कानपुर,02 अक्टूबर(हि.स.)। देश एवं प्रदेश की सामाजिक आर्थिक एवं पर्यावरणीय आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु एक तिहाई भूभाग वन आच्छादित होना चाहिए। लेकिन खाद्य सुरक्षा एवं पोषण हेतु आवश्यकताओं के साथ-साथ औद्योगिक विकास के कारण 20 से 22 प्रतिशत वन भूमि उपयोग में आने से पर्यावरण के लिए विषम परिस्थिति उत्पन्न हुई। यह बात बुधवार को वानिकी नव वर्ष के मौके पर चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के वानिकी संकाय के प्रोफेसर कौशल कुमार ने कही।
उन्होंने कहा कि पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने के लिए कृषि वानिकी के अंतर्गत बहुवर्षीय वृक्ष प्रजातियों के रोपण अति आवश्यक है। अतः वन रोपण के साथ-साथ वन सुरक्षा पर बल दिया गया।
इस अवसर पर विशेष अतिथि पूर्व विभाग अध्यक्ष डॉक्टर एचपी चौधरी ने वन संरक्षण तथा पर्यावरण संतुलन के महत्व को विस्तार से समझाया। अधिष्ठाता वानिकी संकाय डॉक्टर मुनीश कुमार ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वानिकी नव वर्ष 2024 के व्यापक दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम संयोजक डॉक्टर सर्वेश कुमार ने धार्मिक महत्व बताते हुए पेड़ पौधों को भगवान विष्णु से तुलना की। तथा कहा कि यह हमारे पालन करता है वृक्षों का संरक्षण पृथ्वी पर जीवन के लिए आवश्यक है।
इस अवसर पर डॉक्टर पूजा शर्मा,डॉक्टर धर्मेंद्र शाह,डॉक्टर विकास सिंह एवं छात्रों ने वृक्षों का महत्व रेखांकित करते हुए अपने विचार रखा।
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