गुजरात का अनोखा गांव
यह गांव है मेहसाणा जिले का गांव चंदनकी। यह एक ऐसा अनोखा गांव है, जहां पक्की सड़क है और 24 घंटे बिजली रहती है। यहां एक भी मच्छर नहीं है और साफ सफाई इतनी कि यहां आने वाला देखता रह जाए। शैचालय के मामले में यह गांव नम्बर 1 पर है। इस गांव की 1300 आबादी में से 900 युवा काम के सिलसिले में अमेरिका और अहमदाबाद में जाकर बस गए हैं।
सालों पुरानी परंपरा का पालन कर रहे लोग
लोगों के बाहर जाकर बसने के बाद अब इस गांव में सिर्फ बूढ़े लोग ही रहते हैं। अकेलेपन के कारण यहां के बुजुर्ग ने एक शानदार योजना बनाई है। इस योजना के तहत किसी को अपने घर में खाना नहीं बनाना पड़ता। सुबह, दोपहर और शाम को एक ही रसोई में पूरे गांव का चायश, पानी और खाना बनाती है। एक ही जगह पर बैठकर हर रोज 60 से 100 बुजुर्ग प्रेम से खाना खाते हैं।
आजादी के बाद नहीं हुए चुनाव
आपको जानकर हैरत होगी कि इस गांव में आजादी के बाद से कभी पंचायती राज लागू नहीं हुआ। आजादी के बाद यहां अब तक पंचायत चुनाव नहीं हुए हैं। जिसका असर गांव के विकास में देखने को मिलता है। यहां बिजली, पानी की कोई कमी नहीं है। पक्की सड़के होने के कारण लोगों की किसी परेशानी का सामना भी नहीं करना पड़ता।
मेहमानों का खाना भी गांव की रसोई में
आपके मन में सवाल जरूर होगा कि घरों में आने वाले मेहमानों का खाना कैसे बनता होगा, तो बता दें कि मेहमान किसी का भी हो, खाना गांव की रसोई में ही बनता है। दिलचस्प बात तो यह है कि इस गांव में पहले महिला और फिर पुरुष खाना खाते हैं।
त्योहारों पर भी सामूहिक भोजन करते हैं लोग
यह गुजरात का एकमात्र ऐसा गांव है, जहां सामुदायकि भोजन कक्ष है। त्योहारों पर भी बाहर रहने वाले लोग अपने गांव में आकर एक साथ खाना खाते हैं। किसी के घर में चूल्हा नहीं जलता। यहां गांव के सरपंच और युवाओं ने एक समिति का गठन किया है, ताकि लोगों को स्वस्थ और पौष्टिक भोजन मिल सके।
मिल चुके हैं खिताब भी
इस गांव को निर्मल और तीर्थ गांव जैसे अवॉर्ड भी मिल चुके हैं। इसके अलावा गांव की ग्राम पंचायत को समरस महिला ग्राम पंचायत का भी अवार्ड मिल चुका है। यह गांव आज भी एकता और भाईचारे की गजब मिसाल है। इस गांव को एक्सप्लोर करने के लिए लोग दूर- दूर से आते हैं।
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