सीकर, 25 सितंबर . उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि हमें पंडित दीनदयाल उपाध्याय की सोच और दर्शन को समझना चाहिए. राष्ट्रहित और देश सेवा को निजी व राजनीतिक स्वार्थ से ऊपर रखें. जो हमारे देश को नुकसान पहुंचाता है, वह हमारा हितैषी नहीं है.
उपराष्ट्रपति बुधवार को पंडित दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी विश्वविद्यालय में दीनदयाल उपाध्याय की मूर्ति के अनावरण समारोह को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने यहां ज्ञान उद्यान का लोकार्पण और ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत पौधरोपण भी किया. कार्यक्रम में राज्यपाल हरिभाऊ बागडे और उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा भी मौजूद रहे. उपराष्ट्रपति ने आपातकाल की बात करते हुए कहा कि मैं नवयुवकों से कहूंगा कि आप आपातकाल का कालाखंड कभी मत भूलिए. इसको देखते हुए ही 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है. आप संविधान की गरिमा और अहमियत समझिए. आपातकाल के दौरान हमारे साथ क्या हुआ. कितना बड़ा खिलवाड़ हुआ और देश कहां से कहां पहुंच गया. कितना अंधकार में चला गया और कैसे लोग जेल में चले गए. एक व्यक्ति विशेष ने केवल अपनी इच्छापूर्ति के लिए और अपने पद को बचाने के लिए लाखों लोगों के अधिकारों को एक तरीके से कूड़ेदान में पटक दिया था.
उन्होंने कहा कि संविधान हत्या दिवस 25 जून को मनाया जाता है. सोचना पड़ेगा कि भारत जैसे प्रजातंत्र में हजारों साल की संस्कृति, विरासत का धनी भारत कैसे एक व्यक्ति के सामने नतमस्तक हो गया कि कोई भी रक्षा के लिए नहीं आया. ‘नेवर फियर फेलियर.’ यदि चंद्रयान-2 असफल होता तो चंद्रयान 3 की आवश्यकता नहीं होती. चंद्रयान 2 बहुत हद तक सफल हुआ. उसे भी कुछ लोगों ने फेलियर बता दिया. कोई भी फेलियर आंशिक सफलता है. वह सफलता की सीढ़ी है. आज चारों तरफ एक होड़ लगी है. कोचिंग सेंटर में जा रहे हैं और सरकारी नौकरी के अलावा कोई ऑप्शन नहीं है. आपका अपॉर्चुनिटी बास्केट बहुत बड़ा है. आईएमएफ कहता है कि भारत इज फेवरेट डेस्टिनेशन फॉर इन्वेस्टमेंट एंड अपॉर्चुनिटी. वह सरकारी नौकरी की वजह से नहीं कह रहा है. पहले कानून के सामने हर कोई एक नहीं था. कुछ लोग कानून से ऊपर थे और कानून उनका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता था. ऐसी धारणा बन गई थी तो कानून क्या करेगा. अब वह धारणा ध्वस्त हो गई है.
उन्होंने कहा कि पहले बिना भ्रष्टाचार के कोई काम नहीं होता था. अब बिचौलिए गायब हो गए हैं. इसमें तकनीकी ने बहुत बड़ा सहयोग दिया है. आज के दिन हम जिस भारत को देख रहे हैं, वह भारत तीव्र गति से अग्रसर है. चारों तरफ हम देखते हैं जल, थल, आकाश और अंतरिक्ष हमारी प्रगति प्रत्याशित और सोच के परे हैं. मैंने देखा है वह जमाना, जब मुझे डर लगता था. जब 1989 में मैं लोकसभा का सदस्य और केंद्र में मंत्री बना तो अर्थव्यवस्था लंदन से भी छोटी थी. अब आने वाले दो साल में जापान और जर्मनी से आगे जाकर दुनिया की तीसरी महाशक्ति बनने जा रहे हैं. अब यह देश रुकने वाला नहीं है लेकिन कुछ लोग बाधा उत्पन्न करना चाहते हैं. आप चुप मत रहिए और राष्ट्रवाद को ध्यान में रखते हुए हर हाल में इस बात का ध्यान कीजिए कि हम राष्ट्र के प्रति पूरी तरह समर्पित रहे. हम भारतीय हैं और भारतीयता हमारी पहचान है. राष्ट्र धर्म हमारा सबसे बड़ा धर्म है.
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/ रोहित
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