सांस से जुड़ी बीमारियां हमारे फेफड़ों और श्वसन तंत्र (Respiratory system) को बुरे रूप से प्रभावित करते हैं। इसके कारण हमें सांस लेने में कठिनाई होती है। अक्सर यह बीमारियां धूल, धक्कड़, प्रदूषण, धूम्रपान, संक्रमण या अनुवांशिक कारणों से हो सकती हैं।यह बीमारियां नाक, गला श्वास नली या विंडपाइप, फेफड़े और श्वसन मार्ग को नुकसान पहुंचाती हैं। रेस्पिरेटरी सिस्टम का काम हमारे शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई करना और कार्बन डाइऑक्साइड को शरीर से बाहर निकालना है।सांस संबंधी बीमारियां होने के कारण इस प्रक्रिया में रुकावट होती है। डॉक्टर शाह, ई एन टी, स्पेशलिस्ट के मुताबिक, सांस लेने में तकलीफ संबंधी कई बीमारियां शामिल हैं, जिनमें कुछ खतरनाक भी हो सकती हैं।आईए जानते हैं मुख्य प्रकार की श्वसन बीमारियों के बारे में। अस्थमा अस्थमा एक क्रॉनिक बीमारी है। यह लंबे समय के लिए होती है। अस्थमा से पीड़ित लोगों में श्वसन मार्ग में सूजन हो जाती है, जिससे यह संकुचित हो जाता है और व्यक्ति को सांस लेने में कठिनाई होती है। अस्थमा के मरीज बहुत जल्द ही हांफने लगते हैं। उनके सीने में जकड़न होती है, जो खांसी के रूप में जाहिर होती है। यह लोग बहुत जल्द ही धूल ,धुआ, ठंड मौसम के कारण परेशान हो जाते हैं। अस्थमा का कोई स्थाई इलाज नहीं है लेकिन दवाइयां और इनहेलर के मदद से से नियंत्रित किया जा सकता है। यह बचपन से ही शुरू हो सकता है और जीवन भर साथ रह सकता है लेकिन इसके लक्षण समय-समय पर घटने और बढ़ते रहते हैं। ऐसे में कई बार अस्थमा के अटैक भी आ सकते हैं, जिसमें सांस के रुकने की स्थिति पैजा हो जाती है। जिन लोगों के परिवार में किसी सदस्य का अस्थमा का इतिहास होता है। उन्हें अस्थमा होने की संभावना अधिक रहती है। ऐसे लोगों को धूल धूम्रपान, पालतू जानवरों के बाल और केमिल वाले धुएं से दूर रहना चाहिए। क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD)सीओपीडी भी एक लंबे समय तक रहने वाली बीमारी है, जिसमें फेफड़ों के वायु मार्ग में संकुचन हो जाता है और सांस लेने में कठिनाई होती है। सीओपीडी का मुख्य कारण धूम्रपान है। सीओपीडी में दो प्रमुख रोग होते हैं क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और एंफिसेमा। क्रोनिक ब्रोंकाइटिस में वायु मार्ग में बलगम और सूजन होती है। श्वासनली से फेफड़ों में ऑक्सीजन ले जाने वाली नली या ब्रोन्कियल ट्यूब्स में सूजन होती है। इससे बलगन का उत्पादन बढ़ने के साथ श्वसन प्रक्रिया कमजोर हो जाती है। सीओपीडी के लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं। इसमें रोगी अक्सर थका हुआ महसूस करता है और फेफड़ों में आवाज सुनाई देती है। ऐसे लोगों को बिल्कुल भी तंबाकू का सेवन नहीं करना चाहिए। निमोनिया निमोनिया एक ऐसी श्वसन संबंधी बीमारी है, जिसमें फेफड़े संक्रमित हो जाते हैं। यह फंगस, वायरस या बैक्टीरिया के कारण होता है। निमोनिया में फेफड़े के वायुकोष में मवाद बढ़ने लगता है, जिससे खांसी, बुखार और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है। खास तौर पर जिन बच्चों या वृद्धों की प्रतिरक्षा प्रणाली यानी इम्यूनिटी कमजोर होती है उन्हें निमोनिया जल्दी अपनी चपेट में ले सकती है। गंभीर मामलों में निमोनिया के मरीज को छाती में बहुत ज्यादा दर्द हो सकता है । ब्रोंकाइटिस की बीमारी जब वायु मार्ग में सूजन और जलन होती है तो ब्रोंकाइटिस की बीमारी हो सकती है। यह दो प्रकार के होते हैं तीव्र ब्रोंकाइटिस और क्रोनिक ब्रोंकाइटिस। तीव्र ब्रोंकाइटिस कुछ हफ्तों में ठीक हो जाता है। यह आम तौर पर ठंड के मौसम या वायरल के बाद होता है। जबकि क्रोनिक ब्रोंकाइटिस एक गंभीर समस्या है, जो लगातार बलगम और खांसी के कारण बनता है। लंबे समय तक जो लोग धूम्रपान करते हैं या प्रदूषण के संपर्क में रहते हैं। उनमें यह होने के अधिक चांसेस रहते हैं। ब्रोंकाइटिस की समस्या में वायु मार्ग में सूजन और बलगम का उत्पादन अधिक होता है। टीबी या तपेदिक टीबी एक बैक्टीरियल रोग है। यह माइक्रोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया के द्वारा होने वाली एक संक्रमित बीमारी है। यह बीमारी मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करती है। टीवी बहुत ही खतरनाक बीमारी है और कई मामलों में जानलेवा भी साबित होती है। लगातार खांसी, खांसी में खून आना, वजन कम होना, पसीना इत्यादि इसके लक्षण हैं। टीवी का इलाज बहुत लंबे समय तक किया जाता है। यह बीमारी धीरे-धीरे विकसित होती है और धीमी गति से ठीक भी होती है। गंभीर मामलों में यह फेफड़ों के अलावा अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकती हैं। ऐसे लोगों को धूल वाली जगह, प्रदूषण इत्यादि से दूर रहना चाहिए । एलर्जी रायनाइटिस इसे हाई फीवर भी कहा जाता है। धूल, प्रदूषण, परागकण , पालतू जानवरों के बाल इत्यादि से उत्पन्न होने वाली यह एक श्वसन संबंधित बीमारी है। एलर्जी रायनाइटिस में आंखों में खुजली, गले में खराश, छींक, जुकाम इत्यादि की समस्या होती है। एलर्जी राइनाइटिस मौसमी के साथ-साथ लंबे समय तक के लिए भी हो सकती है। जिन लोगों की इम्युनिटी कमजोर होती है।वह इस बीमारी की चपेट में जल्दी आ जाते हैं और उनके नाक और आंख में सूजन और जलन होने लगती है। श्वसन संबंधित बीमारियों से पीड़ित मरीजों को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। स्वच्छ पर्यावरण में रहें वैरी वैल हेल्थ के मुताबिक सांस से रिलेटेड परेशानियों जूझ रहे लोगों या इससे बचाव के लिए प्रदूषित वातावरण से बचने का प्रयास करें। अपने घर के अंदर एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें और यदि प्रदूषण युक्त वातावरण में रहना मजबूरी है तो मास्क पहनकर ही कहीं बाहर निकलें। धूल-धक्कड़ से बचेंश्वसन संबंधित बीमारियों का सबसे प्रमुख कारण धूल और धुआं होता है। इसलिए सिगरेट के धुएं, रासायनिक धुएं और धूल से जितना हो सके बचना चाहिए। धूम्रपान खुद भी ना करें और दूसरों को भी रोकें। ऐसी जगह पर बिल्कुल उपस्थित ना हो जहां कोई धूम्रपान कर रहा हो या जहां रासायनिक गैस निकल रही हो। हाइजीन बनाकर रखें सांस की बीमारियां खास तौर पर संक्रमण के कारण होती हैं। जब भी आप बाहर से आएं तो हैंड वॉश जरूर करें। हाइजीन बनाए रखने के लिए आप सैनिटाइजर का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे संक्रमण का खतरे को कम किया जा सकता है। पौष्टिक आहार लें अपनी इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर खाद्य पदार्थ का सेवन करें। यह आपके इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत बनाएगा और श्वसन संबंधित बीमारियों से राहत देने में मदद करेंगे। डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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