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कनाडा में लागू हो गया विदेशी कामगारों पर रोक लगाने वाला नियम, जानें भारतीयों पर क्या होगा असर

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ओट्टावा: कनाडा में अस्थायी विदेशी कामगारों पर नियंत्रण करने वाला विवादित नियम इसी सप्ताह गुरुवार (26 सितम्बर) से लागू हो गया है। इसके तहत अब कनाडा में कंपनियों और बिजनेस को अपने कर्मचारियों का केवल 10 प्रतिशत ही कम वेतन वाले विदेशी कामगारों से भरने की अनुमति होगी। इसके पहले कंपनियां 20 प्रतिशत तक विदेशी कर्मचारियों को रख सकती थीं। यह नया नियम जस्टिन ट्रूडो की सरकार की अप्रवासियों की संख्या कम करने की योजना का हिस्सा है।इस महीने की शुरुआत में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने घोषणा की थी कि सरकार अपने अस्थायी विदेशी कर्मचारी (TFW) कार्यक्रम के नियमों को सख्त कर रही है। टीएफडब्ल्यू कार्यक्रम मूल रूप से योग्य कनाडाई श्रमिकों की कमी से जूझ रहे बिजनेस के लिए एक अल्पकालिक समाधान के रूप में बनाया गया था।अस्थायी विदेशी कर्मचारी कार्यक्रम कंपनियों को दो साल तक के लिए विदेशी कामगारों को काम करने पर रखने की अनुमति देता है। हालांकि, इसके पहले कंपनियों को यह साबित करना होता है कि उन्होंने विदेशी कामगारों को नियुक्ति देने से पहले कनाडाई लोगों को काम पर रखने की कोशिश की है। विदेशी कामगारों को क्यों घटा रहा कनाडा?कनाडा स्थित इमिग्रेशन एक्सपर्ट दर्शन महाराजा इसकी वजह कनाडा में अस्थायी निवासियों की बढ़ती संख्या को बताते हैं। उन्होंने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि 'जब इस नीति की घोषणा की गई थी तो कनाडा में अस्थायी निवासियों की संख्या कुल आबादी का 6.8 प्रतिशत थी। ताजा आंकड़ों के अनुसार, यह बढ़कर 7.3 प्रतिशत हो गई है। इसलिए कामगार वीजा को और सख्त करने की उम्मीद है, जिससे भारतीयों के लिए अवसर कम हो जाएंगे।' क्या हो रहा बदलाव?नियोक्ता अब कम वेतन वाले पदों के लिए टीएफडब्ल्यू कार्यक्रम के माध्यम से वर्कफोर्स की 10 प्रतिशत नियुक्ति कर सकते हैं, जो पिछले 20 प्रतिशत से कम है। हालांकि, कृषि और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों को छूट दी गई है। नए नियमों में छात्र वीजा पर काम करने वालों के लिए काम के घंटे भी घटाकर सप्ताह में 20 कर दिए गए हैं। भारतीयों पर होगा असर?कनाडा के टीएफडब्ल्यू कार्यक्रम में सबसे ज्यादा योगदान देशों में भारत सबसे आगे है। साल 2023 में कनाडा में 26,495 अस्थायी विदेशी कर्मचारी भारतीय थे। नए प्रतिबंधों के साथ भारतीय कर्मचारियों को अपने विकल्पों को पुनर्विचार करने की जरूरत होगी। दर्शन महाराजा ने कहा कि भारतीय को अन्य देशों की तरफ रुख करना पड़ सकता है।
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