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जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल हो सकती है खत्म, देर रात तक हुई बैठक में मिले कई संकेत

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कोलकाता, 04 अक्टूबर .पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टरों द्वारा चल रही हड़ताल आज शुक्रवार को शिथिल पड़ सकती है. गुरुवार देर रात तक हुई जनरल बॉडी मीटिंग में इस बात के संकेत मिले हैं. आर.जी. कर अस्पताल में जूनियर डॉक्टरों और वरिष्ठ डॉक्टरों के बीच गुरुवार देर रात तक एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें हड़ताल को लेकर चर्चा की गई. वरिष्ठ डॉक्टरों ने सुझाव दिया है कि जूनियर डॉक्टरों को पूर्ण हड़ताल से हटकर किसी और तरीके से अपना विरोध जारी रखना चाहिए. कुछ डॉक्टरों ने आंशिक हड़ताल का प्रस्ताव भी रखा है.

जूनियर डॉक्टरों ने इस पर विचार करने के लिए अपनी जीबी बैठक आयोजित की. यह चर्चा केवल आर.जी. कर अस्पताल तक सीमित नहीं रही, बल्कि अन्य सभी मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधियों के साथ एक अलग जीबी बैठक भी गुरुवार रात को हुई. इसमें इस बात पर चर्चा हुई है कि दुर्गा पूजा के समय जब बड़ी संख्या में लोग अस्पतालों में जा रहे हैं तब सेवाएं नहीं मिलने की वजह से डॉक्टरों के आंदोलन को मिल रहा जन समर्थन भी खत्म हो रहा है और नाराजगी भी बढ़ रही है. इसके अलावा कोर्ट ने डॉक्टरों को ड्यूटी करने का आदेश दिया है बावजूद इसके जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं, जिसकी वजह से कानूनी कार्रवाई का भी सामना करना पड़ सकता है.

जूनियर डॉक्टरों के प्रतिनिधि अनिकेत महतो ने बताया कि इस बैठक का मुख्य उद्देश्य हड़ताल के अलावा और क्या विकल्प हो सकते हैं, इस पर विचार-विमर्श करना था.

उल्लेखनीय है कि 30 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में आर.जी. कर अस्पताल के मामले की सुनवाई के दौरान जूनियर डॉक्टरों के वकील इंदिरा जयसिंह ने अदालत को आश्वासन दिया था कि ओपीडी और आईपीडी सेवाओं में आपातकालीन सेवाएं जारी हैं.

हालांकि, इंदिरा जयसिंह के इस आश्वासन के कुछ घंटों बाद ही ‘वेस्ट बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट’ ने लगभग आठ घंटे की जीबी बैठक के बाद फिर से पूर्ण हड़ताल का निर्णय लिया था. इस घटनाक्रम ने चिकित्सा समुदाय में भी कई सवाल खड़े किए हैं.

जूनियर डॉक्टरों द्वारा उठाई गई 10 मांगों में से एक प्रमुख मांग धमकी की संस्कृति के खिलाफ कार्रवाई करने की थी. हड़ताल के मुद्दे पर चर्चा के बीच, उसी शाम आरजी कर अस्पताल में भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई ने आशिष पांडे को गिरफ्तार किया, जिन पर धमकी की संस्कृति से जुड़े होने का आरोप था.

वरिष्ठ डॉक्टरों ने पहली हड़ताल के दौरान जूनियर डॉक्टरों का समर्थन किया था, और उस समय मरीजों की सेवाएं बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. लेकिन दूसरी बार जब पूर्ण हड़ताल की घोषणा हुई, तो कुछ वरिष्ठ डॉक्टरों ने इसका विरोध करते हुए हड़ताल के अन्य विकल्पों की खोज करने की बात कही. उनके अनुसार, हड़ताल के बिना भी विरोध जारी रखने के कई तरीके हैं.

बैठक में वरिष्ठ डॉक्टरों ने यह भी बताया कि जूनियर डॉक्टरों की गैर-मौजूदगी के कारण अस्पतालों में रोगियों की भारी संख्या को संभालना कठिन हो रहा है. उन्होंने रोगियों के हित में हड़ताल को आंशिक रूप से समाप्त करने का सुझाव दिया.

दूसरी बार पूर्ण हड़ताल के निर्णय से पहले हुई आठ घंटे की जीबी बैठक में भी कुछ जूनियर डॉक्टरों ने आपत्ति जताई थी. सूत्रों के अनुसार, उस बैठक में कई डॉक्टरों ने पूर्ण हड़ताल के फैसले का समर्थन नहीं किया था और विरोध के लिए किसी वैकल्पिक रास्ते की मांग की थी.

अब, सभी की नजरें इस पर हैं कि जूनियर डॉक्टरों की जीबी बैठक में हुई इस चर्चा के बाद क्या हड़ताल आज से खत्म कर दी जाएगी.

/ ओम पराशर

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