जोधपुर न्यूज़ डेस्क, जोधपुर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एस) जोधपुर के गेस्ट्रोएंटेरोलॉजी विभाग के डॉक्टरों ने एक महिला के भोजन नली (इसोफेगस) में फंसी 9 सेंटीमीटर लबी गांठ (लाइपोमा) को बगैर सर्जरी के एण्डोस्कोप से निकाल दिया। डॉक्टरों ने इसके लिए भोजन नली में छोटा सा छेद करके सुरंगजैसा बनाया और फिर पूरे लाइपोमा को खींच लिया। इसको सबयूकोसल टनेलिंग एंडोस्कोपिक रिसेक्शन (एसटीईआर) प्रोसिजर कहते हैं तो इतने लबे लाइपोमा के लिए प्रदेश में पहली बार किया गया है। मरीज को 48 घंटे में छुट्टी भी दे दी गई। सामान्यत: ऐसे मामलों में अस्पतालों में सर्जरी की जाती है जिसमें छाती को चीरकर भोजन नली तक पहुंचा जाता है और कठिन सर्जरी होती है। उसके बाद मरीज को भी लबे समय तक सार संभाल की जरुरत पड़ती है।
एस में 65 वर्षीय महिला आई जिसको दो साल यह समस्या था। दो साल में लाइपोमा बढ़कर बढ़ा हो गया था जिसके कारण उसे ठोस भोजन निगलने में कठिनाई (डिस्फेगिया) होती थी। एस जोधपुर के गेस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग ने पारंपरिक सर्जरी की बजाय एण्डोस्कोपिक रास्ता चुना और सफलतापूर्वक किया। गेस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. आशीष अग्रवाल और डॉ. छगन लाल बिरदा ने बताया कि सबयूकोसल टनेलिंग एंडोस्कोपिक रिसेक्शन करके महिला को बड़ी सर्जरी से बचा लिया। यह एक जटिल एंडोस्कोपिक सर्जिकल प्रक्रिया थी जो बेहतरीन तरीके से पूरी की गई।
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