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उत्तराखंड : पर्यटन पटल पर शुमार होगा गुमनाम 'खारा खेत', लौटेगी गरिमा

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– समूचे भारत के लिए एक ऐतिहासिक स्थल और धरोहर है खारा खेत

– डीएम ने ‘नून’ नदी से जल भरकर स्वतत्रंता आंदोलन की दिलाई याद

– 1930 में स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजों की नीतियों के विरुद्ध उठाई थी आवाज

देहरादून, 02 अक्टूबर . उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में गुमनाम प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण ऐतिहासिक विरासत स्थल ‘खारा खेत’ जल्द ही पर्यटन पटल पर शुमार होगा. खारा खेत हमारी अमूल्य विरासत में से एक है. यह वह स्थान है जो स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान की याद दिलाता है, जिन्होंने अंग्रेजों की नीतियों के विरुद्ध आवाज उठाई थी. खारा खेत अब हेरिटेज पर्यटन दृष्टि से विकसित होगा. इससे खारा खेत की खोई पहचान और गरिमा फिर से वापस लौटेगी.

जिलाधिकारी सविन बंसल ने बुधवार को खारा खेत में स्वच्छता व जल संरक्षण का संकल्प लेते हुए स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने इस स्थान पर ‘नून’ से नमक आंदोलन का नेतृत्व किया था. साथ ही ‘नून’ नदी से जल भरकर स्वतत्रंता आंदोलन की याद दिलाई. इसके उपरांत खारा खेत में पौधरोपण किया. दरअसल, खारा खेत में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने 1930 में ‘नून’ नदी के पानी से नमक बनाकर अंग्रेजों की नीतियों के विरुद्ध आवाज उठाई थी. सेनानियों ने अंग्रेजों के नमक कानून का विरोध किया था और उस नमक को देहरादून के ‘टाउन हॉल’ में विक्रय किया था.

…तभी आर्थिक-सांस्कृतिक एवं भौतिक विकास की परिकल्पना होगी पूर्ण

जिलाधिकारी ने कहा कि देहरादून प्राकृतिक सौंदर्य के साथ ऐतिहासिक विरासतों के लिए भी पहचाना जाता है. उन्होंने कहा कि पहाड़ी पेडलर्स के युवाओं द्वारा ऐतिहासिक स्थलों के साथ प्राकृतिक जलस्रोतों को चिन्हित कर स्वच्छता और जल संरक्षण का कार्य किया जा रहा है. इसके लिए जिला प्रशासन निरंतर सहयोग प्रदान करेगा. उन्होंने कहा कि विकास एवं प्राकृतिक संसाधनों व हेरिटेज स्थलों के संरक्षण-संवर्धन को साथ लेकर चलना होगा, तभी आर्थिक-सांस्कृतिक एवं भौतिक विकास की परिकल्पना पूर्ण हो सकेगी.

खारा खेत के विकास के लिए सीडीओ से मांगा पत्रावली

जिलाधिकारी ने खारा खेत में हेरिटेज पर्यटन दृष्टि से विकसित करने की मांग पर बैठने, संवाद के लिए निर्माण एवं जल संयोजन के लिए तत्काल स्वीकृति दे दी और मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह को पत्रावली प्रस्तुत करने के निर्देश दिए.

स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान की याद दिलाता है खारा खेत

पर्यावरण विशेषज्ञ पद्मश्री कल्याण सिंह रावत ने कहा कि खारा खेत समूचे भारत के लिए एक ऐतिहासिक स्थल और धरोहर है. यह हमें स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान की याद दिलाता है. आज यह ऐतिहासिक स्थल वीरानियों में गुमनाम हो गया है. हमें मिलकर इसकी खोई पहचान और गरिमा लौटानी होगी.

200 बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण

खारा खेत में विभिन्न स्कूलों के छात्रों और पहाड़ी पैडलर्स के सदस्यों ने स्वच्छता अभियान चलाया. इसके उपरांत नून नदी से जल लाकर गांधी पार्क स्थित महात्मा गांधी के स्मारक पर समर्पित कर कार्यक्रम का समापन किया गया. वहीं स्वास्थ्य विभाग ने कैंप लगाकर 200 बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया.

प्राकृतिक प्लेट मालू के पत्तों पर चखा पहाड़ी व्यंजनों का स्वाद

पहाड़ी व्यंजनों को प्रमोट कर रहे बूढ़ दादी हिमालयन ट्रेडिशनल फूड द्वारा मोटे अनाज मंडुवा से बने ढिंढका, झंगोरे से बनी बिरंजी एवं मसूर की दाल से बने व्यंजनों का स्वाद लोगों का चखाया गया. जिलाधिकारी ने मालू के पत्तों पर पहाड़ी व्यंजनों का स्वाद चखा. उन्होंने मालू के पेड़ अधिक से अधिक लगाने को कहा, ताकि प्राकृतिक रूप से बने प्लेट आदि का उपयोग कर पर्यावरण सरंक्षण की दिशा में सहयोग पूर्वक आगे बढ़ा जा सके. जिलाधिकारी के कहा कि पारंपरिक पहाड़ी व्यंजनों पर काम करने वाले लोगों को विभिन्न सरकारी कार्यक्रम में बढ़ावा दिया जाएगा.

/ कमलेश्वर शरण

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