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Durga Saptashati Path Vidhi And Benefits: नवरात्रि में इस तरह से करें दुर्गा सप्तशती का पाठ, यहां देखें विधि और लाभ

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Durga Saptashati Path Vidhi And Benefits: देवी पुराण में दुर्गा सप्तशती के पाठ को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की विधिपूर्वक पूजा करने से साधक पर मां दुर्गा की कृपा बनी रहती है। शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना की जाती है और देवी की पूजा की जाती है। इस समय में दुर्गा सप्तशती का पाठ करना शुभ फलदायी माना जाता है। शास्त्रों में दुर्गा सप्तशती के पाठ की विधि और लाभ के बारे में विस्तार से बताया गया है। दुर्गा सप्तशती में मां दुर्गा के नौ रूपों का विस्तार से वर्णन किया गया है और मां की महिमा का गुणगान किया गया है। आइए यहां जानें दुर्गा सप्तशती पाठ के नियम और फायदे के बारे में।

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Durga Saptashati Path Vidhi (दुर्गा सप्तशती पाठ विधि)
  • दुर्गा सप्तशती का पाठ हमेशा स्नान के बाद साफ वस्त्र धारण करके ही करें।
  • पाठ शुरू करने से पहले मां दुर्गा के सामने पूर्व मुंह करके बैठें और चार बार आचमन करें।
  • उसके बाद घी का दीपक जलाएं और दुर्गा सप्तशती पुस्तक चौकी पर रखें।
  • दुर्गा सप्तशती का पाठ अधूरा ना छोडें। आप हर रोज एक अध्याय पढ़ सकते हैं।
  • दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू और समाप्त करने से पहले 'ओं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे' मंत्र का जाप करें।
  • इस पाठ को शांत मन से और शुद्ध उच्चारण के साथ ही पाठ करें।


Durga Saptashati Benefit (दुर्गा सप्तशती पाठ लाभ)

  • दुर्गा सप्तशती का पाठ नियमित रूप से करने से चिंताओं से मुक्ति मिलती है।
  • इस पाठ के हर अध्याय का पाठ करने से अलग- अलग फल की प्राप्ति होती है।
  • दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से मां देवी की कृपा प्राप्त होती है।
  • दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • नवरात्रि में इसका पाठ करने से मान-सम्मान एवं सुख संपत्ति का लाभ मिलता है।


दुर्गा सप्तशती महत्व (Durga Saptashati Importance)
नवरात्रि के समय में दुर्गा सप्तशती का पाठ करना बहुत ही लाभकारी होता है। इस पाठ का शास्त्रों में बहुत ही खास महत्व है। दुर्गा सप्तशती में मां महिमा का गुणगान हैं। इस पाठ में 13 अध्याय शमिल हैं। इस पाठ को शुरू करने से पहले कवच, अर्गला और कीलक जरूर पढ़ना चाहिए। दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से देवी की असीम कृपा प्राप्त होती है और उनकी दया के साधक के सारे कष्ट दूर होते हैं।



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