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Exclusive Interview: अनन्या पांडे बोलीं- मैं काफी बेचैन इंसान हूं, मैं कोई भी रिश्ता डिलीट नहीं करना चाहूंगी

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अपनी पिछली फिल्म 'खो गए हम कहां' में आज के दौर में रिश्तों पर सोशल मीडिया के दुष्प्रभाव को दिखाने वाली अनन्या पांडे अपनी नई फिल्म कंट्रोल में AI के जरिए अपने धोखेबाज पूर्व प्रेमी की यादें मिटाने की कोशिश करती हैं। हालांकि, निजी जिंदगी में अनन्या अपने किसी रिलेशनशिप की यादें नहीं भुलाना चाहतीं। क्यों? पढ़िए, यह खास बातचीत जहां अनन्या ने हमसे अपने करियर, रिश्तों, युवा पीढ़ी, सोशल मीडिया आदि पर चर्चा की आपकी पिछली फिल्म 'खो गए हम कहां', सीरीज 'कॉल मी बे' और अब 'कंट्रोल', तीनों ही युवा पीढ़ी, उनके रिश्तों, सोशल मीडिया और तकनीक के असर की बात करती हैं। इस तरह की कहानियां चुनने की कोई खास वजह? आप खुद इन किरदारों से कितना जुड़ाव महसूस करती हैं?ये बाय चांस हुआ है। जब ये स्क्रिप्ट्स मुझे ऑफर हुईं तो मुझे ये सारी पसंद आ गईं। तब मैंने कुछ सोचा नहीं मगर अब जब ये रिलीज हो रही हैं तो मुझे भी लग रहा है कि हां, सभी में कुछ समानताएं हैं। जब मैं सिलेक्ट कर रही थीं, तब मुझे अहसास नहीं हुआ कि ये सब इतनी एक जैसी हैं, लेकिन ये सब रिलेटबल हैं क्योंकि ये हमारी पीढ़ी और हमारे समय की कहानियां हैं। खो गए हम कहां उन चुनिंदा फिल्मों में से हैं जिसमें सोशल मीडिया और रिलेशनशिप पर उसके प्रभाव का जिक्र भी हुआ है। वह फिल्म रिलेशनशिप, दोस्ती के बारे में। कॉल मी बे आज के जर्नलिज्म पर टिप्प्णी करती है और दुर्भाग्य से सेाशल मीडिया भी आज जर्नलिज्म का ही एक हिस्सा है। वहीं, यह फिल्म एआई के बारे में है तो सभी में टेक्नॉलजी और सोशल मीडिया के अलग-अलग फेजेज हैं पर ये आज के समय की कहानियां है, इसलिए मुझे बहुत प्रासंगिक लगती हैं। मैं इन विषयों से कनेक्टेड महसूस करती हूं और मुझे नहीं लगता कि इन पर ज्यादा फिल्में बन रही हैं तो मैं ऐसी जितनी भी फिल्मों का हिस्सा बन सकूं, वो अच्छा है। सालों बाद जब लोग देखेंगे तो कहेंगे कि जब हम छोटे थे तो ऐसी फिल्म आई थी क्योंकि हमारे समय में ऐसा होता था, तो मुझे अच्छा लगेगा।
यह फिल्म सोशल मीडिया और AI के हमारे जीवन पर असर के बारे में है। आज के दौर में सोशल मीडिया वाकई हमारी खुशियों, हमारे सपनों को कंट्रोल करने लगा है। आप इस बदलाव को कैसे देखती हैं?मेरा मानना है कि हर चीज में एक बैलेंस होना चाहिए। जब मैं छोटी थी तो वीडियो कैमरा नया आया है। मेरे डैड (चंकी पांडे) के पास विडियो कैमरा था तो मैं उसे चुराकर खुद के विडियोज लेती थी, उससे मुझे पता चला कि मुझे ऐक्ट्रेस बनना है। मुझे कैमरे के सामने परफॉर्म करना अच्छा लगता है। इस फिल्म में मैं सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर बनी हूं और यह एक प्रॉपर जॉब है, जिससे लोग पैसे कमाते हैं। मेरी अपनी कजिन अलाना और उनके पति इंफ्लूएंसर्स हैं, तो मुझे लगता है कि जो काम इंजॉय करते हैं, उससे पैसे भी बना सकते हैं तो यह अच्छी बात है, लेकिन हर चीज में एक बैलेंस हेाना चाहिए। खास तौर पर बच्चों को बहुत कम उम्र में इसके बारे में सिखाना चाहिए। मुझे लगता है कि आज के सोशल मीडिया के जमाने में हमारे एजुकेशन सिस्टम में ही इसे जोड़ा जाना चाहिए। बच्चों को स्कूल में सोशल मीडिया की सेफ्टी, उसके कायदे-कानून अैर फायदे-नुकसान के बारे में बताया जाना चाहिए।
AI को लेकर भी काफी सरगर्मी चल रही है कि यह सिनेमा इंडस्ट्री को बदल देगा, उसके लिए खतरा हो सकता है, आपकी इस बारे में क्या राय है?देखिए, सोशल मीडिया हो या AI, ये आज की हकीकत हैं। तकनीक से हम भाग नहीं सकते। उससे बदलाव आना निश्चित है, मगर जैसा मैंने पहले भी कहा कि एक बैलेंस होना चाहिए। यह बदलाव फेजेज में होना चाहिए। सब एक झटके में नहीं होना चाहिए क्योंकि तब हमें पता भी नहीं चलेगा कि इस बदलाव का असर कितना ज्यादा होगा, क्योंकि हमने भी वो नहीं देखा है। इसलिए, तकनीक को धीरे धीरे और नियम-कायदे से जिंदगी में शामिल किया जाना चाहिए, वरना एक बार आपके हाथ से पावर चली गई तो आपके कंट्रोल में कुछ नहीं रहेगा। आप करण जौहर के सिनेमा स्कूल से आती हैं, जबकि इस फिल्म के निर्देशक विक्रमादित्य मोटवाने का फिल्म बनाने का अंदाज उससे बिल्कुल अलग है। उनके साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?बहुत मजा आया। मुझे यकीन ही नहीं हुआ कि विक्रम सर मुझे अपनी फिल्म में लेना चाहते हैं। चूंकि, हम फिल्म में कुछ नया क्रिएट कर रहे थे तो कभी ऐसा नहीं लगा कि एक इंसान इंचार्ज है और वही सब कुछ तय कर रहे हैं। हम सब साथ में सीख रहे थे और मिलकर कुछ नया बना रहे थे। यही हम सबका अनुभव था। हाल ही में अनुराग कश्यप ने कहा कि आजकल फिल्म का ज्यादा बजट उसकी मेकिंग के बजाय ऐक्टर्स की भारी-भरकम टीम और डिमांड पर खर्च हो जाता है। आप इस पर क्या कहना चाहेंगी?मेरे हिसाब से सबको साथ में आकर रिजनेबल होना चाहिए। मुझे नहीं लगता बतौर ऐक्टर हमारा जॉब इन चीजों के बारे में सोचना है क्योंकि हम इन चीजों के बारे में सोचेंगे तो हमारा काम प्रभावित होगा। इसके बारे में सोचने के लिए दूसरे लोग होते हैं। कई बार हम ऐक्टर्स एक साथ कई प्रॉजेक्ट्स कर रहे होते हैं, तो आपका ध्यान भटक जाता है लेकिन यह आप पर है कि आप अपने मैनेजमेंट के लिए एक सीमा तय करें कि अभी मैं एक फिल्म शूट कर रही हूं तो किसी ब्रैंड की बातें या दूसरी चीजें ना हों तो जो आपके कंट्रोल में है वो आपको करना चाहिए। फिल्म में आपकी किरदार नेला अपने एक्स की यादों को AI से मिटाती है। आप अपने किसी रिलेशनशिप या एक्स की कोई बुरी याद मिटाना चाहेंगी?नहीं, क्योंकि जो भी रिश्ते हैं, उसके साथ कुछ खुशनुमा यादें भी जुड़ी होती हैं तो मैं कोई भी डिलीट नहीं करना चाहूंगी। अपनी कोई बुरी आदत मिटाना चाहेंगी?मैं काफी बेचैन इंसान हूं, शांत नहीं बैठ सकती, अगर AI मुझे शांत कर सके तो अच्छा होगा। लोगों की किसी बिन मांगी सलाह को डिलीट करना चाहेंगी?लोग जो आपके लुक पर कॉमेंट करते हैं कि वजन बढ़ाओ, वजन कम करो। होठ ऐसे करो, चेहरा ऐसे बदलो, ऐसी सलाह देने वालों को मिटाना करना चाहूंगी।
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