिफ्ट होने के बाद उन्होंने मोतीबाग क्रिकेट अकादमी में एडमिशन लिया, जहां कोच दिग्विजय ने उन्हें प्रशिक्षित किया। हालाँकि, बड़ौदा क्रिकेट एसोसिएशन के नियमों के चलते उन्हें अपने करियर के तीन साल बर्बाद करने पड़े, जिसमें राज्यों के बीच ट्रांसफर जैसी वजहें रहीं। इन असफलताओं के बावजूद, सफलता के लिए नित्या का दृढ़ संकल्प कभी कम नहीं हुआ।
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