देहरादून, 09 अक्टूबर . समग्र शिक्षा तथा एससीईआरटी उत्तराखंड की ओर से बुधवार को अजीम प्रेमजी फाउंडेशन सभागार में उल्लास-नव भारत साक्षरता कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य स्तरीय उल्लास मेले का आयोजन किया गया.
मुख्य अतिथि विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने जनपद उत्तरकाशी, टिहरी, ऊधमसिंह नगर, हरिद्वार, चंपावत से आए नवसाक्षर, निरक्षर, स्वयंसेवी अध्यापकों तथा साक्षरों को वर्चुअल संबोधित किया. शिक्षा मंत्री ने राज्य को शत-प्रतिशत साक्षर बनाए जाने का आह्वान किया.
राज्य परियोजना निदेशक झरना कमठान ने कहा कि सभी के लिए जीवन पर्यंत शिक्षा, सभी को साक्षर बनाना हमारा लक्ष्य है. पढ़ने-लिखने के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं होती है. कार्यक्रम में नव साक्षरों को प्रोत्साहित करने के लिए सम्मानित किया. उन्होंने कहा कि महिलाओं को स्वयं सहायता समूह के माध्यम से अधिक-से अधिक संख्या में साक्षर करवाए जाने के लिए जनपद स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जाए. बाल चैपाल लगाकर कठपुतली एवं नुक्कड़ नाटक के माध्यम से साक्षरता को बढ़ाया जाए. प्रचार-प्रसार के लिए संबंधित जनपदों के जिलाधिकारी से सहयोग प्राप्त किया जाए.
अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण उत्तराखंड निदेशक वंदना गर्ब्याल ने कहा कि उल्लास अर्थात समाज में सभी के लिए आजीवन सीखने की समझ कार्यक्रम के अंतर्गत 15 वर्ष से अधिक आयु वाले वयस्कों को साक्षर बनाना है, ताकि नव साक्षरों का सशक्त एवं समाजोपयोगी व्यक्तित्व के रूप में निर्माण हो सके और समाज के विकास में योगदान दे सकें.
समग्र शिक्षा उत्तराखंड के अपर राज्य परियोजना निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती ने साक्षरता कार्यक्रम की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला और कहा कि उल्लास कार्यक्रम भारत सरकार की महत्वपूर्ण योजना पहले प्रौढ़ साक्षरता कार्यक्रम से साक्षरता की अलख जगी थी. इसके तहत पांच लाख लोगों को साक्षर किया किया. उसके बाद एनआईएलपी— न्यू इंडिया लर्निंग प्रोग्राम से लोगों को साक्षर किया गया. वर्तमान में उल्लास के अंतर्गत हम तीन बार परीक्षा करवा चुके हैं. पांचों जनपदों में विशेष जागरूकता अभियान चलाए गए. एलआईएलपी के माध्यम से साक्षरों के प्रमाण पत्र प्राप्त हो गए हैं, जिन्हें जनपदों को प्रदान किया जा चुका है.
राज्य नोडल अधिकारी प्रद्युमन सिंह रावत ने कार्यक्रम में जनपदवार प्रस्तुतीकरण करवाया. नव साक्षरों को प्रेरित करते हुए कहा कि नवभारत साक्षर योजना का उद्देश्य न केवल आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान प्रदान करना है बल्कि आधुनिक समय की आवश्यकताओं के अनुरूप जीवन कौशल जैसे वित्तीय साक्षरता, डिजीटल साक्षरता, वाणिज्यिक कौशल, स्वास्थ्य देखभाल, परिवार कल्याण और व्यावसायिक कौशल विकास को भी विकसित करना है. कार्यक्रम के समापन पर सभी नव साक्षर एवं स्वयं सेवियों को प्रतिभागिता प्रमाण पत्र एवं स्मृति चिह्न प्रदान किए गए.
/ कमलेश्वर शरण
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