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सरकार रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म के मंत्र का पालन कर रही है : प्रधानमंत्री

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नई दिल्ली, 4 अक्टूबर . प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि सरकार रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म के मंत्र का पालन कर रही है. वे नई दिल्ली में कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे.

प्रधानमंत्री ने कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन के तीसरे संस्करण में उपस्थित होने के लिए आभार व्यक्त किया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सम्मेलन में अगले तीन दिनों तक कई सत्र आयोजित किए जाएंगे जिनमें अर्थव्यवस्था से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जाएगी. मोदी ने विश्वास व्यक्त किया कि ये चर्चा भारत के विकास को गति देने में सहायक सिद्ध होंगी.

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म के मंत्र का पालन कर रही है और देश को आगे बढ़ाने के लिए लगातार फैसले ले रही है. उन्होंने 60 साल बाद लगातार तीसरी बार किसी सरकार के दोबारा चुने जाने का श्रेय इसके प्रभाव को दिया. उन्होंने कहा कि जब लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं तो उन्हें देश के सही रास्ते पर आगे बढ़ने का भरोसा मिलता है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह भावना भारत के लोगों के जनादेश में दिखाई देती है और 140 करोड़ देशवासियों का विश्वास इस सरकार की बहुत बड़ी संपत्ति है. प्रधानमंत्री ने भारत को विकसित बनाने के लिए संरचनात्मक सुधार करने की सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया और तीसरे कार्यकाल के पहले तीन महीनों में किए गए कार्यों पर प्रकाश डाला. उन्होंने साहसिक नीतिगत बदलावों, नौकरियों और कौशल के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता, सतत विकास और नवाचार पर ध्यान, आधुनिक बुनियादी ढांचे, जीवन की गुणवत्ता और तेज विकास की निरंतरता के उदाहरण दिए. प्रधानमंत्री ने कहा, यह हमारे पहले तीन महीनों की नीतियों का प्रतिबिंब है, उन्होंने बताया कि इस अवधि के दौरान 15 ट्रिलियन रुपये या 15 लाख करोड़ रुपये से अधिक के फैसले लिए गए हैं.

प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के दुनिया में किफायती बौद्धिक शक्ति के सबसे बड़े स्रोत के रूप में उभरने पर जोर दिया. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि वर्तमान में भारत में 1,700 से अधिक वैश्विक क्षमता केंद्र संचालित हैं और 2 मिलियन से अधिक उच्च कुशल भारतीय पेशेवरों को रोजगार दे रहे हैं. मोदी ने शिक्षा, नवाचार, कौशल और अनुसंधान पर मजबूत ध्यान केंद्रित करके भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश का दोहन करने के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति द्वारा लाए गए प्रमुख सुधारों पर प्रकाश डाला और बताया कि पिछले एक दशक में हर हफ्ते एक नया विश्वविद्यालय स्थापित किया गया है और हर दिन दो नए कॉलेज खोले गए हैं. उन्होंने आगे कहा कि पिछले 10 वर्षों में हमारे देश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या दोगुनी हो गई है.

उन्होंने कहा कि वैश्विक नेता और वित्तीय विशेषज्ञ भारत की वृद्धि को लेकर आशावादी हैं. निवेशकों का मानना है कि भारत में निवेश करने का यह सही समय है. यह कोई संयोग नहीं है, बल्कि यह पिछले एक दशक में भारत में हुए सुधारों का नतीजा है.

हमने बीते दशक में इंफ्रास्ट्रक्चर पर इन्वेस्टमेंट को अभूतपूर्व स्केल पर बढ़ाया है. भारत ने प्रोसेस रिफोर्मस को सरकार की सतत गतिविधियों का हिस्सा बनाया है. हमने 40 हजार से ज्यादा अनुपालन को खत्म किया, अनुपालन एक्ट को डीक्रिमानलाइज किया.

प्रधानमंत्री ने कहा कि मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए हमने पी एल आई (प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव) की शुरुआत की. पी एल आई की वजह से 1.25 लाख करोड़ रुपये का निवेश आया है. स्पेस सेक्टर में अब 200 से ज़्यादा स्टार्टअप हैं. भारत मोबाइल फोन के आयातक से निकलकर उत्पादक बन गया है. हर सेक्टर में भारत में निवेश के भरपूर अवसर हैं.

उन्होंने कहा कि जल्द ही, भारत के 5 सेमीकंडक्टर प्लांट दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में लगाए जाएंगे और ‘मेड इन इंडिया’ चिप्स दुनिया को उपलब्ध हो जाएंगी.

प्रधानमंत्री ने कहा कि पीएम इंटर्नशिप स्कीम के तहत पहले दिन ही 111 कंपनियों ने पोर्टल पर रजिस्टर किया है. इस स्कीम के तहत हम एक करोड़ युवाओं को बड़ी कंपनियों में इंटर्नशिप में मदद कर रहे हैं.

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस वर्ष के बजट में हमने युवाओं के कौशल विकास और इंटर्नशिप के लिए विशेष पैकेज की घोषणा की है. पीएम इंटर्नशिप योजना के लिए पोर्टल पर 111 कंपनियों ने पंजीकरण कराया है. इस योजना का उद्देश्य युवाओं को कंपनियों में इंटर्नशिप पाने में मदद करना है. केवल 10 वर्षों में, भारत ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स रैंकिंग में 81वें स्थान से 39वें स्थान पर पहुंच गया है.

उन्होंने कहा कि आज भारत सिर्फ़ शीर्ष पर पहुंचने के लिए ही प्रयास नहीं कर रहा है, बल्कि शीर्ष पर अपनी स्थिति को बनाए रखने के लिए भी प्रयास कर रहा है. हमारे लिए यह कॉन्क्लेव सिर्फ़ एक ‘डिबेट क्लब’ नहीं है. हम यहां से मिलने वाले सुझावों को गंभीरता से लेते हैं और नीति निर्माण के दौरान उन्हें लागू करने का प्रयास करते हैं. यह हमारे गवर्नेंस मॉडल का हिस्सा बन जाता है.

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/ सुशील कुमार

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